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कोणार्क का सूर्य मंदिर

Lokesh Pal January 22, 2025 04:23 7 0

संदर्भ

केंद्रीय खनन मंत्रालय ने ओडिशा सरकार के सहयोग से ओडिशा के सूर्य मंदिर, कोणार्क में जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) प्रदर्शनी का आयोजन किया है।

संबंधित तथ्य

  • सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम ने सूर्य मंदिर का दौरा किया एवं इसकी वैश्विक प्रमुखता तथा ओडिशा की समृद्ध शिल्प कौशल पर प्रकाश डाला।

कोणार्क सूर्य मंदिर 

  • अवस्थिति: ओडिशा के पुरी जिले में समुद्र तट पर स्थित है।
  • अन्य नाम: सूर्य देवालय के नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर हिंदू भगवान सूर्य को समर्पित है।
  • निर्माण: 1250 ईसवी में पूर्वी गंग राजवंश के नरसिम्हा देव प्रथम (1238-1264) द्वारा निर्मित।
  • सामग्री: खोंडालाइट चट्टानों से निर्मित, इसके गहरे रंग के कारण इसे “ब्लैक पैगोडा” उपनाम दिया गया है।

कोणार्क सूर्य मंदिर की वास्तुकला

  • शैली: कलिंगन मंदिर वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करती है।

  • प्रमुख विशेषताएँ
    • विमान: वह मीनार जिसमें कभी एक शानदार शिखर हुआ करता था (जो 19वीं सदी में ढह गया)।
    • जगमोहन: पिरामिडनुमा दर्शक कक्ष।
    • नटमंदिर: ऊँचा एवं छत रहित नृत्य मंच।
  • प्रतीकवाद
    • 24 जटिल नक्काशीदार पहियों एवं 7 घोड़ों के साथ सूर्य के रथ के रूप में डिजाइन किया गया।
    • 7 घोड़े सप्ताह के 7 दिनों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • UNESCO स्थिति: मंदिर को वर्ष 1984 में UNESCO विश्व धरोहर स्थल नामित किया गया था।
  • दिशा: पूर्व की ओर मुख है, इसलिए सूर्योदय की पहली किरणें प्रवेश द्वार को प्रकाशित करती हैं।

  • सूर्यघड़ी (Sundials): मंदिर के पहिये एक सूर्य घड़ी के रूप में कार्य करते हैं, जो मिनट तक समय मापने में सक्षम हैं।
  • मूर्तियाँ: आधार की दीवारें जानवरों, पत्ते, योद्धाओं एवं अन्य रूपांकनों की नक्काशी से ससुसज्जित  हैं।
  • पुनर्स्थापन: प्रवेश कक्ष को पुनर्स्थापित करने की एक परियोजना वर्ष 2022 में प्रारंभ की गई थी।

कलिंग वास्तुकला के बारे में

  • कलिंग शैली को नागर श्रेणी के अंतर्गत एक उपवर्ग के रूप में पहचाना जाता है।
  • संरचना: मंदिरों में दो प्राथमिक खंड होते हैं:
    • देउला: टावर।
    • जगमोहन: हाल।
  • सजावट: देउला और जगमोहन दोनों की दीवारों पर प्रचुर मात्रा में आकृतियाँ और डिजाइन उकेरी गई हैं।
  • देउला के प्रकार 
    • रेखा देउला: ऊर्ध्वाधर, घुमावदार मीनारें, जो विष्णु, सूर्य एवं शिव से संबंधित हैं।
    • पिधा देउला: सीढ़ीदार पिरामिड के आकार की संरचनाएँ, बाहरी नृत्य एवं भेंट हॉल।
    • खाखरा देउला: मुख्य रूप से चामुंडा और दुर्गा मंदिरों के लिए लंबी तिजोरी जैसी संरचनाएँ।
  • द्रविड़ एवं नागर शैली का प्रभाव
    • द्रविड़ शैली: कुछ मूर्तिकला रूपांकनों में देखी गई।
    • नागर शैली: इस मंदिर के  ऊर्ध्वाधर शिखरों एवं गर्भगृह डिजाइनों में स्पष्ट है।

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