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लीगेसी वेस्ट मैनेजमेंट

Lokesh Pal October 05, 2024 01:16 189 0

संदर्भ

स्वच्छ भारत मिशन 2.0 (Swachh Bharat Mission 2.0) के अंतर्गत भारत के लीगेसी वेस्ट प्रोजेक्ट ने वर्ष 2024 के मध्य तक केवल 19.43% बड़ी डंप साइट्स का ही सुधार किया है।

स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission- SBM) के संबंध में 

  • शुरुआत: केंद्र सरकार द्वारा 2 अक्टूबर, 2014 को शुरू किया गया, जिसका लक्ष्य महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर, 2019 तक खुले में शौच को समाप्त करना और खुले में शौच मुक्त (Open Defecation Free-ODF) गाँव बनाना है।

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 (SBM-U 2.0) के संबंध में

  • लॉन्च: वर्ष 2026 तक सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ बनाने के लिए पाँच वर्ष की पहल के रूप में वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया।
  • उद्देश्य: 4,372 शहरी स्थानीय निकायों (ULB) में ODF स्थिति बनाए रखना।
  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA)।
  • मुख्य विजन: 100% स्रोत पृथक्करण, डोर-टू-डोर अपशिष्ट संग्रह और सभी अपशिष्ट अंशों के वैज्ञानिक प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना।
    • वैज्ञानिक लैंडफिल के लिए प्रावधान, ताकि अनुपचारित निष्क्रिय अपशिष्ट का सुरक्षित तरीके से निपटान किया जा सके और नई डंपसाइटों के विकसित होने को रोकने के लिए अस्वीकृत अपशिष्टों को संसाधित किया जा सके।
    • स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, वर्ष 2026 तक सभी पुराने लैंडफिल को साफ किया जाना है।

  • लीगेसी डंपसाइट रेमेडिएशन (Legacy Dumpsite Remediation)
    • SBM-U 2.0 में सभी पुरानी अपशिष्ट डंपसाइटों को सुधार कर उन्हें हरित क्षेत्र में बदलने की योजना शामिल है। 
    • इस सुधार प्रयास के लिए कुल 3,226 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता स्वीकृत की गई है।

लीगेसी वेस्ट (Legacy Waste) या पुराना अपशिष्ट (Aged Waste) उस अपशिष्ट को कहते हैं, जो समय के साथ लैंडफिल या अन्य निपटान स्थलों पर जमा हो गया है और जिसका उचित तरीके से प्रसंस्करण या उपचार नहीं किया गया है।

