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बिहार के गंगा के मैदानों में मैंगनीज प्रदूषण

Lokesh Pal December 16, 2024 03:12 24 0

संदर्भ

महावीर कैंसर संस्थान के शोध केंद्र द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में बिहार के गंगा के मैदानी क्षेत्रों में पेयजल में गंभीर मैंगनीज संदूषण पर प्रकाश डाला गया है। इससे वहाँ के निवासियों में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रदूषण की व्यापक चुनौती को रेखांकित करती है।

संबंधित तथ्य

  • बिहार के गंगा बेसिन में मैंगनीज की मात्रा अनुमेय सीमा से 10 गुना अधिक है।
  • अनुमान है कि इस क्षेत्र में लगभग 50 मिलियन लोग दूषित जल पर निर्भर हैं।
  • भागलपुर और मुंगेर जैसे जिलों में कैंसर का प्रचलन काफी बढ़ गया है।

मैंगनीज 

  • रासायनिक तत्त्व: मैंगनीज (Mn) एक संक्रमण धातु है, इसकी परमाणु संख्या 25 है, जो प्राकृतिक रूप से चट्टानों, मृदा और भूजल में पाई जाती है।
  • उपयोग: इस्पात उत्पादन, बैटरी और उर्वरकों के लिए उद्योगों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
  • जैविक भूमिका: एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्त्व, चयापचय प्रक्रियाओं, हड्डियों के विकास और एंजाइम सक्रियण के लिए महत्त्वपूर्ण है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश

  • पेयजल में मैंगनीज की सांद्रता 0.1 मिलीग्राम/लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

अत्यधिक संपर्क के विषाक्त प्रभाव

  • कैंसर का खतरा
    • उदाहरण: बिहार के गंगा के मैदानी क्षेत्रों से अध्ययन, जहाँ मैंगनीज संदूषण कैंसर के बढ़ते मामलों से जुड़ा हुआ है।
  • तंत्रिका संबंधी प्रभाव
  • मैंगनीज्म: पार्किंसंस रोग जैसी स्थिति
  • विकासात्मक और व्यवहार संबंधी विकार
    • उदाहरण: अमेरिका और दक्षिण एशिया के मैंगनीज-दूषित क्षेत्रों में अध्ययन।

संदूषण के कारण

1. भू-वैज्ञानिक कारक

  • भूजल में मैंगनीज युक्त खनिजों का प्राकृतिक रूप से घुलना।
  • भारत के आर्सेनिक-प्रवण क्षेत्रों में भूजल पर इसी तरह की प्रक्रियाएँ प्रभाव डालती हैं।

2. मानव गतिविधियाँ

  • गहन कृषि के कारण भूजल में प्रदूषक तत्त्वों का रिसाव होता है।
  • ग्रामीण और उप-नगरीय क्षेत्रों में खराब अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली।

प्रभाव 

1. स्वास्थ्य जोखिम

  • मैंगनीज का उच्च स्तर तंत्रिका संबंधी विकारों और कैंसर से संबंधित है।
  • बिहार के प्रभावित गाँवों के अध्ययनों में पाया गया कि सांद्रता विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुमेय सीमा (0.1 मिलीग्राम/लीटर) से अधिक है।

2. आर्थिक और सामाजिक परिणाम

  • ग्रामीण परिवारों के लिए स्वास्थ्य सेवा की लागत में वृद्धि।
  • असहाय परिस्थितियों के कारण संभावित पलायन।

अन्य संदूषण मुद्दों के साथ तुलना

  • आर्सेनिक संदूषण: इसी क्षेत्र में सामान्य है, अकेले बिहार में 10 मिलियन लोग इससे प्रभावित हैं।
  • क्रोमियम और पारा: कानपुर जैसे शहरी क्षेत्रों में भी इसी तरह की समस्याएँ देखी जाती हैं, जो मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती हैं।

सरकारी और संस्थागत भूमिका

1. मौजूदा चुनौतियाँ

  • भूजल की गुणवत्ता पर प्रभावी निगरानी और डेटा संग्रह का अभाव।
  • जल उपचार के बुनियादी ढाँचे का अकुशल कार्यान्वयन।

2. नीतिगत खामियाँ

  • मैंगनीज संदूषण को विशेष रूप से संबोधित करने के लिए कोई समर्पित ढाँचा नहीं।
  • जल गुणवत्ता और स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में सीमित सामुदायिक जागरूकता अभियान।

समाधान और अनुशंसाएँ 

1. नीतिगत हस्तक्षेप 

  • मौजूदा जल सुरक्षा नीतियों में संशोधन करके मैंगनीज को प्राथमिकता युक्त संदूषक के रूप में शामिल करना।
  • राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम को मजबूत बनाना।

2. तकनीकी समाधान 

  • ग्रामीण क्षेत्रों में वहनीय मैंगनीज निस्पंदन तकनीकों की तैनाती।
  • उपचारित सतही जल जैसे वैकल्पिक जल स्रोतों को बढ़ावा देना।

3. सामुदायिक जुड़ाव 

  • लोगों को सुरक्षित जल उपयोग और प्रारंभिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान।
  • संदूषण की पहचान करने और रिपोर्ट करने में स्थानीय निकायों को शामिल करना।

4. सफलता की कहानियाँ

  • उदाहरण: बांग्लादेश के आर्सेनिक शमन कार्यक्रम भूजल संदूषण से निपटने के उपाय प्रदान करते हैं।

सरकारी प्रयास

  • जल गुणवत्ता निगरानी
    • राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (National Water Quality Monitoring Programme- NWQMP): भूजल का नियमित परीक्षण।
  • योजनाएँ और मिशन
    • जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission- JJM): इसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना है।
    • राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण एवं प्रबंधन कार्यक्रम: स्थायी भूजल प्रबंधन के लिए दूषित जलभृतों के मानचित्रण पर ध्यान केंद्रित करना।
    • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT): प्रदूषण के लिए अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
  • तकनीकी पहल
    • ISRO की जल संसाधन सूचना प्रणाली (WRIS): भूजल संदूषण का मानचित्रण करने में सहायता करती है।
    • मैंगनीज और आर्सेनिक हटाने के लिए कम लागत वाली निस्पंदन प्रणाली को बढ़ावा देना
    • उदाहरण: हाइब्रिड आयन-एक्सचेंज रेजिन।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप
    • सामुदायिक स्वास्थ्य जाँच और जागरूकता अभियान के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग।
    • उदाहरण: आयुष्मान भारत के तहत प्रभावित आबादी के लिए सब्सिडीयुक्त स्वास्थ्य सेवा।
  • अंतर्संबंधी नीतियाँ: विभिन्न प्रदूषकों से निपटने के लिए एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन (IWRM)।

निष्कर्ष

बिहार के गंगा के मैदानों में मैंगनीज संदूषण तत्काल सरकारी कार्रवाई और मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता को प्रदर्शित करता है। इस मुद्दे को संबोधित करने से न केवल स्वास्थ्य जोखिम कम होगा बल्कि स्वच्छ जल और स्वच्छता (SDG-6) के सतत् विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में भी योगदान मिलेगा। उचित वित्तपोषण और सामुदायिक भागीदारी के साथ, ग्रामीण भारत के लिए एक सुरक्षित जल भविष्य प्राप्त किया जा सकता है।

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