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मकर संक्रांति एवं अन्य संबंधित त्योहार (Makar Sankranti and other related festivals)

Samsul Ansari January 15, 2024 03:06 209 0

संदर्भ

भारत के कई राज्यों में 14 जनवरी को विभिन्न सांस्कृतिक त्योहार मकर संक्रांति, पोंगल, माघ बिहू आदि मनाए जाते हैं।

संबंधित तथ्य

मकर संक्रांति का महत्त्व

  • मकर संक्रांति एक हिंदू त्योहार है, जो सूर्य का आभार प्रकट करने के लिए समर्पित है। इस दिन लोग अपने प्रचुर संसाधनों और फसल की अच्छी उपज के लिए प्रकृति को धन्यवाद देते हैं। यह त्योहार सूर्य के मकर (मकर राशि) में प्रवेश का प्रतीक है।
  • यह दिन मौसम में परिवर्तन का सूचक होता है।
  • ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सूर्य की उत्तरायण यात्रा प्रारंभ होती है। 
  • यह दिनों की अवधि में वृद्धि की शुरुआत का प्रतीक है। 
  • यह सूर्य की दिशा परिवर्तन और अपने प्रक्षेप पथ को उत्तर की ओर स्थानांतरित करने का प्रतीक है, इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।
  • ‘उत्तरायण’ के आधिकारिक उत्सव के एक हिस्से के रूप में गुजरात सरकार द्वारा वर्ष 1989 से अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
  • इस दिन के साथ जुड़े त्योहारों को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। 

लोहड़ी

  • लोहड़ी का पर्व मुख्य रूप से सिखों और हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है।
  • यह दिन शीत ऋतु की समाप्ति का प्रतीक है और पारंपरिक रूप से उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है।
  • यह मकर संक्रांति से एक रात पहले मनाया जाता है, इस अवसर पर प्रसाद वितरण और पूजा के दौरान अलाव के चारों ओर परिक्रमा की जाती है।
  • इसे किसानों और फसलों का त्योहार कहा जाता है। इसके माध्यम से किसान ईश्वर को धन्यवाद देते हैं।

पोंगल

  • तमिलनाडु में चार दिवसीय पोंगल त्योहार भोगी से शुरू होता है, यह दिन घर की सफाई करने और उसके प्रवेश द्वारों को चावल के पाउडर कोलम या सूखे और रंगीन सब्जियों तथा अनाज से बनी रंगोली से सजाने के लिए मनाया जाता है।
  • मुख्य त्योहार दूसरे दिन मनाया जाता है। 
  • तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के रूप में मनाया जाता है। 
  • तमिल में मट्टू का अर्थ है बैल और पोंगा का अर्थ है चावल की प्रचुरता, यह त्योहार अच्छी फसल सुनिश्चित करने में बैलों के परिश्रम का सम्मान करता है।
  • इसे थाई पोंगल के रूप में भी जाना जाता है, यह चार दिवसीय उत्सव तमिल कैलेंडर के अनुसार ‘थाई’ माह में मनाया जाता है, जब धान आदि फसलों की कटाई की जाती है तथा लोग ईश्वर तथा भूमि की दानशीलता के प्रति आभार प्रकट करते हैं।

माघ बिहू

  • माघ बिहू के अलावा असम में बोहाग बिहू और कोंगाली बिहू भी धूमधाम के साथ मनाए जाते हैं। 
  • बोहाग बिहू बैसाख माह में मनाया जाता है। 
  • वहीं कोंगाली बिहू कार्तिक माह में मनाया जाता है। 
  • जबकि माघ बिहू माघ के महीने में मनाया जाता है, इसलिए इसे माघ बिहू के नाम से जाना जाता है। 
  • यह उत्सव असम में फसलों की कटाई के समय मनाया जाता है। असमिया नव वर्ष की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए लोग रोंगाली/माघ बिहू मनाते हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि इस त्योहार की शुरुआत उस समय हुई जब ब्रह्मपुत्र घाटी के लोगों ने जमीन पर हल चलाना शुरू किया। मान्यता यह भी है बिहू पर्व उतना ही पुराना है जितनी ब्रह्मपुत्र नदी।

सबरीमाला में मकरविलक्कू उत्सव

  • मकरविलक्कू भारत के केरल में सबरीमाला मंदिर में मकर संक्रांति पर आयोजित होने वाला एक वार्षिक उत्सव है।
  • इस उत्सव में तिरुवभरणम (भगवान अय्यप्पन के पवित्र आभूषण) जुलूस और सबरीमाला के पहाड़ी मंदिर में एक मंडली शामिल है।
  • मकरविलक्कू, एक धार्मिक अनुष्ठान का एक हिस्सा है, जो अतीत में मलयराय जनजाति द्वारा प्रचलित था, जिनके बारे में माना जाता है कि वे पोन्नम्बलमेडु (Ponnambalamedu) के वनों में रहने वाले मलयामन कारी के वंशज हैं।
  • मंदिर में दीपाराधना (आरती) के समय जलाए जाने वाले दीपक को मकरविलक्कू के नाम से जाना जाता है।
  • मुख्य तीर्थयात्रा नवंबर और जनवरी के बीच की जाती है। 
  • जाति, पंथ और रंग की परवाह किए बिना वे काली या गहरी नीली धोती (पुरुषों के लिए पारंपरिक केरल परिधान) पहनते हैं और अपने सिर पर घी, कपूर और चावल से भरे नारियल जैसे पारंपरिक प्रसाद से भरे कपड़े के बंडल रखते हैं।
  • यह वार्षिक उत्सव है तथा सात दिनों तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत मकर संक्रांति (जब सूर्य ग्रीष्म अयनांत में प्रवेश करता है) के दिन से होती है।
  • त्योहार का मुख्य आकर्षण मकर ज्योति की उपस्थिति है, जो एक आकाशीय तारा है तथा मकर संक्रांति के दिन कांतामाला पहाड़ियों (Kantamala Hills) के ऊपर दिखाई देता है।
  • मकरविलक्कू ‘गुरुथी’ नामक अनुष्ठान के साथ समाप्त होता है, यह उत्सव वनों के देवता तथा देवियों को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है।

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