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लॉजिस्टिक्स: भारत का विकास इंजन

Lokesh Pal September 24, 2025 02:46 101 0

संदर्भ

हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy) (2022) की तीसरी वर्षगाँठ मनाई गई।

संबंधित तथ्य 

  • मेक इन इंडिया के एक दशक पूरे होने के अवसर पर, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने भारत में लॉजिस्टिक्स लागत पर पहली वैज्ञानिक रूप से तैयार रिपोर्ट जारी की।
    • इसे राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (National Council of Applied Economic Research- NCAER) ने उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) के लिए तैयार किया है।

  • अन्य प्रमुख प्रक्षेपण
    • औद्योगिक पार्क रेटिंग प्रणाली (Industrial Park Rating System- IPRS) 3.0: निवेशकों को पारदर्शी और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करता है।
      • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) के बीच प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करता है।
      • लक्षित हस्तक्षेपों में नीति निर्माताओं की सहायता करता है।
    • लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (Logistics Data Bank- LDB) 2.0: लॉजिस्टिक्स मूल्य शृंखला में ट्रैकिंग, निगरानी और दक्षता को बढ़ाता है।
    • विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स सुगमता (Logistics Ease Across Different States (LEADS) 2025: राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन का मानकीकरण करता है।
      • भारत के वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करता है।
    • मेक इन इंडिया स्मारक सिक्का: मेक इन इंडिया पहल के एक दशक के पूर्ण होने का प्रतीक है।

‘लॉजिस्टिक्स’ क्षेत्र को मजबूत करने से न केवल आम आदमी का जीवन सुगम होगा, बल्कि श्रमिकों और कामगारों का सम्मान भी बढ़ेगा।’

– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

“भारत में लॉजिस्टिक्स लागत का आकलन’ पर रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ

  • व्यापक मूल्यांकन: विभिन्न परिवहन साधनों, उत्पाद श्रेणियों और फर्म आकारों में लॉजिस्टिक्स लागतों को दर्शाने के लिए एक व्यापक ढाँचा प्रदान करता है।
  • लॉजिस्टिक्स लागत अनुमान: लॉजिस्टिक्स लागत का अनुमान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लगभग 7.97% आँकी गई है (पहले गलत तरीके से प्रस्तुत 13-14% की तुलना में)।
  • माल ढुलाई और बहु-विविधता: प्रति टन-किलोमीटर माल ढुलाई लागत प्रस्तुत करता है और दक्षता बढ़ाने में बहु-विविधता की भूमिका पर प्रकाश डालता है।
  • कार्यप्रणाली: द्वितीयक डेटा और राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षणों को मिलाकर एक संकर पद्धति का उपयोग करता है।

लॉजिस्टिक्स क्या है?

  • लॉजिस्टिक्स, संसाधनों के अधिग्रहण, भंडारण और उनके अंतिम गंतव्य तक परिवहन के प्रबंधन की समग्र प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
  • लॉजिस्टिक्स प्रबंधन में संभावित वितरकों और आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करना और उनकी प्रभावशीलता और पहुँच का निर्धारण करना शामिल है।

भारत में लॉजिस्टिक्स परिदृश्य का अवलोकन

  • वैश्विक स्थिति: भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र विश्व स्तर पर सबसे बड़े लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में से एक है, जो दक्षता और बुनियादी ढाँचे में निरंतर सुधार दर्शाता है।
  • समर्पित लॉजिस्टिक्स इकाई: जुलाई 2017 में, लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के एकीकृत विकास की देख-रेख के लिए वाणिज्य विभाग के अंतर्गत एक अलग लॉजिस्टिक्स इकाई का गठन किया गया था।

  • बाजार का आकार और विकास: वर्ष 2021 में 215 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य वाले इस क्षेत्र के वर्ष 2026 तक 10.7% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने की उम्मीद है।
  • परिवहन के साधन
    • सड़क परिवहन: माल ढुलाई का 66% हिस्सा सड़क परिवहन के माध्यम से वहन किया जाता है, लेकिन सड़कों की खराब स्थिति और भीड़भाड़ जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • रेल परिवहन: माल ढुलाई का 26% हिस्सा वहन करता है, लेकिन इसके आधुनिकीकरण और क्षमता वृद्धि की आवश्यकता है।

