हाल ही में जारी ‘आलओडिशा लेपर्ड एस्टीमेशन 2024’ के अनुसार, राज्य में तेंदुओं की आबादी 668 से 724 के मध्य होने का अनुमान है।
‘आलओडिशा लेपर्ड एस्टीमेशन 2024’
मुख्य निष्कर्ष
तेंदुए की आबादी में वृद्धि: ओडिशा राज्य में तेंदुओं की आबादी वर्ष 2022 से 2024 के मध्य 22% बढ़कर 568 से 696 हो गई है।
वर्ष 2024 में तेंदुओं की आबादी का अनुमान: ‘आल ओडिशा लेपर्ड एस्टीमेशन, 2024’ में 668 से 724 के मध्य तेंदुए की संख्या बताई गई है, जिसमें औसत संख्या 696 माना जा रहा है।
पिछली गणना से तुलना: वर्ष 2018 में, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NCTA) ने ओडिशा में तेंदुओं की आबादी 760 होने का अनुमान लगाया था; हालाँकि, वर्ष 2022 तक यह संख्या घटकर 568 रह गई थी।
राज्यव्यापी निगरानी: यह आकलन 47 वन प्रभागों में क्षेत्र सर्वेक्षण और कैमरा ट्रैप दोनों का उपयोग करके किया गया।
मेलानिस्टिक तेंदुए (Melanistic Leopards): ओडिशा में दुर्लभ मेलानिस्टिक तेंदुए (ब्लैक पैंथर) की संख्या भी दर्ज की गई है।
मेलेनिज्म (Melanism) तेंदुओं में एक आम लक्षण है, जिसके कारण उनकी पूरी त्वचा एवं उस पर पड़े धब्बे काले हो जाते हैं। यह एगौटी सिग्नलिंग प्रोटीन(Agouti Signalling Protein-ASIA) जीन में एक अप्रभावी उत्परिवर्तन के कारण होता है।
आबादी का आकलन करने संबंधी तकनीकें
कैमरा ट्रैप: तेंदुओं की पहचान कैमरा ट्रैप के माध्यम से की गई, जिसमें उनके अद्वितीय रोसेट पैटर्न (Rosette Patterns) पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इस तकनीक का राष्ट्रीय तेंदुआ संख्या आकलन में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
क्षेत्र सर्वेक्षण: तेंदुए की उपस्थिति का पता लगाने के लिए पैरों के निशान, मल, खरोंच वाले निशान एवं उनकी आवाजों सहित अप्रत्यक्ष साक्ष्य का उपयोग किया गया।
महत्त्वपूर्ण आवास
सिमलीपाल टाइगर रिजर्व: ओडिशा राज्य के इस टाइगर रिजर्व में तेंदुओं की सबसे बड़ी आबादी पाई जाती है। यह परिदृश्य हडागढ़ और कुलडीहा जैसे आस-पास के वन्यजीव अभयारण्यों में तेंदुओं के विस्तार के लिए महत्त्वपूर्ण है।
सतकोसिया टाइगर रिजर्व: राज्य के सतकोसिया परिदृश्य में तेंदुओं की दूसरी सबसे बड़ी आबादी पाई जाती है।
हीराकुंड वन्यजीव प्रभाग: देबरीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य सहित, इस वन्यजीव प्रभागमें तेंदुओं की एक महत्त्वपूर्ण आबादी पाई जाती है।
गैर-संरक्षित क्षेत्रों में तेंदुओं की उपस्थिति: 45% तेंदुए प्रादेशिक वन प्रभागों में संरक्षित क्षेत्रों के बाहर रहते हैं।
भारत में तेंदुओं की आबादी: तेंदुए की आबादी का अनुमान (वर्ष 2022)
जारी: वर्ष 2024 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा जारी।
शामिल संगठन: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), राज्य वन विभागों के साथ।
सर्वेक्षण का कवरेज: तेंदुए की आबादी उनके अनुमानित निवास स्थान के लगभग 70% पर केंद्रित थी और इसमें भारत के 18 राज्य शामिल थे।
इस आकलन में बाघ से संबंधित 18 राज्यों के अंतर्गत बाघ संरक्षण के मुख्य क्षेत्रों (वन्य आवासों) को शामिल किया गया है।
उच्च हिमालयी परिदृश्य (2000 मीटर से ऊपर) और गैर-वनीय क्षेत्रों को इसमें शामिल नहीं किया गया था।
कार्यप्रणाली: तेंदुओं की आबादी का अनुमान लगाने के लिए, फोटो-कैप्चर, निवास स्थान और मानवजनित कारकों पर स्थानिक डेटा के साथ संयोजित किया गया, जिसमें संभावना-आधारित स्थानिक रूप से स्पष्ट कैप्चर मार्क-रिकैप्चर (Spatially Explicit Capture Mark Recapture) सहसंयोजक ढाँचे का उपयोग किया गया।
संख्या अनुमान: भारत में 13,874 तेंदुए मौजूद हैं, जो वर्ष 2018 के अनुमान (12,852) की तुलना में एक स्थिर संख्या है।
भौगोलिक रुझान: मध्य भारत में इनकी संख्या स्थिर या थोड़ी बढ़ रही है, हालाँकि शिवालिक पहाड़ियों एवं गंगा के मैदानों जैसे क्षेत्रों में इनकी संख्या में गिरावट आ रही है।
चयनित क्षेत्रों में इनकी आबादी वार्षिक रूप से 1.08% की दर से बढ़ रही है।
राज्यवार वितरण: 3,907 (वर्ष 2018 में 3421 की संख्या) तेंदुओं के साथ, मध्य प्रदेश में देश में सबसे अधिक तेंदुओं की आबादी है। इसके बाद महाराष्ट्र (वर्ष 2022 में 1985 की संख्या; वर्ष 2018 में 1,690 की संख्या), कर्नाटक (वर्ष 2022 में 1,879 की संख्या; वर्ष 2018 में 1,783 की संख्या) और तमिलनाडु (वर्ष 2022 में 1,070 की संख्या; वर्ष 2018 में 868 की संख्या) का स्थान है।
पर्यावरण: तेंदुओं की सर्वाधिक संख्या वाले बाघ अभयारण्य या स्थान सतपुड़ा (आंध्र प्रदेश), पन्ना (मध्य प्रदेश) और नागार्जुनसागर श्रीशैलम् (आंध्र प्रदेश) हैं।
घटती संख्या: अरुणाचल प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल में संयुक्त रूप से 150% की वृद्धि दर्ज की गई और और इन राज्यों में तेंदुओं की संख्या 349 हो गई।
उत्तराखंड में बिग कैट की संख्या में 22% की गिरावट दर्ज की गई, जो संभवतः अवैध शिकार और मानव-पशु संघर्ष के कारण हुई।
भारतीय तेंदुए (Indian Leopard)
वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा पार्डस फुस्का (Panthera Pardus Fusca)
भारतीय तेंदुआ, तेंदुआ की एक उप-प्रजाति है, जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से पाई जाती है।
वे बिग कैट में सबसे छोटी प्रजाति होते हैं।
वे विभिन्न प्रकार के वातावरणों के अनुकूल होने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
वे शक्तिशाली और फुर्तीले शिकारी है, जो पेड़ों पर चढ़ने और अपने शिकार को सुरक्षित स्थान पर ले जाने में सक्षम होते हैं।
संरक्षण स्थिति
IUCN की रेड लिस्ट में: सुभेद्य (Vulnerable)
CITES की सूची में: परिशिष्ट I (Appendix I)
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में: अनुसूची I (Schedule I)
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