MRI तकनीकों का विकास: इसकी मूलभूत तकनीकें 1970 के दशक की शुरुआत में विकसित की गईं।
दशक के उत्तरार्द्ध में, पॉल लॉटरबर और पीटर मैन्सफील्ड ने महत्त्वपूर्ण सुधार किए, जिससे चिकित्सा प्रयोजनों के लिए इसे व्यापक रूप से अपनाया जा सका।
इन प्रयासों के लिए उन्हें वर्ष 2003 में चिकित्सा नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
परिचय: MRI का उपयोग शरीर के भीतर मुलायम ऊतकों (Soft Tissues) की छवियाँ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। ‘मुलायम ऊतक’ वह ऊतक है, जो कैल्सीफिकेशन के कारण कठोर नहीं हुआ है।
यह एक गैर-आक्रामक निदान प्रक्रिया है, जिसका व्यापक रूप से मस्तिष्क, हृदय प्रणाली, रीढ़ की हड्डी और जोड़ों, विभिन्न माँसपेशियों, यकृत, धमनियों आदि की छवि बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
उपयोग: इसका उपयोग ‘प्रोस्टेट’ और ‘रेक्टल कैंसर’ सहित कुछ कैंसर के अवलोकन और उपचार में और अल्जाइमर, मनोभ्रंश, मिर्गी और स्ट्रोक सहित न्यूरोलॉजिकल स्थितियों को ट्रैक करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
शोधकर्ताओं ने रक्त प्रवाह में परिवर्तन देखने के लिए MRI स्कैन का उपयोग किया है, जिससे उन्हें मस्तिष्क न्यूरॉन गतिविधियों में उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाने की अनुमति मिलती है। तकनीक के इस अनुप्रयोग को कार्यात्मक MRI (fMRI) के रूप में जाना जाता है।
MRI की कार्यप्रणाली
हाइड्रोजन परमाणु इमेजिंग: MRI प्रक्रिया से शरीर के किसी भाग में हाइड्रोजन परमाणुओं का उपयोग करके शरीर के किसी हिस्से की छवि सामने आती है।
एक हाइड्रोजन परमाणु मात्र एक प्रोटॉन होता है, जिसके चारों ओर एक इलेक्ट्रॉन होता है। ये सभी परमाणु चक्रण कर रहे हैं, जिनकी धुरियाँ यादृच्छिक दिशाओं की ओर होती हैं।
वसा और जल में हाइड्रोजन परमाणु प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो लगभग पूरे शरीर में मौजूद होते हैं।
MRI मशीन के घटक: एक MRI मशीन में चार आवश्यक घटक होते हैं।
बोर (Bore): मशीन स्वयं एक ‘विशाल डोनट’ की तरह दिखती है। जिस व्यक्ति के शरीर को स्कैन करना होता है उसे केंद्र में बने ‘छिद्र’ के अंदर लाया जाता है, जिसे ‘बोर’ (Bore) कहा जाता है।
‘डोनट’ के अंदर एक शक्तिशाली ‘सुपरकंडक्टिंग’ चुंबक होती है, जिसका कार्य शरीर के चारों ओर एक शक्तिशाली और स्थिर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करना है। एक बार जब स्कैन किया जाने वाला शरीर का हिस्सा ‘बोर’ के केंद्र में होता है, तो चुंबकीय क्षेत्र सक्रिय हो जाता है।
चुंबकीय क्षण: प्रत्येक हाइड्रोजन परमाणु में एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षण होता है, जिसका अर्थ है कि चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में, परमाणु का चक्रण धुरी क्षेत्र की दिशा के अनुरूप होगी।
इसके कारण लक्षित क्षेत्र के भीतर लगभग आधे हाइड्रोजन परमाणु एक दिशा में संरेखित होते हैं जबकि अन्य आधे विपरीत दिशा में संरेखित होते हैं।