लीगेसी वेस्ट डंपसाइट्स (Legacy Waste Dumpsites) के संबंध में

  • परिभाषा: लीगेसी डंपसाइट वे अपशिष्ट निपटान स्थल हैं, जहाँ कई वर्षों से अवैज्ञानिक और अनियंत्रित तरीके से ठोस अपशिष्ट जमा हो रहा है।
    • उदाहरण: मुंबई का देवनार डंपसाइट (Deonar Dumpsite), अहमदाबाद में पिराना साइट (Pirana Site), दिल्ली का गाजीपुर और मुंबई में भलस्वा साइट (Bhalaswa Sites), चेन्नई का कोडुंगैयुर साइट (Kodungaiyur Site) आदि।
    • उचित अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं की कमी के कारण ये डंपसाइट बड़े ‘कचरे के पहाड़’ (Garbage Hills) बन गई हैं।
  • लीगेसी वेस्ट के घटक: इसमें जैविक अपशिष्ट, प्लास्टिक, धातु और खतरनाक सामग्रियों का मिश्रण शामिल है, जो महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय एवं स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करते हैं।
  • लीगेसी वेस्ट या पुराने अपशिष्ट के उपचार के तरीके
    • साइंटिफिक कैपिंग; आमतौर पर वैज्ञानिक रूप से निर्मित लैंडफिल (इंजीनियर्ड लैंडफिल / सैनिटरी लैंडफिल) पर लागू होता है। इसमें निक्षालितक (Leachate) और गैस के उत्सर्जन को रोकने के लिए सामग्री की परतों के साथ लैंडफिल को कवर करना शामिल है।
    • लैंडफिल माइनिंग/ बायोमाइनिंग (Landfill Mining/Biomining): जो पहले से ही लैंडफिलिंग द्वारा निपटाए गए अपशिष्ट पदार्थों से पुनर्चक्रण योग्य और अन्य राजस्व-उत्पादक अंशों का तकनीकी रूप से सहायता प्राप्त तथा आर्थिक रूप से प्रबंधित निष्कर्षण है।
      • डंपसाइटों की बायोमाइनिंग (Biomining) आमतौर पर बायो-रेमेडिएशन नामक प्रक्रिया द्वारा सहायता प्राप्त होती है।
    • बायो-रेमेडिएशन (Bioremediation): यह जैविक अपशिष्ट का एक सूक्ष्माणु-मध्यस्थ अपघटन (Microbe-Mediated Degradation) है, जो डंपसाइट में जैविक इनोकुलम जोड़कर किया जाता है।
      • बायो-रेमेडिएशन केवल उच्च कार्बनिक सामग्री वाली डंपसाइटों में प्रभावी है, आमतौर पर जहाँ ताजा अपशिष्ट को लीगेसी वेस्ट के साथ मिलाया जाता है।

लीगेसी डंपसाइट्स से संबंधित आँकड़े

  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (SWM) एक राज्य सूची का एक विषय है।
  • भारत के पर्यावरण की स्थिति-2023 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में नगरपालिका ठोस अपशिष्ट उत्पादन लगभग 1,50,000 टन प्रतिदिन होने का अनुमान है।
  • भारत में डंपसाइट: भारत में 3,000 से अधिक लीगेसी वेस्ट डंपसाइट हैं, जिनमें से 2,424 में 1,000 टन से ज्यादा अपशिष्ट है।
  • प्रमुख शहरों में भूमि की सफाई: 27 सितंबर, 2024 को केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा गठित एसबीएम डैशबोर्ड (SBM Dashboard) के अनुसार, 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 69 लैंडफिल साइटों में से 35 साइटों पर भूमि की सफाई अभी भी बाकी है।
  • अंतर्हित प्रमुख रियल एस्टेट: केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, देश भर में लगभग 15,000 एकड़ प्रमुख रियल एस्टेट लगभग 16 करोड़ टन लीगेसी अपशिष्ट के नीचे अंतर्हित है।

लीगेसी वेस्ट डंपसाइटों से संबंधित खतरे

  • स्वास्थ्य संबंधी खतरा: लीगेसी वेस्ट डंप स्थल आस-पास के समुदायों और अपशिष्ट प्रबंधन शृंखला में शामिल श्रमिकों के लिए महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करते हैं।
    • पुरानी डंपसाइट कीटों और कृमियों को आकर्षित कर सकती हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • उदाहरण: श्वसन संबंधी समस्याएँ, त्वचा रोग और अन्य पुरानी स्वास्थ्य समस्याएँ।
  • पर्यावरण संबंधी खतरा: इन डंपसाइटों से मिट्टी और जल प्रदूषण हो सकता है, जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकता है। जहरीले रिसाव भूजल स्रोतों को दूषित कर सकते हैं, जिससे पौधों एवं जानवरों को हानि पहुँच सकती है।
    • विघटित अपशिष्ट से निकलने वाली हानिकारक गैसों के कारण वायु की गुणवत्ता खराब हो सकती है, जिससे वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की वृद्धि दर बढ़ सकती है।
  • आर्थिक प्रभाव: पुराने कचरे के ढेर आस-पास के क्षेत्रों में संपत्ति के मूल्यों को कम कर सकते हैं, जिससे रियल एस्टेट बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
    • सरकारों द्वारा किए जाने वाले सुधारात्मक प्रयास महँगे हो सकते हैं, जिसके कारण आवश्यक सेवाओं के लिए फंड में कटौती करनी पड़ सकती है।
  • स्थान की कमी: शहरी आबादी बढ़ने से उपलब्ध भूमि की कमी हो रही है, और पुरानी डंपसाइट बहुमूल्य स्थान घेर रही हैं, जिसका उपयोग आवास, पार्क या वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
  • आग का खतरा: ये डंपसाइट आग का खतरा उत्पन्न करती हैं, क्योंकि विघटित जैविक अपशिष्ट स्वतःस्फूर्त दहन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न कर सकते हैं।
    • उदाहरण: गाजीपुर लैंडफिल, दिल्ली में मुख्यतः अपशिष्ट के सड़ने से उत्पन्न मेथेन के कारण यहाँ अक्सर आग लग जाती है।

