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Lokesh Pal
June 05, 2025 03:40
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हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने नंदिनी सुंदर एवं अन्य बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में निर्णय दिया कि कानून निर्माणकारी विधानमंडलों को अवमानना का दोषी नहीं ठहराया जा सकता, जिससे शक्तियों के संवैधानिक पृथक्करण की पुष्टि होती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया कि विधायी कार्य अलग-अलग हैं एवं संविधान के तहत संरक्षित हैं। किसी कानून को पारित करना अवमानना के बराबर नहीं माना जा सकता। इसकी उचित कानूनी मार्गों के माध्यम से संवैधानिक वैधता तथा विधायी क्षमता के आधार पर जाँच की जानी चाहिए।
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