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केरल की तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना (CZMP)

Lokesh Pal November 05, 2024 04:02 44 0

संदर्भ

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने केरल के 10 तटीय जिलों के लिए तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना (Coastal Zone Management Plan- CZMP) को मंजूरी दे दी है।

संबंधित तथ्य

  • केरल के 10 तटीय जिले: कासरगोड, कन्नूर, कोझिकोड, मलप्पुरम, त्रिशूर, एर्नाकुलम, कोट्टायम, अलाप्पुझा, कोल्लम एवं तिरुवनंतपुरम।
  • तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) अधिसूचना, 2019 के साथ संरेखित: योजना तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) अधिसूचना, 2019 के साथ संरेखित है, जो अनुमति देती है:
    • तटीय जिलों को तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) नियमों में ढील का लाभ उठाने एवं समुद्र की ओर इमारतों के निर्माण सहित विकास गतिविधियाँ शुरू करने के लिए कहा गया है।

तटीय क्षेत्रों के बारे में

  • यह समुद्री एवं प्रादेशिक क्षेत्रों के बीच एक संक्रमण क्षेत्र है। 
  • इसमें तटीय पारिस्थितिकी तंत्र, आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र, मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र, मडफ्लैट पारिस्थितिकी तंत्र, समुद्री घास पारिस्थितिकी तंत्र, लवणीय दलदल पारिस्थितिकी तंत्र एवं समुद्री शैवाल पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं।

उच्च ज्वार रेखा (High Tide Line- HTL) 

  • HTL का अर्थ है स्थल पर वह रेखा, जहाँ तक ​​वसंत ज्वार के दौरान सबसे ऊँची जल रेखा पहुँचती है।

निम्न ज्वार रेखा (Low Tide Line) 

  • इसी प्रकार, इसका अर्थ स्थल पर वह रेखा है, जहाँ तक वसंत ज्वार के दौरान सबसे निचली जल रेखा पहुँचती है।

तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZs) के बारे में

  • परिभाषा: तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) तट के किनारे का एक क्षेत्र है, जो तटीय पर्यावरण की रक्षा एवं प्रबंधन के लिए विशिष्ट नियमों के लिए निर्दिष्ट है। 
    • इन क्षेत्रों को पहली बार भारत में वर्ष 1991 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत प्रस्तुत किया गया था।

CRZ की मुख्य विशेषताएँ

  • उद्देश्य: CRZ नियमों का उद्देश्य तटीय पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण करना, तटीय संसाधनों पर निर्भर समुदायों की आजीविका की रक्षा करना एवं हानिकारक गतिविधियों को सीमित करके सतत् विकास सुनिश्चित करना है।
  • क्षेत्रीय प्रभाग: तटीय क्षेत्रों को उनकी पारिस्थितिकी संवेदनशीलता, विकास की स्थिति एवं जनसंख्या घनत्व के आधार पर श्रेणियों में विभाजित किया गया है। 
    • प्रत्येक जोन के अलग-अलग नियम हैं कि कौन-सी गतिविधियाँ हो सकती हैं एवं क्या नहीं।
  • ‘नो डेवलपमेंट जोन’ (NDZs): प्रत्येक क्षेत्र में उच्च ज्वार रेखा (HTL) से कुछ दूरी को NDZs के रूप में नामित किया गया है, जहाँ तट को नुकसान से बचाने के लिए निर्माण एवं औद्योगिक गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं।
  • विस्तार: CRZs में उच्च ज्वार रेखा (HTL) से 500 मीटर तक की तटीय भूमि एवं खाड़ी, मुहाने, बैकवाटर तथा नदियों के किनारे 100 मीटर का एक चरण शामिल है, जहाँ ज्वारीय उतार-चढ़ाव होते हैं।
  • CRZ कार्यान्वयन में भूमिकाएँ एवं जिम्मेदारियाँ: हालाँकि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय CRZ नियम बनाता है, राज्य सरकारें अपने संबंधित तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरणों के माध्यम से उनके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं।

