घाटशिला, झारखंड में इंडियन कॉपर कॉम्प्लेक्स (ICC)।
तलोजा, महाराष्ट्र में तलोजा कॉपर प्रोजेक्ट (TCP)।
गुजरात कॉपर प्रोजेक्ट (GCP), झगड़िया, गुजरात।
श्रेणी
यह ताँबे के खनन से संबंधित है, जो उत्तर में सिंघाना से लेकर दक्षिण में रघुनाथगढ़ तक 80 किमी. लंबे ‘मेटलोजेनेटिक प्रांत’ भाग का निर्माण करता है, जिसे ‘खेतड़ी कॉपर बेल्ट’ के नाम से जाना जाता है।
इसमें ‘खेतड़ी’ और ‘कोलिहान’ नामक मशीनीकृत भूमिगत खदानें हैं (क्षमता 1.0 मिलियन टन अयस्क प्रति वर्ष)।
इसमें प्रोटेरोजोइक मेटासेडिमेंट (Proterozoic Metasediments) शामिल हैं, जो ‘बेसमेंट नीस’ पर आधारित हैं और ‘नॉर्थ डेल्ही फोल्ड बेल्ट’ का एक हिस्सा है।
इस बेल्ट के प्रमुख भंडार हैं:खेतड़ी, कोलिहान, बनवास, चाँदमारी, धानी बसरी, बानीवाली की ढाणी (नीम का थाना, राजस्थान)।
अन्य निक्षेप हैं: ढोलमाला, अकवाली, मुरादपुरा-पचेरी (झुँझुनू, राजस्थान) और देवतालाई (भीलवाड़ा, राजस्थान)।
खेतड़ी खदान परिसर का प्रबंधन: खेतड़ी खदान का विकास राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) द्वारा शुरू किया गया था और यह परियोजना वर्ष 1967 में HCL को सौंप दी गई थी, जब HCL का गठन हुआ था।
ताँबा खनिज परिदृश्य
ताँबा प्राकृतिक रूप से पृथ्वी की पर्पटी में विभिन्न रूपों में पाया जाता है।
यह सल्फाइड निक्षेप में (चैल्कोपाइराइट, बोर्नाइट, चैल्कोसाइट, कोवेलाइट के रूप में), कार्बोनेट निक्षेप में (एजुराइट और मैलाकाइट के रूप में), सिलिकेट निक्षेप में (क्राइसोकोला और डायोप्टेज के रूप में) और शुद्ध “देशी” ताँबे के रूप में पाया जा सकता है।
उपयोग के हिसाब से ताँबा दूसरी सबसे बड़ी अलौह धातु है, वर्ष 2020 में परिष्कृत ताँबे की वैश्विक माँग लगभग 25.04 मिलियन टन है।
ताँबे के खनिजों के खनन के तरीके: खुले गड्ढे और भूमिगत
दुनिया में सभी ताँबे के खनन कार्यों का 80% भाग खुले गड्ढेयुक्त खनन द्वारा संपन्न होता है।
ताँबे का निष्कर्षण
खनन किए गए ताँबे के अयस्क को शुरू में अयस्क लाभकारी प्रक्रिया द्वारा कुचल दिया जाता है, पीसा जाता है और एक महीन, भूरे पाउडर में बदल दिया जाता है, जिसे ‘ताँबा सांद्रण’ कहा जाता है।
यदि अयस्क की प्रकृति सल्फाइड है: इसे लाभकारी बनाने के लिए फेन प्लवन प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसमें 1% ताँबायुक्त अयस्क को 25% से अधिक ताँबा युक्त सांद्रण में परिवर्तित किया जाता है।
यदि अयस्क प्रकृति में ऑक्साइड है: तो परिष्कृत ताँबे का उत्पादन करने के लिए इसे विलायक निष्कर्षण (SX) और इलेक्ट्रो-विनिंग (EW) के बाद लीचिंग की क्रिया से गुजारा जाता है।
ताँबे के सांद्रण में 25-35% ताँबा और लोहा एवं सल्फर का भी समान स्तर हो सकता है, सोने और चाँदी की धातुओं सहित अन्य धातुओं का मामूली प्रतिशत निर्भर करता है।
भारत में ताँबे का भंडार और उत्पादन
ताँबे के अयस्क का सबसे बड़ा भंडार/संसाधन: राजस्थान में लगभग 868 मिलियन टन (52.25%), इसके बाद मध्य प्रदेश में लगभग 387 मिलियन टन (23.28%) और झारखंड में 251 मिलियन टन (15.14%) है।
सबसे बड़ा उत्पादक: मध्य प्रदेश ताँबे सांद्रण का अग्रणी उत्पादक था, जिसका वर्ष 2022 में लगभग 56% हिस्सा था, उसके बाद राजस्थान (43%) का स्थान था।
निम्न धातु सामग्री: भारत में 1% से कम धातु सामग्री वाला निम्न श्रेणी का ताँबा अयस्क पाया जाता है, जबकि ताँबे के अयस्क धातु सामग्री का अंतरराष्ट्रीय औसत 2.5% है।
वैश्विक स्तर पर
वैश्विक ताँबे के उत्पादन की 27% हिस्सेदारी के साथ चिली दुनिया में शीर्ष ताँबा उत्पादक राष्ट्र है।
यहाँ दुनिया की दो सबसे बड़ी ताँबा खदानें, एस्कोन्डिडा (Escondida) और कोलाहुआसी (Collahuasi) हैं।
चिली के बाद पेरू का स्थान है, जिसकी वैश्विक उत्पादन के 10% हिस्सेदारी है।
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