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रहने योग्य शहर: भारत के लिए चुनौतियाँ और आगे की राह

Lokesh Pal October 16, 2024 01:41 79 0

संदर्भ 

भारत में, इस वर्ष की रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, जिसमें दिल्ली का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया और आधिकारिक तौर पर 200 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई, इस बात पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है, क्योंकि हमारे शहर बढ़ती हुई चरम मौसमी घटनाओं के कारण रहने लायक नहीं रह गए हैं। 

विश्व शहर दिवस 2024 (World Cities Day 2024) 

  • कब मनाया जाता है: विश्व शहर दिवस प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को मनाया जाता है।
  • वर्ष 2024 का थीम: ‘युवा शहरों के लिए जलवायु और स्थानीय कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे हैं’ (Youth leading climate and local action for cities)।
  • स्थापना: वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा।
  • शंघाई घोषणा (Shanghai Declaration): विश्व शहर दिवस का विचार शंघाई घोषणा द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जो शंघाई, चीन में विश्व एक्सपो 2010 (World Expo 2010) के दौरान सामने आया था।

रहने योग्य शहर (Liveable City) के बारे में 

  • रहने योग्य शहर अच्छी तरह से डिजाइन किए गए, टिकाऊ और समावेशी शहरी वातावरण हैं, जो जीवन की उच्च गुणवत्ता प्रदान करते हैं।
  • वे व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करते हुए आवश्यक सेवाओं और सुविधाओं तक पहुँच सुनिश्चित करते हैं।