यह संरेखण लगभग सटीक होता है, लाखों परमाणुओं में से केवल कुछ ही असंरेखित रहते हैं, जिससे दो दिशाओं में से एक में उन्मुख “अतिरिक्त” परमाणुओं की एक छोटी संख्या का निर्माण होता है।
रेडियोफ्रीक्वेंसी पल्स और परमाणु उत्प्रेरकता: एक उपकरण, जो स्कैनर के नीचे वाले हिस्से में ‘रेडियोफ्रीक्वेंसी पल्स’ उत्सर्जित करता है।
जब पल्स ‘चालू’ होती है, तो केवल ‘अतिरिक्त’ परमाणुओं की छोटी संख्या ही विकिरण को अवशोषित करती है और उत्तेजित होती है।
जब पल्स ‘बंद’ हो जाती है, तोये परमाणु अवशोषित ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं और अपनी मूल, निम्न ऊर्जा अवस्था में लौट आते हैं।
‘अतिरिक्त’ परमाणुओं को अवशोषित करने के लिए पल्स की आवृत्ति को ‘लार्मोर आवृत्ति कहा जाता है। इसका मूल्य चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति और ऊतक के प्रकार पर निर्भर करता है, जिसमें परमाणु मौजूद हैं।
डिटेक्टर: एक डिटेक्टर, उत्सर्जन प्राप्त करता है और उन्हें सिग्नल में परिवर्तित करता है, जो एक कंप्यूटर को भेजा जाता है, जो शरीर के उस हिस्से की दो-या तीन-आयामी छवियों को निर्मित करने के लिए उनका उपयोग करता है।
MRI के लाभ
फोकस्ड इमेजिंग के लिए क्रमिक चुंबकीय क्षेत्र: प्राथमिक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र के सक्रियण के बाद, MRI मशीन तीन अतिरिक्त चुंबक लगाती है, जो छोटे चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं।
ये क्षेत्र मुख्य क्षेत्र की तुलना में लगभग 80 या अधिक कारण से दुर्बल हैं। इन सहायक क्षेत्रों में एक प्रवणता क्षेत्र भी होता है, जिसका अर्थ है कि वे एक समान नहीं हैं।
वे विस्तृत इमेजिंग के लिए विशिष्ट क्षेत्रों पर जोर देते हुए, स्कैन के लक्षित क्षेत्र में मुख्य क्षेत्र के साथ संबंधित होते हैं।
ग्रेडिएंट मैग्नेट अनुक्रमों के साथ सटीक स्कैनिंग: पूर्व निर्धारित अनुक्रमों में ग्रेडिएंट मैग्नेट को चुनिंदा रूप से सक्रिय और निष्क्रिय करके, MRI मशीन कुछ मिलीमीटर तक संकीर्ण खंडों को स्कैन कर सकती है।
इन अनुक्रमों को बोर के भीतर संचलन की आवश्यकता के बिना व्यक्ति के शरीर के विभिन्न क्षेत्रों को स्कैन करने के लिए भी समन्वित किया जा सकता है।
व्यापक शारीरिक इमेजिंग क्षमता: मशीन के निर्माण और उसके भीतर चुंबकों की व्यवस्था के कारण, एक MRI स्कैन कई उपयोगी कोणों से शरीर की छवियों को प्रभावी ढंग से और यदि आवश्यक हो, तो बेहद बारीक वृद्धि से कैप्चर कर सकता है।
ऊतक विभेदन: जब “अतिरिक्त” परमाणु अवशोषित ऊर्जा को निम्न ऊर्जा अवस्था में वापस लाने के लिए छोड़ते हैं, तो यह प्रक्रिया एक अवधि में होती है, जिसे T1 विश्राम समय के रूप में जाना जाता है।
जल में हाइड्रोजन परमाणु उन ऊतकों के आधार पर अलग-अलग T1 मान प्रदर्शित करते हैं, जिनमें वे रहते हैं। MRI मशीनें विभिन्न ऊतकों को भूरे रंग के अलग-अलग रंगों में दर्शाने के लिए इस विसंगति का लाभ उठाती हैं।
