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समुद्री वित्तपोषण शिखर सम्मेलन, 2025

Lokesh Pal July 28, 2025 03:03 11 0

संदर्भ

समुद्री वित्तपोषण शिखर सम्मेलन 2025 में, केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) ने समुद्री अमृत काल विजन (Maritime Amrit Kaal Vision- MAKV) के तहत वर्ष 2047 तक भारत को वैश्विक समुद्री केंद्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से परिवर्तनकारी पहलों का अनावरण किया।

समुद्री अमृत काल विजन (MAKV) के बारे में

  • इसका उद्देश्य जहाज निर्माण, बंदरगाह अवसंरचना और वित्तीय लचीलेपन को मजबूत करके भारत को दुनिया की अग्रणी समुद्री शक्तियों में शामिल करना है।
  • इसका उद्देश्य कुशल, लचीली और सतत् समुद्री आपूर्ति शृंखलाओं का निर्माण करना है, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्लू इकॉनमी को बढ़ावा देना है।

प्रमुख घोषणाएँ और सुधार

  • परिचालन दक्षता में वृद्धि
    • बंदरगाहों पर टर्नअराउंड समय 4 दिनों से घटकर <1 दिन रह गया।
    • कंटेनर क्षमता में 70% की वृद्धि।
    • तटीय और अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से माल की मात्रा कई गुना बढ़ गई है।
  • नीति और निवेश सुधार
    • स्वचालित मार्ग से नौवहन क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति।
    • गिफ्ट सिटी IFSC को जहाज पट्टे और वित्तपोषण के लिए सक्षम बनाया गया।
    • बड़े जहाजों को अवसंरचना परिसंपत्तियों के रूप में मान्यता दी गई।
    • समुद्री दस्तावेजीकरण को सरल बनाने के लिए बिल ऑफ लैडिंग’ 2025 पारित किया गया।
  • समुद्री विकास निधि (MDF): (वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में घोषित)
    • एक नया मिश्रित वित्त माध्यम, जिसका उद्देश्य है:-
    • पूँजीगत लागत कम करना
    • निम्नलिखित में दीर्घकालिक निवेश आकर्षित करना: जहाज निर्माण, तटीय अवसंरचना, अंतर्देशीय जलमार्ग।
  • डिजिटल और वित्तीय नवाचार
    • बंदरगाहों की डिजिटल वित्तीय क्षमताओं का आकलन करने और बुनियादी ढाँचे को निवेशक अनुकूल बनाने के लिए वित्तीय डिजिटल परिपक्वता मापदण्ड (FDMM) का शुभारंभ।
  • जहाज निर्माण विस्तार: ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड, दोनों प्रकार के जहाज निर्माण समूहों का विस्तार।
  • विधायी सुधार: भारतीय ध्वज वाले जहाजों को बढ़ावा देने के लिए मर्चेंट शिपिंग विधेयकऔर तटीय शिपिंग विधेयक विचाराधीन हैं।

समुद्री विकास कोष (MDF) के बारे में

  • उद्देश्य: MDF का उद्देश्य जहाज अधिग्रहण को वित्तपोषित करके और भारतीय ध्वजवाहक बेड़े का विस्तार करके भारत के समुद्री क्षेत्र को बढ़ावा देना है।
  • संपत्ति: इस कोष की प्रारंभिक राशि ₹25,000 करोड़ होगी, जिसमें 49% सरकार और शेष बंदरगाह प्राधिकरणों, सार्वजनिक उपक्रमों, वित्तीय संस्थानों और निजी क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा प्रदान की जाएगी।
  • रणनीतिक लक्ष्य: वर्ष 2047 तक वैश्विक वाणिज्य परिवहन में भारत की हिस्सेदारी को 20% तक बढ़ाना और विदेशी जहाजों पर निर्भरता कम करना।
  • आर्थिक प्रभाव: नौवहन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, भुगतान संतुलन में सुधार करना और रणनीतिक हितों की रक्षा करना।
  • निवेश लक्ष्य: वर्ष 2030 तक समुद्री क्षेत्र में ₹1.5 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित करना।

भारत का समुद्री क्षेत्र

  • भारत का समुद्री क्षेत्र मात्रा के अनुसार, लगभग 95% और मूल्य के हिसाब से 70% व्यापार का संचालन करता है, जिससे यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
  • देश में 12 प्रमुख और 200 से अधिक छोटे/मध्यवर्ती बंदरगाह हैं, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
  • वित्त वर्ष 2024 में, बंदरगाहों ने 819.22 मिलियन टन माल का संचालन किया—जो वर्ष-दर-वर्ष 4.45% की वृद्धि है।
  • तटीय अर्थव्यवस्था 40 लाख से अधिक मछुआरों और तटीय समुदायों की अन्य महत्त्वपूर्ण आबादी का भरण-पोषण करती है।

समुद्री क्षेत्र में प्रमुख पहल

  • मैरीटाइम इंडिया विजन (MIV) 2030: वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा और कुशल व्यापार के लिए मेगा पोर्ट, ट्रांसशिपमेंट हब विकसित करके और बंदरगाह अवसंरचना को उन्नत करके भारत के समुद्री क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु एक दीर्घकालिक ढाँचा।
  • सागरमाला कार्यक्रम: एक प्रमुख बंदरगाह आधारित विकास पहल, जो भारत के समुद्र तट और जलमार्गों का लाभ उठाकर अवसंरचना को बढ़ाती है, कनेक्टिविटी में सुधार करती है, रसद लागत को कम करती है और तटीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है।
  • प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021: प्रमुख बंदरगाहों को अधिक स्वायत्तता और लचीलापन प्रदान करता है, जिससे निर्णय लेने में तेजी आती है, दक्षता में सुधार होता है और परिचालन एवं वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ती है।
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पोर्टल (समुद्री): यह एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो कार्गो, शिपिंग, वित्त और विनियामक अनुपालन के लिए संपूर्ण लॉजिस्टिक्स सेवाएँ प्रदान करता है तथा समुद्री व्यापार में पारदर्शिता एवं परिचालन दक्षता को बढ़ाता है।

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