शहरों को रहने योग्य न बनाने वाले कारक

  • जलवायु कारक 
    • शहरी ऊष्मा द्वीप (Urban Heat Island- UHI) प्रभाव: कार्बन उत्सर्जित करने वाली मानवीय गतिविधियों, सघन अवसंरचना एवं ले-आउट, कंक्रीट, काँच और डामर जैसी ऊष्मा धारण करने वाली सामग्रियों की प्रधानता, वनस्पति की हानि आदि के कारण शहरी क्षेत्रों में अक्सर ग्रामीण परिवेश की तुलना में उच्च तापमान का अनुभव होता है।
      • उदाहरण: गुरुग्राम में आधुनिक काँच की इमारतें ऊष्मा को रोकती हैं और ऊर्जा की खपत बढ़ाती हैं, जबकि इमारतों से होने वाला प्रतिबिंब एवं हरियाली की कमी बाहरी परिस्थितियों को और खराब कर देती है।
    • गंभीर मौसम की घटनाएँ (Severe Weather Events): जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार और चरम मौसम की घटनाएँ हो रही हैं, जिनमें हीट वेव, बाढ़ और तूफान शामिल हैं, जो दैनिक जीवन को बाधित करते हैं और शहर के संसाधनों पर दबाव डालते हैं।
      • उदाहरण: दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में ‘डे जीरो’ (Day Zero)। 
      • ‘डे जीरो’ (Day Zero) वह स्थिति है, जब नलों में पानी नहीं होगा और पानी का उपयोग केवल आवश्यक सेवाओं के लिए ही सीमित हो जाएगा।
  • नियोजन संबंधी कारक
    • खराब शहरी नियोजन (Poor Urban Planning): अकुशल भूमि उपयोग और अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, यातायात की भीड़ और अपर्याप्त सार्वजनिक सेवाओं में योगदान देता है, जिससे निवासियों, विशेष रूप से हाशिए पर पड़े लोगों के जीवन की गुणवत्ता कम हो जाती है।
    • अपर्याप्त सार्वजनिक सेवाएँ (Inadequate Public Services): स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सार्वजनिक परिवहन तक खराब पहुँच के कारण जीवन की स्थितियाँ और भी खराब हो जाती हैं, विशेष तौर पर निम्न आय वाले निवासियों के लिए।
      • उदाहरण: मेट्रो, बस आदि जैसे सीमित सार्वजनिक परिवहन विकल्पों के कारण वाहनों का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे यातायात संबंधी जाम और वायु प्रदूषण हो रहा है, जो नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को नुकसान पहुँचा रहा है।
  • तकनीकी कारक
    • प्रौद्योगिकी पर निर्भरता के कारण सुविधा जाल (Comfort Trap due to dependency on Technology): प्रौद्योगिकी ने शहरी अभिजात वर्ग के लिए एक ‘कंफर्ट ट्रैप’ बनाया है, जिससे उन्हें कठोर शहरी वास्तविकताओं से बचाया जा सके।
      • उदाहरण:होम ग्रॉसरी डिलीवरी’ और ‘इंस्टेंट कैब’ सेवाओं ने शहरी अभिजात वर्ग को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करने वाले श्रमिकों से अलग करके श्रम को अदृश्य बना दिया है।
      • इससे शहरी असमानताएँ बढ़ती हैं और रहने योग्य शहरों के लिए आवश्यक सामुदायिक जिम्मेदारी कम होती है।
    • शहरी निवर्तन और तकनीकी निर्भरता का चक्र (Cycle of Urban Retreat and Technological Reliance): चरम मौसमी घटनाएँ लोगों को घर के अंदर रहने के लिए मजबूर करती हैं और प्रौद्योगिकी एयर कंडीशनर आदि के माध्यम से घर के अंदर रहना आसान बनाती है।
      • इससे सार्वजनिक स्थानों में सुधार की माँग कम हो जाती है, जिससे शहरी स्थितियों में और गिरावट आती है।
  • सामाजिक कारक
    • हाशिए पर पड़े समुदायों पर ध्यान न देना (Lack of Attention for Marginalised Communities): हाशिए पर पड़े समुदाय अक्सर खराब सार्वजनिक सेवाओं और अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे से जूझते हैं, लेकिन उनके मुद्दों पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता। इसके विपरीत, जब विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को ऐसी ही समस्याओं का सामना करना पड़ता है, तो वे मीडिया का ध्यान आकर्षित करते हैं, जिससे सरकार को तुरंत कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
      • उदाहरण: हाल ही में दिल्ली में आए अचानक तूफान एवं वर्षा के कारण लुटियन दिल्ली में सांसदों के आवासों सहित समृद्ध क्षेत्रों के बेसमेंट में जल भर गया, जिसके बाद सरकार ने तत्काल कार्रवाई की। 
  • आर्थिक कारक
    • आर्थिक असमानताएँ: आर्थिक असमानता के कारण कुछ इलाकों की उपेक्षा होती है, जिसके परिणामस्वरूप रहने की स्थिति में गिरावट आती है और सार्वजनिक सुविधाओं में निवेश कम होता है। उदाहरण: नई दिल्ली में कुसुमपुर पहाड़ी (Kusumpur Pahari), मुंबई में धारावी (Dharavi)। 
    • अधिक जनसंख्या और प्रवासन: तेजी से बढ़ते शहरीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में प्रवासन के कारण भीड़भाड़ बढ़ रही है, आवास की माँग बढ़ रही है और आवश्यक सेवाओं पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे शहरों में समग्र रूप से रहने की स्थिति खराब हो रही है।
      • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में शहरीकरण का स्तर 31.16% था।
  • वातावरणीय कारक
    • हरित क्षेत्रों की कमी: अपर्याप्त पार्क और हरित क्षेत्र मनोरंजन के अवसरों को सीमित करते हैं, वायु गुणवत्ता को खराब करते हैं और शहरी जैव विविधता को कम करते हैं, जिससे शहर कम सुखद और कम स्वास्थ्यवर्द्धक बनते जा रहे हैं।