लीगेसी वेस्ट रेमेडिएशन पर मुख्य चिंताएँ

  • अकुशल जैव-उपचार विधियाँ (Inefficient Bioremediation Methods): जैव-उपचार सभी प्रकार के लीगेसी वेस्ट्स के लिए प्रभावी रूप से कार्य नहीं कर सकता है, विशेष रूप से पुरानी लैंडफिल में, जहाँ अपशिष्ट की संरचना समय के साथ काफी बदल गई है।
    • बायोरेमेडिएशन की सफलता साइट-विशिष्ट स्थितियों, जिसमें सूक्ष्मजीवों की संख्या, नमी का स्तर और ऑक्सीजन की उपलब्धता शामिल है, के आधार पर काफी भिन्न हो सकती है। यह असंगतता अप्रत्याशित परिणामों को जन्म दे सकती है।
    • यह एक धीमी प्रक्रिया हो सकती है, जिसमें अक्सर वांछित परिणाम प्राप्त करने में वर्षों लग जाते हैं।
    • स्रोत पर खराब अपशिष्ट पृथक्करण से लैंडफिल में मिश्रित अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिससे बायोरेमेडिएशन अधिक जटिल एवं कम कुशल हो जाता है।
  • ताजा कचरे की एक साथ डंपिंग: सुधार के दौर से गुजर रहीं कई डंपसाइटों पर ताजा कचरा आना जारी है, जिससे पुराने कचरे को हटाने की प्रगति बाधित हो रही है और प्रक्रिया अनिश्चित काल के लिए लंबी हो रही है।
    • लीगेसी वेस्ट मैनेजमेंट तथा ताजा अपशिष्ट प्रबंधन दोनों ही पूरक गतिविधियाँ होनी चाहिए।
  • उत्पन्न सामग्री में संदूषण का खतरा: उपचार प्रक्रिया से उत्पन्न मिट्टी जैसी महीन सामग्री में भारी धातुएँ हो सकती हैं, जिससे खाद के रूप में इसके उपयोग को लेकर चिंताएँ बढ़ जाती हैं, जिससे पर्यावरण तथा स्वास्थ्य संबंधी खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
  • सीमित वैकल्पिक अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाएँ: ताजा अपशिष्ट को संसाधित करने के लिए निर्दिष्ट स्थानों की कमी के कारण एक ही स्थान पर लगातार डंपिंग होती रहती है, जिससे उपचार के प्रयास जटिल हो जाते हैं।

भारत में लीगेसी वेस्ट मैनेजमेंट के सफल उदाहरण

  • इंदौर: इंदौर को अपनी प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों के कारण भारत के सबसे स्वच्छ शहरों में से एक माना गया है। इसने जैव-खनन के माध्यम से अपने लैंडफिल को सफलतापूर्वक सुधारा है।
  • दिल्ली: इसने नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट को ऊर्जा में बदलने के लिए अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र विकसित किए हैं, जिससे लैंडफिल में भेजे जाने वाले अपशिष्ट की मात्रा कम हो गई है। ओखला डंपसाइट में पुराने अपशिष्ट का उपचार एवं पृथककरण किया जा रहा है।
  • केरल का कुदुम्बश्री मिशन (Kudumbashree Mission): यह स्थानीय स्व-सरकारों को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन करने का अधिकार देता है, जिसमें स्रोत पृथक्करण एवं विकेंद्रीकृत अपशिष्ट प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

