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भारतीय शहरों के सामने प्रमुख चुनौतियाँ

Lokesh Pal November 05, 2024 04:06 80 0

संदर्भ

31 अक्टूबर को विश्व शहर दिवस (World Cities Day) मनाया गया, जिसका उद्देश्य शहरीकरण चुनौतियों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना और सतत् शहरी विकास में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।

विश्व शहर दिवस

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2013 में विश्व शहर दिवस को मनाने का प्रस्ताव पारित किया था, जो प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को मनाया जाता है।
  • वर्ष 2024 के लिए विश्व शहर दिवस की थीम: ‘शहरों के लिए जलवायु और स्थानीय कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे युवा’ (Youth leading climate and local action for cities)। इस थीम के तहत शहरों में जलवायु मुद्दों से निपटने में युवाओं की भूमिका पर जोर दिया गया।
  • यह दिवस को मनाने का उद्देश्य था:-
    • वैश्विक शहरीकरण में अंतरराष्ट्रीय रुचि को बढ़ावा देना।
    • शहरीकरण चुनौतियों का समाधान करने के लिए देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना।
    • स्थायी शहरी विकास में योगदान देना।
    • नवाचार, आर्थिक विकास और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने में शहरों के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • विश्व शहर दिवस, अर्बन अक्टूबर (Urban October) नामक एक बड़ी पहल का हिस्सा है, जो अक्टूबर के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस (World Habitat Day) के साथ शुरू होता है।

शहरीकरण

  • शहरीकरण का तात्पर्य ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के स्थानांतरण, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अनुपात में कमी और समाज द्वारा इस परिवर्तन के अनुकूल होने के तरीकों से है।
  • यह मुख्य रूप से वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कस्बों और शहरों का निर्माण होता है और वे बड़े होते जाते हैं क्योंकि अधिक लोग केंद्रीय क्षेत्रों में रहने और कार्य करने लगते हैं।

वैश्विक शहरी जनसंख्या पर मुख्य निष्कर्ष

  • शहरीकरण का विस्तार: शहरी आबादी 4.7 बिलियन (कुल आबादी का 57.5%) तक पहुँच गई है और वर्ष 2050 तक दोगुनी होने की उम्मीद है।
  • शहरी क्षेत्रों में चुनौतियाँ: शहर विशेष रूप से चरम मौसम और प्रदूषण जैसे जलवायु-संबंधी जोखिमों के प्रति संवेदनशील हैं।
  • सामाजिक और आर्थिक मुद्दे: सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) में प्रगति के बावजूद, शहर गरीबी, असमानता और पर्यावरण क्षरण से जूझ रहे हैं, विशेषकर ‘ग्लोबल साउथ’ में।
  • ‘ग्लोबल साउथ’ में चुनौतियाँ: पर्याप्त बुनियादी ढाँचे के बिना तेजी से शहरीकरण के कारण आवास की कमी, जल और स्वच्छता की खराब पहुँच और जलवायु प्रभावों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ गई है।