भारत में शहरी जीवनयापन की चुनौतियाँ

  • रहने की क्षमता पर अपर्याप्त ध्यान: शहरी मिशन दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं, लेकिन वर्तमान नीतियों में रहने की क्षमता की अवधारणा पर जोर नहीं दिया जाता है।
    • उदाहरण:जीवन सुगमता सूचकांक’ (Ease of Living Index) शहरी विकास के लिए महत्त्वपूर्ण संकेतकों की पहचान करता है, लेकिन सुधार के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करने में विफल रहता है।
  • स्थानीय रूप से प्रासंगिक दृष्टिकोणों का अभाव (Lack of Locally Relevant Approaches): शहरी नियोजन के लिए ‘एक ही आकार सभी के लिए उपयुक्त है’ दृष्टिकोण विभिन्न क्षेत्रों के अद्वितीय सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक संदर्भों की उपेक्षा करता है।
    • उदाहरण: पूर्वोत्तर राज्यों को केंद्र द्वारा प्रदान किए गए दिशा-निर्देशों और आदर्श भवन संहिताओं को अपनाने में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि ये अक्सर उनके विशिष्ट भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों के लिए अनुपयुक्त होते हैं।
  • अपर्याप्त जन-केंद्रित योजना: क्षेत्रीय और परियोजना आधारित योजना पर निर्भरता एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता की उपेक्षा करती है, जो विविध सामुदायिक आवश्यकताओं और विकसित होती जीवनशैली को संबोधित करती है।
    • उदाहरण: बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ अक्सर यातायात की भीड़ को कम करने के लिए सड़क विस्तार को प्राथमिकता देती हैं तथा पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों की आवश्यकताओं की उपेक्षा कर देती हैं।
  • शासन संबंधी मुद्दे: अतिव्यापी अधिदेश एवं कमजोर अंतर-विभागीय समन्वय स्थानीय शासन में अक्षमता उत्पन्न करते हैं।
  • कमजोर संस्थागत क्षमताएँ: शहरी स्थानीय निकायों (Urban local bodies- ULBs) में अक्सर शहरी परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता, संस्थागत और वित्तीय क्षमता का अभाव होता है।
  • सीमित नागरिक सहभागिता: निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में नागरिकों की निरंतर भागीदारी के लिए स्थापित संरचनाओं की कमी से सामुदायिक सहभागिता और जवाबदेही कम हो जाती है।
    • उदाहरण: स्थानीय क्षमता निर्माण के बिना परियोजना कार्यान्वयन के लिए परियोजना प्रबंधन सलाहकारों (Project Management Consultants- PMCs) पर अत्यधिक निर्भरता एक महत्त्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करती है। 

रहने योग्य शहरों के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास

  • संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) का लक्ष्य 11: शहरों एवं मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला एवं टिकाऊ बनाना।
  • ‘C40 सिटीज’ (C40 Cities): ‘C40 सिटीज’ दुनिया के अग्रणी शहरों के लगभग 100 मेयर का एक वैश्विक नेटवर्क है, जो जलवायु संकट का सामना करने के लिए एकजुट हैं।
  • ICLEI-स्थिरता के लिए स्थानीय सरकारें (ICLEI–Local Governments for Sustainability): यह एक वैश्विक नेटवर्क है, जो 2500 से अधिक स्थानीय एवं क्षेत्रीय सरकारों के साथ कार्य करता है, जो सतत् शहरी विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • यूएन-हैबिटेट (UN-Habitat): यह मानव बस्तियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है, जिसका मिशन शहरों में रहने की स्थिति में सुधार करना, सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देना और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।
  • यूएन-हैबिटेट का नया शहरी एजेंडा (New Urban Agenda): इसे वर्ष 2016 में ‘हैबिटेट III’ (Habitat III) में अपनाया गया, शहरी क्षेत्रों की योजना, विकास, प्रबंधन और वृद्धि के सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार करता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ‘स्वस्थ शहर पहल’ (Healthy Cities Initiative): स्वास्थ्य और खुशहाली को बढ़ाने वाले वातावरण बनाने में शहरों का समर्थन करता है।
  • अर्बन20 (U20): शहरी विकास के विभिन्न महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा को सुविधाजनक बनाने के लिए G-20 देशों के शहरों के लिए एक मंच प्रदान करता है।

