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गहन समुद्र में खनन नियमों पर आम सहमति का अभाव

Lokesh Pal July 24, 2025 03:07 19 0

संदर्भ

संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रक्रिया में तेजी लाने के दबाव के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) गहन समुद्र में खनन से संबंधित नियमों को अंतिम रूप देने हेतु सदस्य देशों के बीच आम सहमति स्थापित करने में असफल रहा है।

संबंधित तथ्य

  • संयुक्त राज्य अमेरिका न तो UNCLOS का पक्षकार है और न ही ISA (International Seabed Authority) का पूर्ण सदस्य, फिर भी ट्रंप प्रशासन ने वर्ष 1980 के एक घरेलू कानून का उपयोग करते हुए खनन परमिटों को शीघ्र जारी करने का निर्देश दिया।

अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) वार्ता में प्रमुख घटनाक्रम

  • प्रस्तावित खनन संहिता: अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) के 36 सदस्य देशों ने हाल ही में 107 नियमों वाले एक मसौदे की समीक्षा की है, लेकिन अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है—विशेषतः समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा के उपायों पर।
  • आम सहमति का अभाव: समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण नियम अब भी अनसुलझे हैं। अनेक सदस्य देश यह माँग कर रहे हैं कि गहन समुद्र में खनन प्रारंभ होने से पूर्व अधिक वैज्ञानिक आँकड़ों और प्रभाव आकलन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
  • स्थगन: चिली और 36 अन्य देशों ने व्यापक वैज्ञानिक प्रभाव आकलन पूरा होने तक गहन समुद्र में खनन पर रोक लगाने की माँग की है।

अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) के बारे में

  • वर्ष 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) के तहत स्थापित।
  • यह प्रावधान वर्ष 1994 में लागू हुआ और वर्ष 1996 तक पूरी तरह प्रभावी रूप से क्रियान्वित कर दिया गया।
  • मुख्यालय: किंग्स्टन, जमैका।
  • अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) यह निकाय राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे स्थित समुद्र तल में होने वाली गतिविधियों को नियंत्रित करता है तथा यह तय करता है कि गहन समुद्र में खनन की अनुमति दी जाए या नहीं और यदि दी जाए तो किन शर्तों एवं नियमों के अधीन दी जाए।
  • अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) खनन में परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए नियम विकसित कर रहा है और वर्तमान में कंपनियों तथा देशों से खनन परमिट के आवेदन स्वीकार कर रहा है।
  • गहन समुद्र में खनन की वर्तमान स्थिति: गहन समुद्र में खनन अभी तक व्यावसायिक रूप से नहीं किया गया है, लेकिन उपकरणों के परीक्षण के लिए अन्वेषणात्मक खनन छोटे पैमाने पर किया गया है।
    • खनिज अन्वेषण: अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) ने वर्ष 2022 तक अंतरराष्ट्रीय समुद्र तल के 15 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में विस्तृत गहन समुद्र में खनिज भंडारों के अन्वेषण के लिए 31 अनुबंध जारी किए हैं।
    • भारत के साथ अन्वेषण अनुबंध: भारत के पास हिंद महासागर में दो अन्वेषण अनुबंध हैं और उसने वर्ष 2024 में दो और अनुबंधों के लिए आवेदन किया है।

गहन समुद्र में खनन के बारे में

  • गहन समुद्र में खनन, समुद्र तल, अर्थात् 200 मीटर नीचे के समुद्र से खनिज भंडार और धातुओं का निष्कर्षण और उत्खनन करने की प्रक्रिया है।
  • लक्षित खनिज भंडार
    • बहुधात्विक पिंड: ये चट्टान जैसी संरचनाएँ हैं, जो मैंगनीज, निकल, ताँबा और कोबाल्ट जैसी धातुओं से युक्त होती हैं और गहरे सागरों में पाई जाती हैं।
    • कोबाल्ट-समृद्ध क्रस्ट: ये कोबाल्ट, मैंगनीज और निकल जैसी धातुओं से समृद्ध होती हैं, और मुख्यतः समुद्री पर्वतों  (जल के नीचे स्थित पर्वतों) की चट्टानों की सतहों पर पाई जाती हैं।
    • समुद्र तल के विशाल सल्फाइड (Seafloor Massive Sulfides – SMS): ऐसे खनिज निक्षेप हैं, जो मुख्यतः हाइड्रोथर्मल वेंट्स के आस-पास निर्मित होते हैं। इनमें ताँबा, सोना, चाँदी और जस्ता जैसी बहुमूल्य धातुएँ उच्च मात्रा में पाई जाती हैं।
  • ये खनिज बैटरी उत्पादन, नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और मोबाइल फोन और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

