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ला नीना

Lokesh Pal October 17, 2025 03:29 8 0

संदर्भ

विशेषज्ञों का अनुमान है कि अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) के एक चरण, ला नीना के कारण भारत में सर्दी का मौसम अधिक ठंडा हो सकता है।

ला नीना क्या है?

  • ला नीना एक जलवायु परिघटना है, जो अल नीनो का प्रतिरूप है।
  • प्रकृति: इसकी विशेषता मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का औसत से कम तापमान है। यह शीतलन वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न को प्रभावित करता है, जिससे वैश्विक मौसम प्रणालियों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं।

‘ला नीना’ कैसे घटित होता है?

  • ला नीना, अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) चक्र का हिस्सा है, जिसमें तीन चरण शामिल हैं:
    • अल नीनो (गर्म चरण): पूर्वी प्रशांत महासागर में सामान्य से अधिक गर्म समुद्री तापमान की विशेषता।
    • ला नीना (ठंडा चरण): मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में सामान्य से अधिक ठंडे समुद्री तापमान संबंधी विशेषता
    • तटस्थ चरण: न तो अल नीनो और न ही ला नीना की स्थितियाँ प्रबल होती हैं।

  • जलवायु प्रभाव: ENSO वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण को प्रभावित करता है, तथा पूरे विश्व में मौसम के पैटर्न को प्रभावित करता है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा और तापमान पैटर्न भी शामिल हैं।

‘ला नीना’ की क्रियाविधि

  • पवन प्रणालियाँ: ‘ला नीना’ के दौरान, व्यापारिक पवनें प्रबल हो जाती हैं, जो गर्म सतही जल को पश्चिम की ओर तथा इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया की ओर प्रवाहित करती हैं।
  • प्रशांत महासागर पर प्रभाव: इस विस्थापन के कारण दक्षिण अमेरिका के तट पर ठंडा जल ऊपर की ओर आता है, जिससे मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर ठंडा हो जाता है।
    • पूर्वी प्रशांत महासागर में ठंड के कारण वैश्विक मौसम प्रणालियों में तापमान में उतार-चढ़ाव होता है।

‘ला नीना’ के वैश्विक प्रभाव

  • उत्तरी अमेरिका: उत्तरी अमेरिका और कनाडा में आमतौर पर ठंडी और आर्द्र सर्दियाँ होती हैं, जबकि दक्षिणी अमेरिका में शुष्क मौसम हो सकता है।
  • दक्षिण अमेरिका: पेरू और इक्वाडोर जैसे देशों सहित पश्चिमी तट प्रायः सामान्य से अधिक शुष्क मौसम का सामना करते हैं, जिससे सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया: इन क्षेत्रों में आमतौर पर औसत से अधिक वर्षा होती है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।

भारत पर ‘ला नीना’ का प्रभाव

  • अत्यधिक सर्द शीत ऋतु: ‘ला नीना’ परिघटना सामान्यतः भारत उपमहाद्वीप, विशेषतः उत्तरी तथा हिमालयीय क्षेत्रों में, औसत से निम्न तापमान वाली अत्यधिक शीत ऋतु की परिस्थितियों से संबद्ध होती है। इसके परिणामस्वरूप:
    • मैदानी क्षेत्रों में शीत लहरें।
    • पर्वतों पर बर्फबारी में वृद्धि, जिसका प्रभाव कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों पर पड़ा।
  • वर्षा पैटर्न: यद्यपि ‘ला नीना’ वर्षा में वृद्धि से जुड़ा है, भारत पर इसका प्राथमिक प्रभाव तापमान में गिरावट है, जिससे जलवायु ठंडी होती है।
    • सामान्य से अधिक वर्षा कृषि के लिए लाभदायक है।

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