इसके अतिरिक्त, चिकित्सक व्यक्तियों को एक ‘कंट्रास्ट एजेंट’ (आमतौर पर एक गैडोलीनियम-आधारित यौगिक) इंजेक्ट कर सकते हैं, जिससे कुछ ऊतकों में T1 समय कम हो जाता है और MRI स्कैन में उनकी दृश्यता बढ़ जाती है।
MRI स्कैन और चुंबकीय क्षेत्र प्रभावों की सुरक्षा: व्यापक शोध ने मानव शरीर पर मजबूत चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव का पता लगाया है।
MRI स्कैन को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि स्कैन समाप्त होने के बाद चुंबकीय क्षेत्र समाप्त हो जाता है और स्कैन किए गए क्षेत्र के भीतर के परमाणु बिना किसी स्थायी प्रभाव के अपनी सामान्य स्थिति में लौट आते हैं।
MRI स्कैन से जुड़े दीर्घकालिक नुकसान का कोई साक्ष्य नहीं है।
MRI से हानि
कमी: MRI स्कैन में उपयोग किए जाने वाले मजबूत चुंबकीय क्षेत्रों के कारण, प्रत्यारोपित धातु की वस्तुएँ जैसे छर्रे या पेसमेकर जैसे चिकित्सा प्रत्यारोपण वाले व्यक्ति इस प्रक्रिया के लिए अयोग्य हो सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, यहाँ तक कि अपनी जेब में क्रेडिट कार्ड रखने से भी एमआरआई के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा चुंबकीय पट्टी मिट सकती है।
भारी लागत: MRI मशीनों में महत्त्वपूर्ण खर्च होता है, जिसमें चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति और इमेजिंग गुणवत्ता विनिर्देशों जैसे कारकों के आधार पर कई कई लाख से लेकर कुछ करोड़ तक की लागत होती है।
ये खर्च नैदानिक सुविधाओं द्वारा रोगियों को हस्तांतरित कर दिए जाते हैं। नैदानिक आवश्यकताओं के आधार पर, व्यक्तिगत स्कैन का मूल्य प्रायः 10,000 रुपये से अधिक हो सकता है, जो भारत में विशेष रूप से बिना बीमा वाले व्यक्तियों और कई MRI स्कैन की आवश्यकता वाले लोगों के लिए एक बड़ी राशि है।
मशीन का उपयोग करने में असुविधा: हालाँकि, सुविधाजनक रूप से, व्यक्ति को शरीर के विभिन्न हिस्सों को स्कैन करने के लिए बोर के भीतर स्थानांतरित होने की आवश्यकता नहीं होती है, उन्हें स्कैन समाप्त होने तक विस्तारित अवधि, अक्सर कई मिनट तक स्थिर रहने की आवश्यकता होती है।
व्यक्ति द्वारा की गई कोई भी गति परिणामी छवि को विकृत कर सकती है, जिससे स्कैन को दोहराने की आवश्यकता होती है।
ऊष्मा अपव्यय: मुख्य चुंबक की तरह 1 टेस्ला या उससे अधिक का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करना एक बड़ी चुनौती है।
चूँकि गैर-सुपरकंडक्टिंग सामग्री ऊष्मा के रूप में ऊर्जा को नष्ट कर देगी, इस सेटअप को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसमें उच्च लागत आती है।
MRI ऑपरेशन में शोर उत्पन्न होना: मशीन के भीतर भारी धाराओं की स्विचिंग, विशेष रूप से जब ‘ग्रेडिएंट कॉइल’ क्रमिक रूप से संचालित होते हैं, तो ऑपरेशन के दौरान तेज शोर होता है।
यह अतिरिक्त शोर, स्कैन कराने वाले व्यक्ति के लिए असुविधा पैदा कर सकता है।
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