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कुचिपुड़ी नृत्य (Kuchipudi Dance)

Samsul Ansari January 23, 2024 03:58 468 0

संदर्भ

कुचिपुड़ी नृत्यांगना पेंड्याला लक्ष्मी प्रिया (Pendyala Lakshmi Priya) को भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar) से सम्मानित किया गया।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP) के बारे में

  • PMRBP पुरस्कार असाधारण क्षमताओं और उत्कृष्ट उपलब्धियों वाले बच्चों को दिए जाते हैं।
  • योग्यता
  • आयु सीमा: 5-18 वर्ष का बच्चा जो भारतीय नागरिक है और भारत में रहता है।
    • उनकी उपलब्धियों में सतत् समर्पण और प्रयास दिखना चाहिए।
  • पुरस्कारों की श्रेणियाँ: बहादुरी, कला और संस्कृति, पर्यावरण, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा और खेल।
  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP) भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत दिए जाते हैं।

कुचिपुड़ी नृत्य के बारे में

उत्पत्ति

  • कुचिपुड़ी नृत्य की उत्पत्ति आंध्र प्रदेश से हुई, जहाँ यह 7वीं शताब्दी ईसवी में शुरू हुए भक्ति आंदोलन के सह-कारक के रूप में बड़े पैमाने पर विकसित हुआ।
    • 17वीं शताब्दी में, वर्तमान कुचिपुड़ी नृत्य शैली की कल्पना एक वैष्णव कवि सिद्धेंद्र योगी (Siddhendra Yogi) ने की थी।
    • इसके विकास का पता पारंपरिक नृत्य-नाटक से लगाया जा सकता है, जिसे यक्षगान (Yakshagaana) के सामान्य नाम से जाना जाता है।
  • विशेषताएँ
    •  कुचिपुड़ी नृत्य तेज कदमों का उपयोग, नाटकीय अभिव्यक्ति और कहानी कहने के लिए जाना जाता है।
    • इस नृत्य में ऊर्जा के दो रूपों (अर्थात तांडव एवं लास्य) को लयबद्ध किया जाता है।
  • विशिष्ट विशेषता:  नृत्य करना और पीतल की थाली हिलाना।
    • नर्तकों को नृत्य, अभिनय, संस्कृत/तेलुगु कौशल, संगीत और पांडुलिपियों की आवश्यकता होती है।
    • इसमें हल्के मेकअप और बुरुगु लकड़ी से बने आभूषणों की आवश्यकता होती है।
  • तरंगम (Tarangam) के साथ समापन होता है, जहाँ नर्तक पीतल की थाली पर खड़े हो कर थाली को लयबद्ध तरीके से घुमाते हैं।
    • संगीत वाद्ययंत्र: मृदंगम (Mridangam), झाँझ (Cymbals), वीणा (Veena), बाँसुरी (Flute), तंबूरा (Tambura)।
    • शैलियाँ: व्यक्तिगत शिक्षकों की रचनात्मकता के कारण इसकी विभिन्न क्षेत्रीय विविधताएँ हैं।
  • प्रारूप 
  • यह 3 श्रेणियों का अनुसरण करता है– नृत्त (शुद्ध नृत्य), नृत्य (हाथ के इशारों से अभिव्यंजक नृत्य) और नाट्य (नाटक)।
  • इस नृत्य की शुरुआत भगवान गणेश के आह्वान, चरित्र परिचय और नृत्य से होती है।
  • इसके बाद हाथ के संकेतो से कहानी सुनाने के साथ अभिव्यंजक नृत्य शुरू किया जाता है।
  • कुचिपुड़ी प्रदर्शन में सूत्रधार या नट्टुवनार शामिल है। वह संपूर्ण प्रदर्शन का संचालक है।
  • कुचिपुड़ी नृत्य कर्नाटक संगीत के साथ होता है।
    • वर्तमान में, कुचिपुड़ी को एकल, युगल या सामूहिक रूप में प्रस्तुत किया जाता है लेकिन ऐतिहासिक रूप से इसे एक नृत्य नाटिका के रूप में प्रदर्शित किया जाता था, जिसमें कई नर्तक अलग-अलग भूमिकाएँ निभाते थे।

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