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भूमि अंतराल रिपोर्ट, 2025

Lokesh Pal November 17, 2025 02:25 20 0

संदर्भ

हाल ही में COP-30 में जारी भूमि अंतराल रिपोर्ट 2025 में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक जलवायु प्रतिज्ञाएँ भूमि-आधारित कार्बन निष्कासन (Land Based Carbon Removal- LBCR) पर तेजी से निर्भर हो रही हैं।

भूमि अंतराल रिपोर्ट, 2025 के बारे में

  • परिचय: भूमि अंतराल रिपोर्ट, 2025 यह आकलन करती है कि क्या देशों की नेट-जीरो रणनीतियाँ उपलब्ध भूमि और पारिस्थितिकी स्थिरता के साथ वास्तविक रूप से संरेखित हैं।
  • प्रकाशक: यह रिपोर्ट मेलबर्न विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई है और इसमें वैश्विक जलवायु नीति शोधकर्ताओं का योगदान है।
  • महत्त्व: यह भूमि-आधारित कार्बन निष्कासन योजनाओं और मौजूदा वनों के संरक्षण की तत्काल आवश्यकता के बीच बढ़ते अंतर को उजागर करती है और जलवायु वार्ताओं के लिए महत्त्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत करती है।

भूमि अंतराल रिपोर्ट 2025 के प्रमुख निष्कर्ष

  • भारी भूमि आवश्यकता: रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े वादों को पूरा करने के लिए एक अरब हेक्टेयर से अधिक भूमि (ऑस्ट्रेलिया से भी बड़ा क्षेत्र) की आवश्यकता होगी।
  • अवास्तविक समाधानों पर अत्यधिक निर्भरता: सरकारें वन संरक्षण और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली को प्राथमिकता देने के बजाय भूमि-आधारित कार्बन निष्कासन (LBCR) पर अत्यधिक निर्भर हैं।
  • सामाजिक और पारिस्थितिकी क्षति का जोखिम: कई LBCR योजनाओं से ‘हरित उपनिवेशवाद’ की पुनरावृत्ति का खतरा है, जहाँ समुदाय लाभ प्राप्त किए बिना जलवायु समाधानों का बोझ उठाते हैं।
    • इसमें चेतावनी दी गई है कि जैव ऊर्जा, कार्बन कैप्चर और वृक्षारोपण के लिए बड़े पैमाने पर भूमि का उपयोग कमजोर समुदायों को विस्थापित कर सकता है और खाद्य असुरक्षा को बढ़ा सकता है।
  • वन संरक्षण की उपेक्षा: अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि मौजूदा वनों को जलवायु योजनाओं में नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि ये सबसे प्रभावी और तात्कालिक कार्बन सिंक हैं।
  • वन हानि के आर्थिक कारक: इसमें बताया गया है कि ऋण का बोझ, व्यापार प्रणालियाँ और आर्थिक संरचनाएँ कई देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए वनों का दोहन करने के लिए मजबूर करती हैं, जिससे स्थिरता के लक्ष्य कमजोर होते हैं।

भूमि-आधारित कार्बन निष्कासन (LBCR) के बारे में

  • भूमि-आधारित कार्बन निष्कासन (LBCR) जलवायु शमन रणनीतियों के एक व्यापक समूह को संदर्भित करता है, जो वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संगृहीत करने के लिए वनों, मिट्टी, आर्द्रभूमि, पीटलैंड और कृषि परिदृश्य जैसे स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्रों पर निर्भर करता है।
  • ये प्रकृति-आधारित या संकर तकनीकें पेरिस समझौते के तहत कई राष्ट्रीय जलवायु प्रतिज्ञाओं का मुख्य घटक हैं, लेकिन इनका बड़े पैमाने पर अनुप्रयोग भूमि की उपलब्धता और पारिस्थितिक प्रभावों के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करता है।

LBCR की विधियाँ

  • पुनर्वनीकरण और वनरोपण: ये सबसे व्यापक रूप से प्रचारित कार्बन निष्कासन रणनीतियों में से हैं।
    • IPCC के अनुमानों के अनुसार, ये प्रतिवर्ष 0.5 – 10.1 गीगाटन CO₂ को कम कर सकते हैं, हालाँकि बड़े वृक्षारोपण खाद्य फसलों और जैव विविधता-समृद्ध क्षेत्रों के साथ प्रतिस्पर्द्धा कर सकते हैं।
  • मृदा कार्बन संचयन: इसमें बिना जुताई वाली कृषि, आवरण फसल और जैविक संशोधन जैसी प्रथाओं के माध्यम से मृदा कार्बनिक कार्बन को बढ़ाना शामिल है। यह मृदा उर्वरता में सुधार तो करता है, लेकिन कटाव या सूखे से कार्बन वृद्धि की प्रक्रिया को आसानी से परिवर्तित कर सकता है।
  • कार्बन संचयन और भंडारण के साथ जैव ऊर्जा (BECCS): ऊर्जा आधारित फसलों (जैसे- सिल्वरग्रास) की कृषि की जाती है, ऊर्जा के लिए इन्हें जलाया जाता है, और उत्सर्जित CO₂ को भूमिगत रूप से संगृहीत किया जाता है।
    • BECCS अत्यधिक भूमि- और जल-प्रधान है, जिससे अक्सर समुदायों के विस्थापन का खतरा रहता है।
  • भू-गर्भीय कार्बन निक्षेपण: संचित CO₂ को भूमिगत गहराई में छिद्रयुक्त चट्टानों में प्रक्षेपित किया जाता है, जिससे रिसाव को रोकने के लिए कड़ी निगरानी की आवश्यकता होती है।
  • बायोचार: स्थिर कार्बन बनाने के लिए बायोमास को कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में जलाया जाता है, जिसे जब मिट्टी में मिलाया जाता है, तो उर्वरता में सुधार होता है और कार्बन सदियों तक मिट्टी में बना रहता है।
  • उन्नत अपक्षय: प्राकृतिक CO₂ अवशोषण में तेजी लाने के लिए विखंडित हुए प्रतिक्रियाशील खनिजों को भूमि पर फैलाया जाता है, हालाँकि यह प्रक्रिया तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।

निष्कर्ष

भूमि अंतराल रिपोर्ट, 2025 इस बात पर जोर देती है कि भूमि-आधारित कार्बन निष्कासन पर अत्यधिक निर्भरता सतत् नहीं है, वास्तविक जलवायु कार्रवाई में उत्सर्जन में भारी कटौती, वन संरक्षण और सामाजिक रूप से न्यायसंगत, पारिस्थितिकी रूप से सुरक्षित शमन मार्गों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

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