    • वायु और जलमार्ग: क्रमशः 1% और 3% का योगदान करते हैं, लेकिन सागरमाला जैसी सरकारी पहलों के माध्यम से विकास की संभावना रखते हैं।
      • अंतर्देशीय जलमार्ग: वर्ष 2024-25 में माल ढुलाई 5 मिलियन टन तक पहुँच गई; इस दौरान चालू जलमार्गों की संख्या 24 से बढ़कर 29 हो गई।
    • तकनीकी अपनाना: भारत AI, IoT, ब्लॉकचेन और ऑटोमोटिव जैसी तकनीकों के साथ एक डिजिटल रूप से एकीकृत लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र की ओर बढ़ रहा है।
      • हालाँकि, वैश्विक मानकों की तुलना में अपनाने की दर अभी भी कम है।

    • ई-कॉमर्स और व्यापार वृद्धि: ई-कॉमर्स और सीमा पार व्यापार के बढ़ने से लॉजिस्टिक्स सेवाओं की माँग में तेजी आई है।
      • अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियाँ तेजी से डिलीवरी के लिए ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्नत लॉजिस्टिक्स पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं।

भारत में लॉजिस्टिक्स का महत्त्व

  • आर्थिक योगदान: लॉजिस्टिक्स भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 13-14% का योगदान देता है, जो आर्थिक विकास को गति देने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
  • व्यापार और वाणिज्य को सुगम बनाता है: एक मजबूत लॉजिस्टिक्स क्षेत्र माल की निर्बाध आवाजाही को सक्षम बनाकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देता है।
  • रोजगार सृजन: लॉजिस्टिक्स क्षेत्र सबसे बड़े रोजगार सृजनकर्ताओं में से एक है, जो भारत में 2.2 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
    • इसके अतिरिक्त, वर्ष 2027 तक इसमें 1 करोड़ रोजगार जुड़ने का अनुमान है, जो आर्थिक सशक्तीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।
  • लागत में कमी और प्रतिस्पर्द्धात्मकता में वृद्धि: कुशल लॉजिस्टिक्स संचालन परिवहन और भंडारण लागत को कम करता है, जिससे व्यवसायों को प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण करने में मदद मिलती है।
    • उदाहरण के लिए, GST लागू होने से राज्य की सीमाओं पर ट्रकों के प्रतीक्षा समय में कमी आई है, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आई है और आपूर्ति शृंखला दक्षता में वृद्धि हुई है।
  • ई-कॉमर्स के विकास को बढ़ावा: ई-कॉमर्स के उदय ने कुशल लॉजिस्टिक्स समाधानों की माँग को बढ़ा दिया है, जिसमें अंतिम-मील डिलीवरी और सीमा-पार व्यापार शामिल हैं।
    • उदाहरण के लिए, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म तीव्र तथा विश्वसनीय डिलीवरी संबंधी ग्राहकों की माँगों को पूरा करने के लिए उन्नत लॉजिस्टिक्स नेटवर्क पर निर्भर करते हैं।
  • आपूर्ति शृंखला दक्षता को बढ़ावा: एक सुव्यवस्थित लॉजिस्टिक्स क्षेत्र सुचारू और समय पर आपूर्ति शृंखला संचालन सुनिश्चित करता है, जिससे संलग्न समय कम होता है और उत्पादन का अनुकूलन होता है।
    • उदाहरण के लिए, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (Multi-modal Logistics Parks- MMLPs) के विकास ने माल ढुलाई में सुधार किया है, जिससे समग्र आपूर्ति शृंखला लागत कम हुई है।

  • लॉजिस्टिक्स में स्थिरता
    • हरित लॉजिस्टिक्स: नीति और बुनियादी ढाँचे के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को अपनाना।
    • फ्रेट ग्रीनहाउस गैस (GHG) कैलकुलेटर: परिवहन लागत और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापता है, जिससे स्थायी लॉजिस्टिक्स प्रथाओं के लिए जागरूकता और समर्थन को बढ़ावा मिलता है।
    • रेल ग्रीन पॉइंट्स: कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए रेल-आधारित माल ढुलाई को प्रोत्साहित करता है; वर्ष 2030 तक रेल माल ढुलाई में हिस्सेदारी को 45% तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
    • डिजिटल समर्थन: यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) जैसे प्लेटफ़ॉर्म कंपनियों को हरित परिवहन विकल्प चुनने में सक्षम बनाते हैं।