गहन समुद्र में खनन के संभावित लाभ

  • डीकार्बोनाइजेशन प्रयास: डीकार्बोनाइजेशन के वैश्विक प्रयासों के लिए आवश्यक महत्त्वपूर्ण खनिजों (क्रिटिकल मिनरल्स) की भविष्य में बढ़ती माँग को पूरा करने में गहन समुद्र के संसाधन उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।
  • वैश्विक माँग में वृद्धि: आने वाले दशकों में कुछ ऐसे खनिजों की माँग में 400%-600% तक की वृद्धि होने का अनुमान है क्योंकि विश्व पवन और सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरियों और अन्य शून्य-कार्बन प्रौद्योगिकियों पर अपनी निर्भरता बढ़ा रही है।
  • भूमि आधारित स्रोत का पूरक: भूमि पर खनिज संसाधनों की कमी और व्यवहार्य भंडारों का पता लगाने तथा खनन एवं प्रसंस्करण कार्यों को तेजी से बढ़ाने में आने वाली बाधाओं को आपूर्ति शृंखला में निरंतर प्रवाह बनाए रखने के लिए गहन समुद्र के संसाधनों द्वारा पूरा किया जाएगा।

गहरे समुद्र में खनन से संबंधित चिंताएँ

  • प्रदूषण में वृद्धि: व्हेल, टूना और शार्क जैसी समुद्री प्रजातियाँ खनन उपकरणों और सतही जहाजों से उत्पन्न होने वाले शोर, कंपन तथा प्रकाश प्रदूषण के साथ-साथ ईंधन एवं विषाक्त उत्पादों के संभावित रिसाव और फैलाव से प्रभावित हो सकती हैं।
  • अवसाद का निक्षेपण: सतही खनन से समुद्र की तह में जमा महीन अवसाद ऊपर उठ सकते हैं, जिससे जल में धुंध जैसा फैलाव हो सकता है। यह जलजीवों का दम घोंट सकता है, छानकर खाना ग्रहण करने वाले जीवों को नुकसान पहुँचा सकता है और उनके बीच होने वाले दृश्य संकेतों को भी बाधित कर सकता है।।
    • खनन जहाजों द्वारा सतह पर अपशिष्ट जल के निष्कर्षण से समस्या और बढ़ जाएगी।
  • आवास विनाश: समुद्र तल की खुदाई और मापन से गहन समुद्र के आवासों में परिवर्तन या विनाश हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप कई स्थानिक प्रजातियों का विलुप्त होना और पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना एवं कार्य का विखंडन या क्षति हो सकती है।
  • जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा: गहन समुद्र में खनन जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया को और बढ़ा सकता है क्योंकि यह गहरे समुद्र के कार्बन सिंक (बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संगृहीत करने) गुणों को बाधित करेगा।
  • शासन संरचना का अभाव: गहन समुद्र में खनन को जिम्मेदारी और स्थायित्वपूर्वक संचालित करने के लिए प्रभावी अंतरराष्ट्रीय नियमों तथा शासन व्यवस्था के अभाव को लेकर चिंताएँ हैं।
  • आर्थिक और सामाजिक जोखिम: गहरे समुद्र में खनन उद्योग को भूमि अधिग्रहण और विकास की आवश्यकता वाली सामग्री के प्रसंस्करण या परिवहन के लिए तटरेखा सुविधाओं की आवश्यकता होगी, जिससे आवास की हानि होगी और समुद्री संसाधनों पर निर्भर तटीय समुदायों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा।

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