लीगेसी वेस्ट मैनेजमेंट के लिए संभावित कार्रवाई का आह्वान

  • अपशिष्ट संरचना की बेहतर समझ: लीगेसी वेस्ट की संरचना को समझने के लिए उसका विस्तृत विश्लेषण करने की आवश्यकता है। यह ज्ञान प्रभावी जैव उपचार रणनीतियों और पुनर्चक्रण प्रयासों का मार्गदर्शन कर सकता है।
  • अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बुनियादी ढाँचे का विकास
    • संग्रहण एवं पृथक्करण केंद्र: अपशिष्ट प्रबंधन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए कुशल अपशिष्ट संग्रहण एवं पृथककरण के लिए निर्दिष्ट सुविधाएँ स्थापित करना।
    • सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधाएँ (MRF): अपशिष्ट से मूल्यवान सामग्री को पुनर्प्राप्त करने, पुनर्चक्रण प्रयासों को बढ़ाने और लैंडफिल उपयोग को कम करने के लिए MRF में निवेश करना।
    • गीले और सूखे अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाएँ: लैंडफिल पर निर्भरता को कम करने के लिए जैविक अपशिष्ट से खाद बनाने और सूखे अपशिष्ट के पुनर्चक्रण के लिए अलग-अलग सुविधाएँ लागू करना।
  • जैविक अपशिष्ट उपचार पर ध्यान देना: अपशिष्ट को ईंधन में परिवर्तित करने, लैंडफिल दबाव को कम करने के लिए खाद तथा बायो-मेथेनेशन के माध्यम से जैविक अपशिष्ट के उपचार को बढ़ावा देना।
  • अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का सख्त क्रियान्वयन: अपशिष्ट उत्पादकों को जवाबदेह बनाने तथा जिम्मेदार अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को प्रोत्साहित करने के लिए ‘प्रदूषणकर्ता भुगतान सिद्धांत’ जैसे नियमों को लागू करना।
  • 4 ’R’ सिद्धांत: व्यक्तियों को अपने घरों में अपशिष्ट कम करना, पुनः उपयोग करना, पुनः चक्रित करना और पुनर्प्राप्त करना (Reduce, Reuse, Recycle, and Recover- 4 R’s) के सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना तथा अपशिष्ट उत्पादन को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए कार्य करना।
  • स्क्रैप का उपयोग: विद्युत उत्पादन के लिए अपशिष्ट-व्युत्पन्न ईंधन (Refuse-Derived Fuel- RDF) के उत्पादन हेतु स्क्रैप पॉलिमेरिक और दहनशील सामग्रियों (लीगेसी वेस्ट का 4-19%) को पुनर्प्राप्त करने के लिए प्रणालियों को लागू करना।
    • इंजीनियर्ड लैंडफिल में मिट्टी के आवरण के रूप में, गाद तथा निर्माण और विध्वंस (C&D) अपशिष्ट के साथ संयुक्त विघटित जैविक अपशिष्ट के बारीक अंश का उपयोग करने का अन्वेषण करना।
  • अपशिष्ट प्रबंधन शृंखला में अनौपचारिक अपशिष्ट श्रमिकों का एकीकरण: ऐसे तंत्र स्थापित किए जाने चाहिए, जो अनौपचारिक श्रमिकों को उचित मजदूरी, लाभों तक पहुँच आदि की गारंटी दे सकता है।
    • इसके अतिरिक्त, अपशिष्ट पृथककरण, पुनर्चक्रण तथा सुरक्षित प्रबंधन प्रथाओं में उनके कौशल को बढ़ाने, समग्र अपशिष्ट प्रबंधन दक्षता में सुधार करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान किए जाने चाहिए।

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