लॉजिस्टिक्स में प्रमुख सरकारी पहल

  • सागरमाला परियोजना (2015): यह भारत सरकार के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा भारत के समुद्री क्षेत्र के विकास हेतु एक प्रमुख पहल है।
    • इसका लक्ष्य लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना, बंदरगाह दक्षता में सुधार करना और तटीय सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना है।
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) और ई-वे बिल: GST (2017) ने माल की आवाजाही को सुव्यवस्थित किया, पारगमन में देरी को कम किया और कराधान को सरल बनाया।
  • ई-वे बिल: सभी राज्यों में ₹50,000 से अधिक मूल्य के माल के लिए अनिवार्य; पारदर्शिता और अनुपालन को बढ़ाता है।
  • प्रधानमंत्री गतिशक्ति मास्टर प्लान (NMP): मल्टी-मॉडल परिवहन को एक समन्वित नेटवर्क में एकीकृत करने के लिए अक्टूबर 2021 में शुरू किया गया।
    • 57 केंद्रीय मंत्रालयों और 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एकीकृत बुनियादी ढाँचा नियोजन के लिए 1,700 डेटा के साथ एकीकृत किया गया।
  • समुद्री अमृत काल विजन 2047: ‘ब्लू इकोनॉमी’ के सिद्धांतों के अनुरूप समुद्री क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक रोडमैप विकसित किया गया है।
    • जो बंदरगाह क्षमता, डिजिटलीकरण, स्वचालन, हाइड्रोजन हब, तटीय पर्यटन, जहाज निर्माण और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • निवेश: ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (GMIS), 2023 में ₹10 लाख करोड़ की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई थी।
  • लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (LDB), 2016: EXIM कार्गो की निगरानी करता है; अक्टूबर 2024 तक 75 मिलियन से अधिक कंटेनरों की निगरानी की गई।
  • उपयोग: प्रतिमाह 45 लाख अद्वितीय कंटेनर खोजें; पारदर्शिता और दक्षता में वृद्धि करना।

  • समर्पित माल ढुलाई गलियारे (DFC)
    • पूर्वी DFC: लुधियाना से सोननगर (1,337 किमी.)।
    • पश्चिमी DFC: जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल से दादरी (1,506 किमी.)।
    • स्थिति: मार्च 2025 तक 2,741 किमी. (96.4%) चालू।
  • उद्देश्य: भीड़भाड़ कम करना, लागत कम करना, ऊर्जा दक्षता में सुधार करना और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना।
  • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP): विभिन्न मंत्रालयों के डेटा को एक ही प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करता है।
    • मार्च 2025 तक 100 करोड़ API लेन-देन दर्ज किए गए।
    • शिपमेंट ETA, इन्वेंट्री प्रबंधन और परिचालन लागत में कमी में सहायता करता है।
  • मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP), 2017: भारतमाला परियोजना के तहत बड़े पैमाने पर वेयरहाउसिंग और भंडारण केंद्र।
    • 35 स्थानों को मंजूरी दी गई, वर्ष 2027 तक 5 चालू हो जाएँगे।
    • लॉजिस्टिक्स लागत कम करने और आपूर्ति शृंखला दक्षता में सुधार करने का लक्ष्य।

  • गति शक्ति विश्वविद्यालय (GSV): परिवहन और लॉजिस्टिक्स शिक्षा के लिए भारत का पहला विश्वविद्यालय।
    • राष्ट्रीय मास्टर प्लान के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कुशल पेशेवरों को प्रशिक्षित करता है।
    • लगभग 40 संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।
  • विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स सुगमता (LEADS): बुनियादी ढाँचे, सेवाओं, नियामक परिवेश और स्थिरता का आकलन करने वाली वार्षिक रिपोर्ट।
    • नीति और निवेश संबंधी निर्णयों के मार्गदर्शन हेतु अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (National Logistics Policy- NLP) के बारे में