तटीय विनियमन क्षेत्रों का महत्त्व 

  • पर्यावरण संरक्षण: CRZ नियमों का उद्देश्य समुद्र तटों, मैंग्रोव एवं प्रवाल चट्टानों सहित तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों का संरक्षण करना है, जो जैव विविधता तथा पारिस्थितिकी संतुलन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  • आपदा जोखिम में कमी: संवेदनशील तटीय क्षेत्रों में निर्माण एवं विकास को विनियमित करके, CRZ सुनामी, चक्रवात तथा बढ़ते समुद्र के स्तर जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जोखिम को कम करने में मदद करता है।
  • पर्यावास संरक्षण: विभिन्न समुद्री एवं स्थलीय प्रजातियों के लिए महत्त्वपूर्ण आवासों की रक्षा करता है, जो तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर वनस्पतियों तथा जीवों के संरक्षण में योगदान देता है।
  • सामुदायिक आजीविका: आवश्यक संसाधन प्रदान करने वाले स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखते हुए मछली पकड़ने, पर्यटन एवं अन्य तटीय गतिविधियों पर निर्भर स्थानीय समुदायों की आजीविका का समर्थन करता है।
  • नियामक ढाँचा: तटीय विकास के लिए एक स्पष्ट कानूनी एवं नियामक ढाँचा स्थापित करता है, भूमि-उपयोग योजना का मार्गदर्शन करता है तथा पर्यावरण मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
  • पर्यटन को बढ़ावा देना: प्राकृतिक सुंदरता की रक्षा करके एवं जिम्मेदार पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा देकर पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को प्रोत्साहित करता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ा सकता है।
    • जलवायु परिवर्तन शमन: तटीय क्षेत्रों एवं पारिस्थितिकी तंत्रों को संरक्षित करके, CRZ कार्बन पृथक्करण में योगदान देता है तथा संवेदनशील तटीय क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करता है।

शैलेश नायक समिति रिपोर्ट, 2015

  • राज्यों द्वारा वर्ष 2011 की CRZ अधिसूचना द्वारा निर्धारित सीमाओं के संबंध में असंतोष व्यक्त करने के बाद जून 2014 में शैलेश नायक समिति का गठन किया गया था। 
  • इसकी स्थापना भारत में तटीय विनियमन क्षेत्र नियमों की समीक्षा एवं संशोधन का सुझाव देने के लिए की गई थी।

रिपोर्ट जनवरी 2015 में प्रस्तुत की गई थी।

  • ‘नो डेवलपमेंट जोन’ (NDZ) का युक्तीकरण: सिफारिशों में NDZ का पुनर्मूल्यांकन शामिल है, जिसमें पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों को बनाए रखते हुए विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए कुछ क्षेत्रों में कटौती का सुझाव दिया गया है।
  • तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाएँ (CZMP): रिपोर्ट में राज्य सरकारों द्वारा तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाओं की तैयारी एवं कार्यान्वयन की सिफारिश की गई है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र आधारित प्रबंधन: रिपोर्ट में तटीय प्रबंधन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र आधारित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया गया है, जिसमें तटीय और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों के परस्पर संबंध तथा आजीविका एवं जैव विविधता में उनके योगदान को ध्यान में रखा गया है।
  • केंद्र सरकार की सीमित भूमिका: तटीय क्षेत्रों में केंद्र सरकार की भूमिका पर्यावरणीय मंजूरी एवं पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों को विनियमित करने तक सीमित होगी।

नवीनतम CZMP अधिसूचना: तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना (CZMP), 2019

  • भारत सरकार ने तटीय पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा, तटीय समुदायों के लिए आजीविका सुरक्षित करने एवं सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2019 में तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) अधिसूचना जारी की। 
  • CRZ का पदनाम: यह अंडमान, निकोबार एवं लक्षद्वीप द्वीपों को छोड़कर, देश के तटीय हिस्सों तथा प्रादेशिक जल को CRZ के रूप में नामित करता है।
  • CRZ श्रेणियाँ
    • CRZ-IA: पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESA)
    • CRZ-IB: इंटरटाइडल जोन
    • CRZ-II: नगरपालिका या शहरी सीमा के भीतर विकसित भूमि क्षेत्र
    • CRZ-IIIA: 2,161 प्रति वर्ग किमी. (वर्ष 2011 की जनगणना) से अधिक जनसंख्या घनत्व वाले अविकसित ग्रामीण क्षेत्र; उच्च ज्वार रेखा (HTL) से पहला 50 मीटर ‘नो डेवलपमेंट जोन’ (NDZ) है।
    • CRZ-IIIB: 2,161 प्रति वर्ग किमी. से कम जनसंख्या घनत्व वाले अविकसित ग्रामीण क्षेत्र; HTL से पहला 200 मीटर ‘नो डेवलपमेंट जोन’ (NDZ) है।
    • CRZ-IVA: निम्न ज्वार रेखा (LTL) से समुद्र की ओर 12 समुद्री मील तक फैला हुआ जल एवं समुद्री क्षेत्र।
    • CRZ-IVB: ज्वारीय तटों के बीच का जल और तल क्षेत्र, उस बिंदु तक जहाँ सबसे शुष्क मौसम के दौरान लवणता पाँच भाग प्रति हजार तक पहुँच जाती है।
  • मैंग्रोव के लिए
    • सीमित सुरक्षा: वर्ष 2019 की अधिसूचना ने 1,000 वर्ग मीटर से 50 मीटर के बफर जोन तक की सरकारी होल्डिंग्स की कानूनी सुरक्षा को सीमित कर दिया है।
    • निजी भूमि के लिए कोई अनिवार्य बफर नहीं: निजी भूमि पर मैंग्रोव के चारों ओर बफर जोन की आवश्यकता को हटा दिया गया है।
      • इन परिवर्तनों के कारण मैंग्रोव का अधिक दोहन हो सकता है।