शहरों को रहने योग्य बनाने के लिए सरकारी पहल

  • स्मार्ट सिटीज मिशन (Smart Cities Mission): वर्ष 2015 में शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य पूरे भारत में 100 स्मार्ट शहर विकसित करना है। इसका उद्देश्य स्मार्ट प्रौद्योगिकियों, बेहतर बुनियादी ढाँचे एवं बेहतर सार्वजनिक सेवाओं के उपयोग के माध्यम से सतत् एवं समावेशी शहरी विकास को बढ़ावा देना है।
  • अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (Atal Mission for Rejuvenation and Urban Transformation- AMRUT): वर्ष 2015 में शुरू किए गए AMRUT मिशन का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए जल आपूर्ति, सीवरेज और हरित स्थान जैसी बुनियादी सेवाओं को सुनिश्चित करना है, विशेषकर शहरी गरीबों के लिए।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana- PMAY): इसका उद्देश्य शहरी गरीबों, जिनमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग भी शामिल हैं, के समक्ष आने वाली शहरी आवास की कमी से निपटना है, इसके लिए पात्र व्यक्तियों को टिकाऊ पक्के मकान उपलब्ध कराना है।
  • स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (Swachh Bharat Mission-Urban): शहरी भारत में खुले में शौच को समाप्त करने और देश भर के वैधानिक शहरों में नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (Municipal Solid Waste- MSW) का 100% वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखता है।
  • शहरी परिवहन योजनाएँ (Urban Transport Schemes): ‘मेट्रो रेल परियोजना’ (Metro Rail Project) और ‘जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन’ (Jawaharlal Nehru National Urban Renewal Mission- JNNURM) जैसी विभिन्न योजनाएँ भीड़भाड़ एवं प्रदूषण को कम करने के लिए शहरी परिवहन नेटवर्क को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
  • हृदय (HRIDAY): राष्ट्रीय विरासत शहर विकास और संवर्द्धन योजना (National Heritage City Development and Augmentation Yojana- HRIDAY) शहरों के अद्वितीय विरासत चरित्र को संरक्षित करने के लिए शहरी नियोजन, आर्थिक विकास और विरासत संरक्षण को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करती है।

केंद्रीय बजट 2024-25 में शहरी परिवर्तन रणनीतियाँ (Urban Transformation Strategies)

  • विकास केंद्र के रूप में शहर (Cities as Growth Hubs): सरकार आर्थिक नियोजन, ‘पेरी-अर्बन डेवलपमेंट’ (Peri-Urban Development) और ‘ब्राउनफील्ड रीडेवलपमेंट’ के माध्यम से शहरों को विकास केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है, जिसमें 30 लाख से अधिक आबादी वाले 14 प्रमुख शहरों के लिए ‘पारगमन उन्मुख विकास’ (Transit Oriented Development) शामिल है।
  • साप्ताहिक ‘हाट’ (Weekly ‘Haats’): एक नई योजना अगले पाँच वर्षों के लिए चुनिंदा शहरों में प्रत्येक वर्ष 100 साप्ताहिक ‘हाट’ या ‘स्ट्रीट फूड हब’ के विकास का समर्थन करेगी, जो स्ट्रीट वेंडर्स के जीवन को बदलने में पीएम स्वनिधि योजना (PM SVANidhi Scheme) की सफलता पर आधारित है।
  • किराये के आवास (Rental Housing): बजट में ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-private Partnerships- PPP) मोड के माध्यम से औद्योगिक श्रमिकों के लिए छात्रावास-प्रकार के आवास के साथ किराये के आवास की सुविधा पर प्रकाश डाला गया है, जिसे ‘व्यवहार्यता अंतर निधि’ (Viability Gap Funding- VGF) और प्रमुख उद्योगों की प्रतिबद्धता द्वारा समर्थित किया गया है।