  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP) के पूरक के रूप में शुरू की गई थी।
  • NLP सॉफ्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के विकास पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें प्रक्रिया सुधार, लॉजिस्टिक्स सेवाओं में सुधार, डिजिटलीकरण, मानव संसाधन विकास और कौशल विकास शामिल हैं।
  • विजन: सर्वोत्तम तकनीक, प्रक्रियाओं और कुशल जनशक्ति का लाभ उठाकर एक एकीकृत, निर्बाध, कुशल, विश्वसनीय, हरित, सतत् तथा लागत प्रभावी लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के माध्यम से देश के आर्थिक विकास और व्यावसायिक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना।
  • लक्ष्य: NLP के लक्ष्य हैं:-
    1. भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत कम करना;
    2. लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक रैंकिंग में सुधार – वर्ष 2030 तक शीर्ष 25 देशों में शामिल होने का प्रयास, और
    3. एक कुशल लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र के लिए डेटा-संचालित निर्णय समर्थन तंत्र बनाना।
  • महत्त्व: लॉजिस्टिक्स नीति निर्माण के लिए एक साक्ष्य-आधारित ढाँचा स्थापित करता है।
    • व्यापार करने की लागत कम करता है, व्यापार को आसान बनाता है और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देता है।
    • मुक्त व्यापार समझौते (FTA) वार्ताओं में भारत की स्थिति को मजबूत करता है।
    • भारत को एक वैश्विक लॉजिस्टिक्स केंद्र बनाने के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (2022-2025) के अंतर्गत प्रमुख उपलब्धियाँ

  • डिजिटल एकीकरण और पारदर्शिता
    • एकीकृत लॉजिस्टिक्स इंटरफ़ेस प्लेटफॉर्म (ULIP): 30 से अधिक डिजिटल प्रणालियों को एकीकृत करते हुए 160 करोड़ से अधिक एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) लेन-देन को सक्षम बनाया।
    • लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (LDB): 101 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (ICD) में 75 मिलियन निर्यात-आयात (EXIM) कंटेनरों की निगरानी की गई, जिससे वास्तविक समय में दृश्यता में वृद्धि हुई।
    • इलेक्ट्रॉनिक लॉजिस्टिक्स (E-Logs) पोर्टल: एक संस्थागत तंत्र, सेवा सुधार समूह (SIG) के माध्यम से 140 में से 100 हितधारक मुद्दों का समाधान किया गया।
  • लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन निगरानी
    • विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स सुगमता (LEADS) सूचकांक (2024-25): स्थिरता और डिजिटल मानकों की शुरुआत की गई, जिससे विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI) में भारत को 38वें स्थान पर पहुँचने में मदद मिली।
    • लॉजिस्टिक्स उत्कृष्टता, उन्नति और प्रदर्शन शील्ड (LEAPS): सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME), स्टार्ट-अप्स और शिक्षा जगत द्वारा लॉजिस्टिक्स में नवाचार को मान्यता दी जाती है।
