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कोंध जनजाति

Lokesh Pal August 19, 2024 02:18 69 0

संदर्भ

कोंध जनजाति (Kondh Tribe) में प्रचलित कृषि प्रथाओं में इस जनजाति की महिलाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उनकी भूमिका पारंपरिक तरीकों से बोए गए धान के बीजों की रखवाली से शुरू होती है, जिससे ग्रामीणों की सभी प्रकार की भूमि की सिंचाई के लिए वर्षा जल का समान वितरण सुनिश्चित होता है और कटाई के दौरान पुरुषों के साथ कार्य का बोझ साझा करना पड़ता है, जबकि अन्य जनजातियाँ आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा पर सिलेरू नदी के किनारे बसी हैं।

कोंध जनजाति (Kondh Tribe) के बारे में

  • कोंध भारत का एक आदिवासी समुदाय है, जो पारंपरिक रूप से शिकारी और संग्राहक है। 
  • सांस्कृतिक विभाजन (Cultural Division): यह जनजाति पहाड़ी-निवासी और मैदानी-निवासी समूहों में विभाजित है, लेकिन इन्हें अक्सर विभिन्न कुलों द्वारा पहचाना जाता है। 

  • भाषा: कुई (Kui) बोली और लिखावट में ओड़िया लिपि का प्रयोग करते हैं। 
  • कोंध जनजाति को आठ राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा प्राप्त है। 
    • ये आदिवासी समूह अपनी पृथ्वी देवी की पूजा करने के लिए भैंसे की बलि की रस्म निभाते हैं, जिसे ‘केडू’ (Kedu) कहा जाता है। 
  • जनजातीय प्रवास और बस्ती (Tribal Migration and Settlement)
    • प्रवास संबंधी इतिहास: कोंध जनजाति अराकू घाटी से प्रवास करके आंध्र प्रदेश-उड़ीसा सीमा पर सिलेरू नदी के पास बस गई। 
      • इनमें से कई बस्तियाँ 1970 के दशक के बाद जलविद्युत परियोजनाओं में कार्य के अवसरों के कारण विकसित हुईं। 
    • वर्तमान स्थिति: यह क्षेत्र वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित है, तथा यहाँ गांजा जैसी अवैध फसलों की खेती प्रचलित है। 
  • कृषि पद्धतियाँ
    • वे झूम कृषि (Slash-and-Burn Agriculture), शिकार और संग्रहण का कार्य करते हैं, तथा वनों से मजबूत संबंध बनाए रखते हैं।
      • हल्दी की खेती: कोंध जनजाति आय सृजन के लिए जैविक हल्दी की खेती करती है।
        • आत्मनिर्भरता: ये समूह चिकित्सा और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए हल्दी बेचते हैं। 
    • सतत कृषि पद्धतियाँ
      • आत्मनिर्भरता: कोंध परिवार अपने उपभोग के लिए धान उगाते हैं और बिना उर्वरक या कीटनाशकों के बाजरा और सब्जियाँ भी उगाते हैं। 
      • बीज साझा करना: बीजों को कोंध परिवारों के बीच साझा किया जाता है और पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके संरक्षित किया जाता है।
    • चरणबद्ध खेती (Step Farming)
      • जल प्रबंधन: वर्षा जल के प्रवाह को नियंत्रित करने और कटाव को रोकने के लिए पत्थर के तटबंधों के साथ सीढ़ीनुमा खेती। 
      • जल आपूर्ति: खेतों की सिंचाई नदियों और झरनों से की जाती है; मक्का शुष्क मौसम में उगाया जाता है। 
  • महिलाओं की भूमिका
    • सहयोग: कोंध महिलाएँ, कई भूमि जोतों की रक्षा करने और आपात स्थिति के दौरान पड़ोसियों की मदद करने के लिए मिलकर कार्य करती हैं। 
      • महिलाएँ जल वितरण और सिंचाई चैनलों की देखरेख करती हैं।

पहाड़ों में धान की खेती

  • प्रत्यक्ष बुवाई (Direct Sowing): पहाड़ी क्षेत्रों में बीजों की बुआई प्रत्यक्ष रूप से की जाती हैं, जबकि मैदानी क्षेत्रों में पौध को रोपाई से पहले नर्सरी में उगाया जाता है। 
  • छोटी भूमि जोत (Small Land Holdings): अधिकांश कोंध परिवारों के पास परिवर्तित वन भूमि का 20 प्रतिशत से भी कम हिस्सा है। 

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