भारत सरकार ने अपने पहले 100 दिनों के एजेंडे के तहत 2,800 करोड़ रुपये का डिजिटल एग्री मिशन (Digital Agri Mission) लॉन्च किया है।
डिजिटल एग्री मिशन के बारे में
डिजिटल एग्री मिशन का उद्देश्य कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन, रिमोट सेंसिंग, रोबोट एवं ड्रोन जैसी डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रोत्साहित करना एवं तीव्र करना है।
यह मिशन राष्ट्रव्यापी किसान रजिस्ट्री, बोई गई फसलों की रजिस्ट्री एवं गाँव के नक्शों की जियोरिफरेंसिंग के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा।
समयावधि: इसे अगले दो वर्षों (2025-26 तक) में लागू किया जाएगा।
मिशन के घटक
किसान रजिस्ट्री:किसानों की रजिस्ट्री बनाना, जिसमें प्रत्येक किसान को एक यूनिक ID दी जाएगी। उदाहरणस्वरूप उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र ने पहले ही किसानों की ID बनाना शुरू कर दिया है।
यूनिक किसान ID का महत्त्व: यूनिक किसान ID नई मूल्य वर्द्धित सेवाओं को लॉन्च करने की अनुमति देगी एवं किसान इस ID के माध्यम से पीएम-किसान एवं फसल बीमा योजना सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
यह उन्हें कृषि ऋण एवं बीमा जैसी वित्तीय सेवाओं का लाभ उठाने में भी सक्षम बनाएगा।
बोई गई फसल की रजिस्ट्री: इसमिशन में बोई गई फसल की रजिस्ट्री की भी परिकल्पना की गई है।
इसमें किसान द्वारा अपनी जमीन पर बोई गई फसल का रिकॉर्ड होगा।
इससे फसल उत्पादन की बेहतर योजना बनाने एवं अनुमान लगाने में मदद मिलेगी।
भारत डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र (India Digital Ecosystem of Agriculture- IDEA): कृषिविभाग देश में ‘एग्रीस्टैक’ बनाने के लिए एक रूपरेखा को अंतिम रूप दे रहा है। यह एग्रीस्टैक डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके नवीन कृषि-केंद्रित समाधान बनाने के लिए एक आधार के रूप में कार्य करेगा।
एकीकृत किसान सेवा इंटरफेस (Unified Farmers Service Interface- UFSI): इसका उद्देश्य किसानों को मौसम, बाजार मूल्य, कृषि-सलाहकार एवं अन्य से संबंधित विभिन्न सेवाओं तक पहुँचने के लिए एक एकीकृत मंच प्रदान करना है।
नई प्रौद्योगिकी के लिए राज्यों को वित्तपोषण (National e-Governance Plan in Agriculture- NeGPA): कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन, IoT एवं रोबोटिक्स जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकियों से जुड़ी परियोजनाओं के लिए राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को धन जारी किया जाता है।
महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र (Mahalanobis National Crop Forecast Centre- MNCFC) का पुनरुद्धार: प्रौद्योगिकी का उपयोग करके फसल पूर्वानुमान क्षमताओं को बढ़ाना।
मृदा स्वास्थ्य, उर्वरता एवं मृदा प्रोफाइल मानचित्रण: मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता का आकलन करने के लिए डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाना।
पायलट प्रोजेक्ट: यह पायलट प्रोजेक्ट देश के विभिन्न जिलों में शुरू किया गया है जैसे- उत्तर प्रदेश में फर्रुखाबाद, महाराष्ट्र में बीड, गुजरात में गांधीनगर, पंजाब में फतेहगढ़ साहिब एवं तमिलनाडु में विरुधुनगर।
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