  • बुनियादी ढाँचे का विकास
    • मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (Multi-Modal Logistics Parks- MMLPs): 35 केंद्रों को मंजूरी; वेयरहाउसिंग, कोल्ड स्टोरेज, पैकेजिंग और सीमा शुल्क निकासी का एकीकरण।
    • समर्पित माल ढुलाई गलियारे (Dedicated Freight Corridors- DFCs): 96% कार्य पूर्ण, भीड़भाड़ कम होगी, लागत में कटौती होगी और ऊर्जा दक्षता में सुधार होगा।
    • मल्टीमॉडल और एकीकृत लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम (Strengthening Multimodal and Integrated Logistics Ecosystem- SMILE) कार्यक्रम (एशियाई विकास बैंक – ADB के साथ) के सुदृढ़ीकरण के अंतर्गत एकीकृत राज्य और नगर लॉजिस्टिक्स योजनाएँ: 8 राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चल रही हैं।
  • हरित एवं सतत् लॉजिस्टिक्स (Green & Sustainable Logistics)
    • परिवहन उत्सर्जन मापन उपकरण (Transportation Emission Measurement Tool- TEMT): क्लाउड-आधारित, ISO 14083 अनुरूप, उत्सर्जन निगरानी का समर्थन करता है।
    • रेल ग्रीन पॉइंट्स और मॉडल शिफ्ट: वर्ष 2030 तक रेल माल ढुलाई की हिस्सेदारी 35% से बढ़ाकर 45% करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना: हरित लॉजिस्टिक्स प्रथाओं और कार्बन उत्सर्जन में कमी को प्रोत्साहित करना।
  • कौशल विकास एवं क्षमता निर्माण
    • 100 से अधिक विश्वविद्यालय और संस्थान अब लॉजिस्टिक्स पाठ्यक्रम प्रदान कर रहे हैं; 65,000 पेशेवरों को प्रशिक्षित किया गया (2023-25)।
    • गतिशक्ति विश्वविद्यालय (GatiShakti Vishwavidyalaya- GSV): स्नातक (UG) और स्नातकोत्तर (PG) लॉजिस्टिक्स कार्यक्रम शुरू किए।
    • सिटी लॉजिस्टिक्स उत्कृष्टता केंद्र (योजना एवं वास्तुकला विद्यालय – भोपाल): 100 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया।
  • क्षेत्रीय एवं क्षेत्रीय नीति को बढ़ावा
    • कुशल लॉजिस्टिक्स के लिए क्षेत्रीय नीति (Sectoral Policy for Efficient Logistics- SPEL)
      • कोयला लॉजिस्टिक्स नीति अधिसूचित।
      • सीमेंट लॉजिस्टिक्स योजना को अंतिम रूप दिया गया।
      • इस्पात, उर्वरक और खाद्य प्रसंस्करण के लिए मसौदे पर काम चल रहा है।
    • राज्य स्तरीय कार्रवाई
      • 27 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश, जिनके पास लॉजिस्टिक्स नीतियाँ हैं।
      • 19 राज्य उद्योग का दर्जा (कर प्रोत्साहन और लाभ) प्रदान कर रहे हैं।
      • शहरी लॉजिस्टिक्स योजनाएँ (City Logistics Plans- CLPs): भीड़भाड़ कम करने और शहरी माल ढुलाई दक्षता को लक्षित करना।
  • रुझान: गैर-सेवा उत्पादन की तुलना में लॉजिस्टिक्स लागत की वृद्धि दर धीमी हो रही है, जो सुधारों और बुनियादी ढाँचे में निवेश से होने वाले लाभ को दर्शाती है।