भारतीय शहरों के सामने प्रमुख चुनौतियाँ

  • अपर्याप्त शहरी नियोजन और बुनियादी ढाँचा: पुरानी शहरी योजनाएँ अक्सर वर्तमान जनसंख्या की माँगों को पूरा करने में विफल हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप भीड़भाड़ वाली झुग्गियों का निर्माण हो  जाता हैं, जहाँ 40% शहरी आबादी रहती है।
    • सामुदायिक आवश्यकताओं की अपेक्षा पूँजी वृद्धि पर अधिक ध्यान देने से स्थानीय सहभागिता में कमी आती है तथा वास्तविक शहरी चुनौतियों का समुचित समाधान नहीं हो पाता है।
  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दे: भारतीय शहर गंभीर प्रदूषण, शहरी बाढ़ और “हीट आइलैंड प्रभाव” का सामना कर रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ रहा है और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
    • भारत के दस सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से आठ NCR क्षेत्र में हैं, जो वायु गुणवत्ता के संबंध में गंभीर चिंता को दर्शाता है।
  • आवास की कमी और सामाजिक असमानता: उच्च स्तरीय विकास परियोजनाएँ धनी लोगों के लिए हैं, जबकि लाखों लोग बुनियादी आवास के बिना रह जाते हैं।
    • शहरों में सामाजिक और धार्मिक अलगाव बढ़ता जा रहा है, जो पारंपरिक रूप से तटस्थ शहरी वातावरण को चुनौती दे रहा है।
  • गरीबी से प्रेरित शहरीकरण: ‘ग्लोबल नार्थ’ के विपरीत, जहाँ औद्योगिकीकरण के बाद शहरीकरण हुआ, भारतीय शहरों में ‘गरीबी से प्रेरित शहरीकरण’ का अनुभव होता है, जो मुख्य रूप से आर्थिक संकट और प्रवास के कारण होता है। 
  • अनौपचारिक क्षेत्र का प्रभुत्व: लगभग 90% शहरी नौकरियाँ अनौपचारिक क्षेत्र में हैं, जहाँ कार्य करने की स्थितियाँ खराब हैं, वेतन कम है और कई श्रमिकों के लिए नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं है। 
  • कमजोर शहरी शासन: 74वें संविधान संशोधन के बावजूद, शहरी सरकारों के पास अक्सर शहरी नियोजन पर अधिकार की कमी होती है और कई जिम्मेदारियाँ अर्द्ध-सरकारी संस्थाओं एवं निजी संस्थाओं को आउटसोर्स की जाती हैं।
    • शहरों को अंतर-सरकारी हस्तांतरण में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.5% ही प्राप्त होता है, जिससे बुनियादी ढाँचे और सेवाओं में प्रभावी रूप से सुधार करने की उनकी क्षमता सीमित हो जाती है।

शहरी विकास के लिए भारत सरकार की पहल

  • पारगमन-उन्मुख विकास (Transit-oriented development): सरकार 14 बड़े शहरों में पारगमन-उन्मुख विकास के लिए योजनाएँ बना रही हैं।
  • स्मार्ट सिटी परियोजना (Smart City Project): वर्ष 2015 में शुरू की गई, स्मार्ट सिटी परियोजना का उद्देश्य 100 चयनित शहरों में दक्षता, स्थिरता और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके शहरी बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना है। प्रमुख क्षेत्रों में स्मार्ट मोबिलिटी, डिजिटल गवर्नेंस, जल प्रबंधन और ऊर्जा दक्षता शामिल हैं, जो शहरों को अधिक रहने योग्य और पर्यावरण के अनुकूल बनाते हैं।
  • अमृत मिशन (AMRUT Mission): वर्ष 2015 में शुरू किया गया ‘अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन’ (अमृत) शहरी जीवन स्तर में सुधार और बुनियादी ढाँचे की कमियों को दूर करने के लिए 500 शहरों में शहरी जल आपूर्ति, सीवेज और हरित स्थानों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • अमृत मिशन 2.0 (AMRUT Mission 2.0): वर्ष 2021 में शुरू किया गया अमृत 2.0, 1,00,000 से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में सार्वभौमिक जल आपूर्ति और सीवेज प्रबंधन के लक्ष्य के साथ पहले चरण पर आधारित है, जो जल-सुरक्षित और हरित शहरी भविष्य को बढ़ावा देता है।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (Pradhan Mantri Awas Yojana-Urban: PMAY-U): वर्ष 2015 में शुरू की गई PMAY-U का उद्देश्य वित्तीय सहायता, इन-सीटू पुनर्विकास और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से वर्ष 2022 तक सभी शहरी गरीबों को किफायती आवास उपलब्ध कराना है, जिसमें झुग्गीवासियों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को लक्षित किया गया है।

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