100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

केरल विधानसभा ने राज्य का नाम बदलकर ‘केरलम’ करने का प्रस्ताव पारित किया

Lokesh Pal June 26, 2024 02:51 153 0

संदर्भ

केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से भारतीय संविधान के अनुच्छेद-3 के तहत राज्य का नाम बदलकर केरलम (Keralam) करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया। 

  • मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रथम अनुसूची में इस परिवर्तन को प्रभावी करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद-3 को लागू करने का आह्वान किया।

केरलम (Keralam) क्यों?

  • ‘केरल’ शब्द मलयाली भाषा के ‘केरलम’ शब्द का अंग्रेजी रूप है।
  • ऐतिहासिक संदर्भ: इस शब्द का सबसे पहला उल्लेख सम्राट अशोक के शिलालेख II में मिलता है, जो 257 ईसा पूर्व का है।
  • इस शिलालेख देवताओं के प्रिय राजा प्रियदर्शिन के राज्य, साथ ही उनके सीमावर्ती शासकों, जैसे चोल, पांड्य, सतियापुत्र, केतलपुत्र [केरलपुत्र] का वर्णन किया गया है।
    • केरलपुत्र, जिसका शाब्दिक अर्थ संस्कृत में ‘केरल का पुत्र’ है, दक्षिण भारत के तीन मुख्य राज्यों में से एक चेरों के राजवंश को संदर्भित करता है।

प्रस्ताव को संशोधित कर पुनः प्रस्तुत किया गया

  • पिछले वर्ष भी इसी प्रकार का प्रस्ताव पारित किया गया था। 
  • कुछ तकनीकी मुद्दों के कारण: संकल्प में संविधान की पहली अनुसूची (विभिन्न राज्यों की सूची) में संशोधन की माँग की गई थी और इसका उद्देश्य आठवीं अनुसूची (आधिकारिक भाषाओं की सूची) में संशोधन की माँग करना भी था, लेकिन आठवीं अनुसूची में संशोधन पर ध्यान नहीं दिया गया।

ऐतिहासिक संदर्भ

  • एकीकृत राज्य की माँग: 1920 के दशक में ऐक्य केरल आंदोलन (Aikya Kerala movement) ने जोर पकड़ा, जिसमें मलयालम भाषी लोगों के लिए एकीकृत राज्य की माँग की गई।
    • इसका उद्देश्य मालाबार, कोच्चि और त्रावणकोर को एक क्षेत्र में एकीकृत करना था।
  • आधुनिक केरल का गठन: वर्ष 1949 में त्रावणकोर और कोच्चि का विलय हो गया, जिससे त्रावणकोर-कोचीन राज्य का गठन हुआ।
  • राज्य पुनर्गठन आयोग: इसने मलयालम भाषी लोगों के लिए केरल को एक राज्य के रूप में बनाने की सिफारिश की।
  • केरल का उद्भव: 1 नवंबर, 1956 को केरल राज्य का आधिकारिक रूप से गठन किया गया, जिसे मलयालम में “केरलम” और अंग्रेजी में “केरला” कहा जाता है।

कई एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (No Objection Certificates- NOCs) 

  • रेल मंत्रालय, खुफिया ब्यूरो, डाक विभाग, भारतीय सर्वेक्षण विभाग और भारत के महापंजीयक आदि से अनापत्ति प्रमाण-पत्र आवश्यक हैं।
  • एक बार जब केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) को इन संस्थानों से NOCs प्राप्त हो जाती है, तो वह राज्य द्वारा पारित प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे देता है।

राज्य का नाम बदलने की प्रक्रिया

  • राज्य का नाम बदलने की प्रक्रिया: इसे संसद या राज्य विधानसभा द्वारा शुरू किया जा सकता है।
  • राज्य सरकार का प्रस्ताव: किसी राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव राज्य सरकार की ओर से आता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय प्रस्ताव की समीक्षा करता है और विभिन्न एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOCs) माँगता है। 
  • केंद्र की स्वीकृति: शहरों का नाम बदलने के विपरीत, किसी राज्य का नाम बदलने के लिए केंद्र के गृह मंत्रालय से स्वीकृति की आवश्यकता होती है।
  • इस परिवर्तन के लिए संविधान संशोधन आवश्यक है (भारतीय संविधान के अनुच्छेद-3 और 4 के तहत)।

संविधान का अनुच्छेद-3

नए राज्यों का गठन तथा विद्यमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन:

  • संसद कानून द्वारा, किसी राज्य से क्षेत्र को अलग करके या दो या अधिक राज्यों अथवा राज्यों के भागों को मिलाकर या किसी क्षेत्र को किसी राज्य के भाग में मिलाकर एक नया राज्य बना सकती है
    • किसी राज्य का क्षेत्रफल बढ़ाना
    • किसी राज्य का क्षेत्रफल घटाना
    • किसी राज्य की सीमाएँ बदलना
    • किसी राज्य का नाम बदलना

संविधान का अनुच्छेद-4

  • प्रथम और चतुर्थ अनुसूचियों के संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद-2 और 3 के अधीन बनाए गए कानून यह उपबंध करते हैं कि अनुच्छेद-2 और 3 के अधीन बनाए गए कानून अनुच्छेद-368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं माने जाएँगे।

  • राज्य विधानमंडल के विचार या सुझाव: ये राष्ट्रपति या संसद के लिए बाध्यकारी नहीं हैं।
    • राज्य विधानसभा के सुझाव प्राप्त करने के बाद या सीमित समय अवधि की समाप्ति के बाद विधेयक संसद में वापस चला जाता है।
    • फिर संसद में विधेयक पर आगे विचार-विमर्श होता है।
  • राज्य विधानमंडल के विचार या सुझाव: ये राष्ट्रपति या संसद के लिए बाध्यकारी नहीं हैं।
    • राज्य विधानसभा के सुझाव प्राप्त होने के बाद या सीमित समय अवधि समाप्त होने के बाद विधेयक संसद में वापस चला जाता है।
    • फिर संसद में विधेयक पर आगे विचार-विमर्श होता है।
  • बहुमत: किसी भी सामान्य विधेयक की तरह, इस विधेयक को भी साधारण बहुमत से पारित किया जाना चाहिए।
  • संसदीय स्वीकृति: यदि प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है, तो उसे संसद में विधेयक के रूप में पेश किया जाता है।
    • संसद में, राष्ट्रपति की संस्तुति के बिना विधेयक प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
    • कानून बनने पर, राज्य का नाम आधिकारिक रूप से बदल दिया जाता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.