व्यापक लॉजिस्टिक्स कार्य योजना (Comprehensive Logistics Action Plan- CLAP)

  • इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, NLP के हिस्से के रूप में एक व्यापक लॉजिस्टिक्स कार्य योजना (Comprehensive Logistics Action Plan- CLAP) शुरू किया गया, जिसमें आठ कार्य क्षेत्र शामिल हैं
    1. एकीकृत डिजिटल लॉजिस्टिक्स प्रणालियाँ;
    2. भौतिक परिसंपत्तियों का मानकीकरण और सेवा गुणवत्ता मानकों की बेंचमार्किंग;
    3. लॉजिस्टिक्स मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण;
    4. राज्य सहभागिता;
    5. लॉजिस्टिक्स;
    6. सेवा सुधार ढाँचा;
    7. कुशल लॉजिस्टिक्स के लिए क्षेत्रीय योजनाएँ (SPEL); और
    8. लॉजिस्टिक्स पार्कों के विकास को सुगम बनाना।

भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की चुनौतियाँ

  • उच्च लॉजिस्टिक्स लागत: भारत में लॉजिस्टिक्स लागत सकल घरेलू उत्पाद का 13-14% है, जबकि वैश्विक मानक 8-10% है।
    • इससे भारतीय वस्तुओं की लागत बढ़ जाती है, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कम प्रतिस्पर्द्धी हो जाती हैं।
  • विखंडित उद्योग संरचना: लॉजिस्टिक्स क्षेत्र अत्यधिक विखंडित है, जहाँ छोटे, असंगठित अभिकर्ता 80% बाजार पर प्रभावी हैं। इसके परिणामस्वरूप संसाधनों का खराब अनुकूलन और अक्षमताएँ होती हैं।
    • उदाहरण के लिए, अधिकांश ट्रकिंग कंपनियाँ पाँच से कम ट्रकों के बेड़े के साथ काम करती हैं, जिससे स्केलेबिलिटी सीमित हो जाती है।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: सड़क, रेलवे, बंदरगाह और गोदामों सहित भारत का लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढाँचा बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
    • केवल 31% माल रेल के माध्यम से परिवहित होता है, जबकि यह सड़क परिवहन की तुलना में अधिक लागत-कुशल है, जो 66% माल का प्रबंधन करता है।
  • कौशल की कमी: इस क्षेत्र में आपूर्ति शृंखला प्रबंधन और लॉजिस्टिक्स प्रौद्योगिकियों में कुशल श्रमिकों की भारी कमी है। सीमित व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्योग-विशिष्ट शिक्षा इस समस्या को और बढ़ा देते हैं।
    • उदाहरण के लिए, उन्नत वेयरहाउसिंग और प्रौद्योगिकी-सक्षम लॉजिस्टिक्स की बढ़ती माँग के बावजूद, प्रशिक्षण कार्यक्रम अभी भी सीमित हैं।
  • नियामक जटिलता: जटिल और असंगत नियामक ढाँचे, जिनमें कई कर संरचनाएँ और अनुपालन आवश्यकताएँ शामिल हैं, परिचालन संबंधी बाधाएँ पैदा करते हैं।
    • वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरुआत से कुछ प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में मदद मिली है, लेकिन और अधिक सामंजस्य की आवश्यकता है।
  • अंतिम-मील कनेक्टिविटी की समस्याएँ: अंतिम-मील डिलीवरी को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में खराब सड़क अवसंरचना, यातायात भीड़ तथा अपर्याप्त मानचित्रण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • उदाहरण के लिए, अंतिम-मील कनेक्टिविटी में देरी ई-कॉमर्स डिलीवरी को प्रभावित करती है, जिससे ग्राहक असंतुष्ट होते हैं।
  • तकनीकी कमियाँ: हालाँकि यह क्षेत्र डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है, लेकिन वैश्विक मानकों की तुलना में AI, IoT और ब्लॉकचेन जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाना अभी भी सीमित है।

लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों के सर्वश्रेष्ठ वैश्विक उदाहरण

सिंगापुर: एक वैश्विक लॉजिस्टिक्स केंद्र

  • अपनी कुशल बंदरगाह अवसंरचना, उन्नत तकनीक और निर्बाध व्यापार सुविधा के कारण, विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में लगातार शीर्ष प्रदर्शनकर्ता के रूप में स्थान प्राप्त किया है।
  • सर्वोत्तम अभ्यास: वास्तविक समय आधारित निगरानी रखने के लिए IoT और AI जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का एकीकरण और व्यापार दस्तावेजीकरण के लिए सिंगल विंडो प्लेटफॉर्म।
  • सिंगापुर विश्व के प्रमुख बाजारों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जहाँ से हर प्रमुख बंदरगाह के लिए दैनिक नौवहन सेवाएँ और 60 देशों के 280 शहरों के लिए 6,500 से अधिक साप्ताहिक उड़ानें उपलब्ध हैं।

नीदरलैंड: यूरोप का प्रवेश द्वार

  • यूरोप का सबसे बड़ा बंदरगाह, रॉटरडैम, वार्षिक रूप से 469 मिलियन टन से अधिक माल का संचालन करता है और वैश्विक व्यापार मार्गों को जोड़ता है।
  • सर्वोत्तम अभ्यास: सीमा शुल्क और व्यापार सुगमता के लिए स्वचालित बंदरगाह संचालन और ब्लॉकचेन का उपयोग।

चीन: पैमाना और नवाचार

  • चीन, लॉजिस्टिक्स के पैमाने में अग्रणी है, जहाँ शंघाई (विश्व का सबसे व्यस्त बंदरगाह) जैसे बड़े बंदरगाहों सहित उन्नत बुनियादी ढाँचा वार्षिक रूप से 47 मिलियन से अधिक TEUs का संचालन करता है।
  • सर्वोत्तम अभ्यास: आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में AI और IoT का एकीकरण और बेल्ट एंड रोड पहल के माध्यम से बुनियादी ढाँचे में महत्त्वपूर्ण सरकारी निवेश।

