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लीची की कृषि का विस्तार (Litchi cultivation has expanded)

Samsul Ansari December 30, 2023 03:02 217 0

संदर्भ

बिहार के मुजफ्फरपुर में प्रमुख रूप से उत्पादित लीची की कृषि का विस्तार अब 19 भारतीय राज्यों में हो गया है।

संबंधित तथ्य

  • मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (NRCL) के अनुसार, संपूर्ण भारत में लीची की कृषि का विस्तार करने का एकमात्र उद्देश्य किसानों को तकनीकी सहायता, पौधे और प्रशिक्षण प्रदान करना है।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (NRCL)

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा ‘लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर, बिहार की स्थापना नवीं पंचवर्षीय योजना के अंत में की गई। 
  • यह देश की एकमात्र ऐसी संस्था है, जो लीची और इस फैमिली के अन्य पौधों के अनुसंधान और विकास के लिए पूर्ण रूप से समर्पित है। 
  • राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र का औपचारिक उद्घाटन 6 जून, 2001 को हुआ था। 
  • NRCLने अप्रैल 2002 से कार्य करना प्रारंभ किया और तब से यह लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है।

लीची की कृषि के विस्तार से संबंधित राज्य

  • व्यावसायिक उत्पादन के लिए लीची की कृषि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, मणिपुर, असम, पंजाब, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान और मिजोरम में प्रारंभ हो गई है।
  • इसका उत्पादन बिहार, उत्तराखंड एवं झारखण्ड में पहले से हो रहा है।

भारत में लीची का कृषि क्षेत्र

  • नवीनतम आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, भारत में 0.1 मिलियन हेक्टेयर से अधिक भूमि पर लीची की कृषि की जाती है।

लीची का मूल क्षेत्र 

  • लीची की उत्पत्ति दक्षिणी चीन, विशेष रूप से क्वांगतुंग (Kwangtung) और फुकिएन (Fukien) प्रांतों से हुई है।
  • 18वीं शताब्दी के दौरान लीची का उत्पादन म्याँमार और उत्तर-पूर्व क्षेत्र से होते हुए भारत में प्रारंभ हुआ।

परिचय 

  • लीची (Litchi chinensis) उत्कृष्ट गुणवत्ता का एक स्वादिष्ट रसदार फल है।
  • कुल: सैपिन्डेसी (Sapindaceae)।
  • खाने योग्य भाग: सुगंधित एरिल।
  • चीन और जापान में इसे सूखा या डिब्बाबंद अवस्था में खाना पसंद किया जाता है।

अन्य राज्यों को पौधे उपलब्ध कराना

NRCL अन्य राज्यों के किसानों को चीन, गंडकी लालिमा, गंडकी संपदा और गंडकी योगिता जैसी लोकप्रिय किस्मों के अतिरिक्त अन्य प्रसिद्ध शाही लीची के पौधे उपलब्ध कराता है।

कृषि विस्तार योजना का आधार

लीची की कृषि विस्तार योजना एक वैज्ञानिक अध्ययन पर आधारित थी। इसमें अन्य राज्यों में इस फल की खेती के लिए उपयुक्त मृदा और जलवायु पाई गई थी।

लीची की कृषि हेतु आवश्यक भौगोलिक दशाएँ

  • लीची एक सदाबहार उपोष्णकटिबंधीय पौधा है।
  • तापमान, वर्षा और आर्द्रता के संदर्भ में लीची को बहुत संवेदनशील फल माना जाता है।
  • तापमान में परिवर्तन और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों ने हाल के वर्षों में लीची की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है।

लीची उत्पादन संबंधी आँकड़े

  • अकेले बिहार में लीची की कृषि 32,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में विस्तृत है।
  • यह भारत के लीची उत्पादन का लगभग 40% है।
  • बिहार के बाद पश्चिम बंगाल (कुल उत्पादन का 12 प्रतिशत) और झारखंड (10 प्रतिशत) का स्थान आता है।

लीची उत्पादन से संबंधित पृष्ठभूमि

  • लीची की कृषि पहले ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और असम में सूक्ष्म रूप से की जाती थी। 
  • NRCL वैज्ञानिकों ने कुछ वर्ष पहले कर्नाटक और केरल के कुछ क्षेत्रों में छोटे पैमाने पर लीची की कृषि प्रारंभ की थी। 

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