केरल के लिए नए CZMP की आवश्यकता

  • व्यापक तटरेखा: केरल की तटरेखा अरब सागर के साथ लगभग 590 किमी. तक फैली हुई है।
  • उच्च तटीय जनसंख्या घनत्व: वर्ष 2011 की जनगणना से पता चलता है कि केरल में जनसंख्या घनत्व 859 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. है, जो राष्ट्रीय औसत 382 से दोगुने से भी अधिक है।
  • महत्त्वपूर्ण तटीय क्षेत्र कवरेज: केरल के 14 जिलों में से 9 जिले तट के किनारे अवस्थित हैं, अनुमानित रूप से पाँच निगम, 36 नगर पालिकाएँ एवं 245 ग्राम पंचायतें 10 तटीय जिलों में तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) के अंतर्गत आती हैं।
  • तीव्र भूमि दबाव: तटीय केरल में राज्य के अन्य हिस्सों की तुलना में उच्च जनसंख्या घनत्व का अनुभव होता है, जिसके परिणामस्वरूप तटीय भूमि संसाधनों पर महत्त्वपूर्ण दबाव पड़ता है।
  • बड़े पैमाने पर CRZ नियमों का उल्लंघन: उच्च जनसांख्यिकीय माँग के कारण, केरल के तट पर CRZ नियमों का व्यापक उल्लंघन देखा गया है। यह भी शामिल है:
    • अवैध भूमि संशोधन: अनधिकृत भूमि संशोधन के हजारों उदाहरण, जैसे आर्द्रभूमि का पुनर्ग्रहण।
    • अनधिकृत निर्माण: तट के किनारे सैकड़ों अवैध निर्माण, जो CRZ प्रतिबंधों की अवहेलना करते हैं।

केरल में CZMP की कार्यान्वयन प्रक्रिया

  • स्वीकृत CZMP की उपलब्धता: केरल सरकार को एक महीने के भीतर केरल तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण की वेबसाइट पर सभी 10 जिलों के लिए हस्ताक्षरित CZMP प्रतियाँ प्रकाशित करनी होंगी।
  • CRZD अधिसूचना, 2019 का आवेदन: CRZ मंजूरी के लिए आवेदन अब CRZ, 2019 दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे, जिसका उद्देश्य स्थानीय समुदायों के लिए सतत् विकास का समर्थन करते हुए तटीय एवं समुद्री पर्यावरण की रक्षा करना है।

केरल के लिए नए CZMP का महत्त्व

  • ‘नो डेवलपमेंट जोन’ (NDZ) में कमी: केरल के CRZ क्षेत्रों में NDZs को घटाकर आधा कर दिया जाएगा। 
    • जैसा कि CRZ 2011 अधिसूचना द्वारा तय किया गया था, यह पहले के 239.431 वर्ग किमी. के मुकाबले 108.397 वर्ग किमी. होगा।
    • ज्वार-प्रभावित जल निकायों के आसपास NDZ को 100 मीटर से घटाकर 50 मीटर कर दिया गया है, विशेष रूप से घनी आबादी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में, जिससे अधिक निर्माण के अवसर मिलते हैं।
      • हालाँकि, कम NDZs से पर्यावरणीय क्षरण हो सकता है, जिसमें तटीय एवं समुद्री प्रजातियों के आवास स्थान का नुकसान, प्रदूषण में वृद्धि तथा विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान शामिल है।
  • स्थानीय आबादी को प्रत्यक्ष लाभ: CZMP की मंजूरी से पहले के निर्माण प्रतिबंधों में ढील, नए आवास एवं मौजूदा घरों की मरम्मत की अनुमति देकर लगभग 10 लाख लोगों को सीधे लाभ होने का अनुमान है।

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