संयुक्त राज्य अमेरिका: लॉजिस्टिक्स पॉवरहाउस

  • सड़क, रेल और हवाई लॉजिस्टिक्स प्रणालियों का मजबूत एकीकरण, जिसमें अमेजन और फेडेक्स जैसी कंपनियाँ ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स और अंतिम-लक्ष्य डिलीवरी में नवाचार का नेतृत्व कर रही हैं।
  • लॉस एंजिल्स बंदरगाह ट्रांस-पैसिफिक व्यापार का एक प्रमुख प्रवेश द्वार है, जो वार्षिक रूप से 9 मिलियन से अधिक TEUs का संचालन करता है।

आगे की राह

  • लॉजिस्टिक्स लागत कम करना: GDP के 8-10% के वैश्विक मानकों के अनुरूप लॉजिस्टिक्स लागत कम करने पर ध्यान केंद्रित करना।
    • यह बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण, बहु-मॉडल परिवहन को बढ़ावा देने और स्वचालन एवं AI-संचालित विश्लेषण जैसी लागत-कुशल तकनीकों को अपनाकर हासिल किया जा सकता है।
  • बुनियादी ढाँचे के विकास को मजबूत करना: समर्पित माल ढुलाई गलियारों, बहु-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों और तटीय शिपिंग नेटवर्क के विकास में तेजी लाना।
    • सड़क और रेल संपर्क में निवेश, विशेष रूप से अंतिम-लक्ष्य वितरण के लिए, लॉजिस्टिक्स दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि करेगा।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: साझा बुनियादी ढाँचे, डेटा विनिमय और समन्वित निर्णय लेने को सक्षम बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करना।
    • उदाहरण के लिए, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (India-Middle East-Europe Corridor- IMEC) का उद्देश्य अरब प्रायद्वीप के माध्यम से भारत और यूरोप के बीच निर्बाध संपर्क स्थापित करना है।
  • निवेश आकर्षित करना और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना: राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) जैसी पहलों का लाभ उठाना, जिसका उद्देश्य अवसंरचना परियोजनाओं के लिए ₹50 लाख करोड़ (लगभग 650 अरब डॉलर) जुटाना है।
    • जहाँ अधिकांश परिवहन अवसंरचना विकास पहलों में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है, वहीं अधिक निजी और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए अतिरिक्त नीतिगत उपायों तथा प्रोत्साहनों की आवश्यकता है, जिससे अवसंरचना विकास पर वांछित प्रभाव सुनिश्चित हो सके।
  • डिजिटल परिवर्तन को प्रोत्साहित करना: लॉजिस्टिक्स संचालन में ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देना।
    • ये तकनीकें पारदर्शिता में सुधार, मार्गों का अनुकूलन और पारगमन समय को कम कर सकती हैं।
  • नीति सामंजस्य और सरलीकरण: यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) जैसी सिंगल-विंडो प्रणालियों के माध्यम से नियमों को और सुव्यवस्थित तथा अनुपालन को सरल बनाना।
    • राज्यों में कर संरचनाओं और नियामक ढाँचों में सामंजस्य स्थापित करने से व्यापार करने में आसानी हो सकती है।
  • कौशल विकास को बढ़ावा देना: आपूर्ति शृंखला प्रबंधन, भंडारण और प्रौद्योगिकी-सक्षम लॉजिस्टिक्स में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करके लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में कौशल की कमी को दूर करना।
    • शैक्षणिक संस्थानों के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी इस कमी को पूरा कर सकती है।
  • स्थायित्व पर ध्यान केंद्रित करना: इलेक्ट्रिक वाहनों, पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग और कार्बन-तटस्थ आपूर्ति शृंखलाओं को अपनाने जैसी हरित लॉजिस्टिक्स प्रथाओं को प्रोत्साहित करना।
    • सरकार और निजी क्षेत्र को लॉजिस्टिक्स संचालन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए स्थायी समाधानों में निवेश करना चाहिए।

निष्कर्ष

लॉजिस्टिक्स विकास, रोजगार और संतुलित विकास का एक प्रमुख प्रवर्तक है। आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करके, भारत 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने और विकसित भारत@2047 विजन को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।

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