शहरी जीवनयापन को बेहतर बनाने की दिशा में आगे की राह

  • सामाजिक रणनीतियाँ
    • सहभागी शहरी नियोजन: सामुदायिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शहरी परियोजनाओं के लिए निर्णय लेने में निवासियों को शामिल करना।
    • बुनियादी सेवाओं तक पहुँच में सुधार करना: प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (Pradhan Mantri Awas Yojana-Urban- PMAY-U) योजना के तहत बुनियादी सेवाओं में सुधार करना।
  • संस्थागत रणनीतियाँ
    • स्थानीय शहरी शासन को मजबूत करना: सेवा वितरण में सुधार के लिए संस्थानों की स्पष्ट भूमिकाएँ परिभाषित करना महत्त्वपूर्ण है:-
      • स्थानीय भाषाओं में निरंतर प्रशिक्षण प्रदान करना।
      • छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर शहरी स्थानीय निकायों (Urban local bodies- ULBs) के लिए उनकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए वित्तपोषण पैटर्न विकसित करना।
      • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnerships- PPPs) तैयार करने और लागू करने के लिए ULBs की क्षमताओं को मजबूत करना।
  • तकनीकी रणनीतियाँ
    • स्मार्ट गवर्नेंस के लिए ICT को अपनाना
      • उदाहरण: बंगलूरू की स्मार्ट सिटी परियोजना ट्रैफिक प्रवाह की निगरानी करने और सार्वजनिक परिवहन दक्षता में सुधार करने के लिए डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करती है।
    • नागरिक जुड़ाव के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म
      • उदाहरण: MyGov भारत सरकार की एक पहल है, जो नागरिकों को शासन में भाग लेने के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करती है।
  • जलवायु रणनीतियाँ
    • जलवायु-लचीला बुनियादी ढाँचा (Climate-Resilient Infrastructure)
      • उदाहरण: शिकागो और सिंगापुर जैसे कई शहरों ने वाणिज्यिक और रहने योग्य भवनों पर हरित छतों को लागू किया है।
    • मुंबई तटीय सड़क परियोजना (Mumbai Coastal Road Project- MCRP) में समुद्र के बढ़ते स्तर और बार-बार आने वाली बाढ़ को सहन करने, जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लचीलापन बढ़ाने की विशेषताएँ हैं।
    • इमारतों का नवीनीकरण
      • उदाहरण: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology- IIT) दिल्ली ने बेहतर ऊर्जा दक्षता के लिए अपनी इमारतों को उन्नत इन्सुलेशन सामग्री से नवीनीकृत किया है।
      • मुंबई स्थित गोदरेज भवन में ऊर्जा दक्षता नवीनीकरण कार्य किया गया।
  • शहरी हरित स्थानों को बढ़ाना (Enhancing Urban Green Spaces)
    • पार्क निर्माण तथा उनका रखरखाव करना: वायु की गुणवत्ता में सुधार करें और मनोरंजक स्थान उपलब्ध कराएँ।
      • उदाहरण: वर्ष 2023 में, दिल्ली ने संयुक्त राष्ट्र समर्थित ‘रेस टू रेजिलिएंस’ (Race to Resilience) अभियान के लिए प्रतिबद्धता जताई है, जिसका लक्ष्य पाँच वर्षों में 25% हरित आवरण प्राप्त करना है।
    • शहरी वानिकी पहल (Urban Forestry Initiatives): नगर वन योजना (Nagar Van Yojana-NVY) के बेहतर कार्यान्वयन की आवश्यकता है, जो स्थानीय समुदायों, गैर-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, स्थानीय निकायों आदि को शामिल करके शहरी वानिकी को बढ़ावा देती है।

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