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मखाना: ‘काला हीरा’

Lokesh Pal February 04, 2025 01:50 10 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री ने बिहार में ‘मखाना बोर्ड’ की स्थापना की घोषणा की है।

मखाना (Fox Nuts

  • मखाना, जिसे फॉक्स नट (Fox Nuts) के नाम से भी जाना जाता है, यूरीले फेरॉक्स (Euryale Ferox) का सूखा हुआ खाद्य बीज है।
  • यह पूरे दक्षिण एवं पूर्वी एशिया में मीठे जल के निकायों में पाया जाता है।
  • यह पौधा अपने बैंगनी एवं सफेद फूलों तथा बड़े गोल कंटीले पत्तों के लिए पहचाना जाता है, जिनका व्यास सामान्यत: एक मीटर से अधिक होता है।
  • इसकी  बाहरी परत काली होने के कारण मखाने को ‘काला हीरा’ भी कहा जाता है।

पोषण मूल्य और उपयोग

  • मखाना में कम वसा, अधिक कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है।

  • यह खनिजों से भरपूर होता है एवं इसका उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है:
    • पारंपरिक चिकित्सा
    • स्वास्थ्य एवं कल्याण उत्पाद
    • स्नैक्स एवं पाक खाद्य, जैसे कि आमतौर पर ‘पॉप्ड’ मखाना के रूप में सेवन किया जाता है।

प्रमुख उत्पादक क्षेत्र

  • भारत के कुल मखाना उत्पादन का 90% हिस्सा बिहार में उत्पादित होता है।
  • बिहार के प्रमुख उत्पादक जिलों में शामिल हैं:
    • दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, एवं सीतामढी (मिथिलांचल क्षेत्र)।
    • दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार जिले बिहार के कुल मखाना उत्पादन में 80% योगदान देते हैं।
    • भौगोलिक संकेत (GI) टैग: मिथिला मखाना को वर्ष 2022 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ।
  • मखाने की खेती करने वाले अन्य राज्यों में शामिल हैं: असम, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा।
  • मखाना नेपाल, बांग्लादेश, चीन, जापान एवं कोरिया में भी उत्पादित किया जाता है।
  • बिहार सरकार मखाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP) की सिफारिश करती रही है।

मखाना की खेती के लिए जलवायु परिस्थितियाँ

  • मखाना एक जलीय फसल है, जो उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उत्पादित होती है।
  • इसकी कृषि स्थिर जल निकायों जैसे तालाबों, झीलों, खाइयों, आर्द्रभूमियों एवं 4-6 फीट की गहराई वाली भूमि में की जाती है।
  • आदर्श जलवायु परिस्थितियाँ
    • तापमान सीमा: 20°C – 35°C
    • सापेक्ष आर्द्रता: 50% – 90%
    • वार्षिक वर्षा: 100 – 250 सेमी.।

मखाना बोर्ड के बारे में

  • मखाना बोर्ड को 100 करोड़ रुपये के बजट से गठित करने की तैयारी है।
  • बोर्ड, मखाना किसानों के लिए प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता एवं सरकारी योजनाओं तक पहुँच प्रदान करेगा।
  • बोर्ड का लक्ष्य मखाना (फॉक्स नट्स) के उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन एवं विपणन को बढ़ावा देना है।

‘मखाना बोर्ड’ का महत्त्व

  • बिहार की निर्यात चुनौतियाँ
    • बिहार मखाना का सबसे बड़ा उत्पादक है, परंतु पंजाब एवं असम मखाना के सबसे बड़े निर्यातक  राज्य हैं।
    • पंजाब में मखाने की कृषि नहीं होती, फिर भी बेहतर प्रसंस्करण बुनियादी ढाँचे के कारण निर्यात में सबसे आगे है।
    • बिहार में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यात बुनियादी ढाँचे एवं हवाई अड्डों पर कार्गो सुविधाओं का अभाव है।
  • कम उत्पादकता एवं उच्च लागत: मखाना की कृषि श्रम-गहन और महंगी प्रक्रिया है।
    • किसानों ने स्वर्ण वैदेही एवं सबौर मखाना-1 जैसी उच्च उपज वाली किस्मों को व्यापक रूप से नहीं अपनाया है।

मखाना बोर्ड की भूमिका

  • उत्पादन तकनीकों में सुधार के लिए किसानों को प्रशिक्षित करना।
  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना।
    • वैश्विक बाजार तक पहुँच बढ़ाने के लिए निर्यात बुनियादी ढाँचे का विकास करना।
    • मखाना किसानों के लिए बेहतर वित्तीय प्रोत्साहन और MSP सुनिश्चित करना।

ODOP के अंतर्गत मखाना

  • एक जिला एक उत्पाद (ODOP) योजना के तहत मखाना को ODOP उत्पाद के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • केंद्र सरकार मखाना प्रोसेसिंग यूनिट्स को निम्नलिखित के लिए सब्सिडी प्रदान करती है:
    • ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग।
    • बिहार में बुनियादी ढाँचे का विकास।

एक जिला एक उत्पाद (ODOP) योजना

  • जिला स्तरीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा ODOP योजना शुरू की गई थी।
  • इसका उद्देश्य प्रत्येक जिले की क्षमता को अधिकतम करना, स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करना एवं विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है।
  • यह पहल आत्मनिर्भरता एवं क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टिकोण के अनुरूप है।
  • उत्पत्ति: जिला आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पहली बार 24 जनवरी, 2018 को लॉन्च किया गया।
    • इसकी सफलता के कारण इसे केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय पहल के रूप में अपनाया गया।
  • कार्यान्वयन: यह योजना वाणिज्य विभाग के विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा प्रबंधित ‘निर्यात हब के रूप में जिलों’ (Districts as Export Hubs’- DEH) पहल के साथ लागू की गई है।
    • उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ODOP का महत्त्व: विनिर्माण को बढ़ाकर एवं स्थानीय व्यवसायों को समर्थन देकर हर जिले को निर्यात केंद्र में बदलना है।

  • स्थानीय निर्माताओं को विदेशी बाजारों से जोड़कर घरेलू एवं वैश्विक व्यापार को प्रोत्साहित करता है।

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