लैंसेट में प्रकाशित नए अध्ययन के अनुसार, वर्ष 1990 से 2021 के बीच जीवन प्रत्याशा में 6.2 वर्ष की वैश्विक वृद्धि हुई है।
जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy)
यह व्यक्ति के जीवनकाल की अवधि को दर्शाता है।
इसकी गणना किसी विशेष समूह के व्यक्तियों की औसत आयु के आधार पर ज्ञात की जाती है, जिस आयु के बाद निधन की संभावना बढ़ जाती है।
मृत्यु दर (Mortality Rate)
यह एक निश्चित अवधि में किसी निर्धारित जनसंख्या में होने वाली मौतों की संख्या है।
सामान्य तौर पर, मृत्यु दर की गणना प्रति वर्ष प्रति 1,000 व्यक्तियों पर होने वाली मौतों की संख्या के रूप में की जाती है।
संबंधित तथ्य
मृत्यु दर में गिरावट का प्राथमिक कारण आँत संक्रमण, श्वसन संक्रमण, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी बीमारियों में कमी है।
वहीं दूसरी ओर, कई देशों में COVID-19 महामारी के कारण मृत्यु दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
कारण
वृद्धि (वर्षों में)
आँत संक्रमण से होने वाली मौतों में कमी
1-1.5 वर्ष
श्वसन संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या में गिरावट
0.9 वर्ष
फेफड़ों संबंधी रोगों से होने वाली मौतों में कमी
0.5 वर्ष
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के महत्त्वपूर्ण कारण
आँत संक्रमण: आँत संबंधी बीमारियाँ भोजन और जलजनित होती हैं।
जीवाणु, परजीवी और विषाणु से होने वाली बीमारियों पर नियंत्रण ने मृत्यु दर को कम करने में सर्वाधिक योगदान दिया है। इनमें टाइफाइड और दस्त (Diarrhoea) जैसी बीमारियाँ शामिल हैं।
जीवन प्रत्याशा: इन बीमारियों से होने वाली मौतों में कमी के कारण वर्ष 1990 से 2021 के दौरान जीवन प्रत्याशा में 1 से 1.5 वर्ष की वृद्धि हुई है।
बाद के दशकों की तुलना में वर्ष 1990 से 2000 के बीच सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।
आँत संक्रमण में कमी के कारण दक्षिण एशिया क्षेत्र में जीवन प्रत्याशा में महत्त्वपूर्ण वृद्धि (3.1 वर्ष) देखी गई है।
श्वसन संबंधी संक्रमण: शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया है कि जीवन प्रत्याशा में वृद्धि का दूसरा सबसे बड़ा कारण श्वसन संबंधी संक्रमण से होने वाली मौतों में कमी है।
इसके कारण वर्ष 1990 से 2021 के बीच जीवन प्रत्याशा में 0.9 वर्ष की वृद्धि हुई है।
फेफड़ा संबंधी रोग: शोधकर्ताओं ने पाया है कि श्वसन रोगों में गिरावट के कारण जीवन प्रत्याशा में 0.5 वर्ष की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि में चीन में मृत्यु दर में सुधार तथा पूर्वी एशिया का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
खसरे से होने वाली मौतों में कमी
टीके से रोकथाम योग्य रोग: खसरे जैसी टीका-निवारक रोगों से होने वाली मौतों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।
भौगोलिक सघनता: खसरे से होने वाली मौतों में कमी एक महत्त्वपूर्ण घटना थी किंतु यह गिरावट विशेष रूप से पश्चिमी और पूर्वी उप-सहारा अफ्रीका में भौगोलिक रूप से केंद्रित थी।
पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु: अध्ययन में खसरे के कारण पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु में गिरावट देखी गई है।
पाचन संबंधी रोगों और सिरोसिस (Cirrhosis) से निरंतर खतरा: कुछ चिकित्सीय क्षेत्रों में प्रगति के बावजूद, अध्ययन में पाचन संबंधी रोगों और सिरोसिस के कारण संभावित खतरों की पहचान की गई है।
वर्ष 2010 से 2019 के दौरान इन समस्याओं को संबोधित करने के बावजूद उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ, फलस्वरूप यह अभी भी स्वास्थ्य संबंधी चिंता के रूप में बना हुआ है।
मधुमेह और गुर्दे की बीमारियों का प्रभाव: मधुमेह और गुर्दे की बीमारियों के कारण जीवन प्रत्याशा में 0.1 वर्ष की वैश्विक कमी दर्ज की गई है।
ऐसी स्थितियाँ वैश्विक स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त चुनौतियाँ पैदा करती हैं जिस पर निरंतर ध्यान देने एवं उसे संबोधित करने की आवश्यकता है।
वैश्विक जीवन प्रत्याशा पर COVID-19 का प्रभाव
आयु आधारित मौतों के प्रमुख कारण: मृत्यु के प्राथमिक कारण वर्ष 1990 से वर्ष 2019 के बीच अपरिवर्तित रहे, किंतु COVID-19 महामारी ने इन कारणों की दिशा बदल दी।
वर्ष 2019 में, विश्व स्तर पर आयु आधारित मौतों के प्रमुख कारण हृदय रोग, स्ट्रोक, फेफड़े संबंधी रोग और श्वसन संक्रमण थे।
किंतु वर्ष 2021 तक, आयु आधारित मौतों का दूसरा प्रमुख कारण स्ट्रोक की जगह COVID-19 महामारी ने ले लिया।
मृत्यु और जीवन प्रत्याशा: COVID-19 महामारी के कारण वर्ष 2021 में प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर 94 मौतें हुईं हैं, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2019 और 2021 के बीच वैश्विक जीवन प्रत्याशा में 1.6 वर्ष की गिरावट आई है।
विभिन्न क्षेत्रों में कोविड-19 की अलग-अलग गंभीरता: लैटिन अमेरिका में जीवन प्रत्याशा में 4.9 वर्षों की उल्लेखनीय कमी आई है, जबकि पूर्वी एशिया में न्यूनतम परिवर्तन देखा गया है।
उप-सहारा अफ्रीका को विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि कोविड-19 महामारी ने मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं जैसे HIV /AIDS से होने वाली मौतों की बढ़ोतरी में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
मृत्यु के अतिरिक्त कारणों की पहचान
शोधकर्ताओं ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज की रिपोर्ट (2021) में मौत के 12 नए कारणों का जिक्र किया है।
COVID-19 और अन्य महामारी से संबंधित मृत्यु दर को बढ़ाने वाली बीमारियाँ
फेफड़ों की धमनियों में गड़बड़ी से उच्च रक्तचाप की बीमारी
विभिन्न प्रकार के कैंसर
आगे की राह
शेष चुनौतियों पर ध्यान देना: अध्ययन के अनुसार, पाचन संबंधी बीमारियों, सिरोसिस और मधुमेह जैसे खतरों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही इन क्षेत्रों में अनुसंधान और सरकारी हस्तक्षेप को प्राथमिकता देनी चाहिए।
टीकाकरण कार्यक्रम: समुचित नीति निर्माण के माध्यम से टीके से बचाव योग्य बीमारियों के इलाज के लिए नियमित वित्तपोषण करना तथा टीकाकरण तक लोगों की पहुँच सुनिश्चित करना।
इसके अंतर्गत टीकाकरण कार्यक्रमों को मजबूत करना और विस्तार करना शामिल है।
साथ ही, ई. कोली (E. coli), नोरोवायरस (Norovirus) और शिगेला (Shigella) जैसे रोगजनकों के लिए नए टीके का विकास करना शामिल है।
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