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मातृत्व अवकाश-प्रजनन अधिकारों का हिस्सा

Lokesh Pal May 26, 2025 04:23 14 0

संदर्भ

हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि मातृत्व अवकाश महिला के प्रजनन अधिकारों से संबंधित एक घटक है और मातृत्व लाभ का अभिन्न अंग है।

के. उमादेवी बनाम तमिलनाडु सरकार मामला

  • याचिकाकर्ता: यह याचिका तमिलनाडु के एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका ने दायर की थी, जिसे उसके तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश देने से मना कर दिया गया था।
  • राज्य की आपत्ति: तमिलनाडु के सेवा मौलिक नियम 101(A) के अनुसार, मातृत्व लाभ देने से मना कर दिया गया, जो मातृत्व लाभ को पहले दो जीवित बच्चों तक सीमित करता है।
  • मद्रास उच्च न्यायालय
    • एकल पीठ का आदेश: मातृत्व अवकाश प्रदान किया गया, जिसमें तमिलनाडु राज्य सेवा नियम को मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के साथ विरोधाभासी माना गया। इसलिए संविधान के अनुच्छेद–254 के तहत इसे अमान्य घोषित किया गया (जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय कानून, परस्पर विरोधी राज्य कानूनों पर हावी होगा)।
    • डिवीजन बेंच का आदेश: इसने उस निर्णय को पलट दिया जिसमें कहा गया था कि मातृत्व अवकाश एक वैधानिक अधिकार है और केंद्रीय कानून राज्य सरकार के कर्मचारियों पर लागू नहीं होता है, जो अपने स्वयं के सेवा नियमों द्वारा शासित होते हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय का आदेश
    • इसने महिला के मातृत्व अवकाश के अधिकार को बहाल किया और इसे प्रजनन अधिकारों के दायरे में रखा।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मातृत्व अवकाश महिलाओं के प्रजनन अधिकारों का अभिन्न अंग है और अब इसे स्वास्थ्य के अधिकार की तरह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का हिस्सा माना जाता है।

भारत में मातृत्व अवकाश नीति के बारे में

  • मातृत्व अवकाश एक प्रकार का अनिवार्य दीर्घकालिक सवैतनिक अवकाश है, जो किसी संगठन में गर्भवती कर्मचारी को प्रसव से पहले या बाद में प्रदान किया जाता है।
  • संवैधानिक स्थिति: मातृत्व अवकाश भारतीय संविधान के अनुच्छेद-42 के माध्यम से राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) से संबंधित है, जो राज्य को कार्य की न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियों तथा मातृत्व राहत के लिए प्रावधान करने का निर्देश देता है।
  • कानूनी प्रावधान: भारत में मातृत्व अवकाश नीति को मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 (वर्ष 2017 में संशोधित) के तहत परिभाषित किया गया है।
  • उद्देश्य: महिला कर्मचारियों को रोजगार की सुरक्षा प्रदान करना, जब वे स्वयं और अपने नवजात बच्चों की देखभाल कर रही हो।
  • पात्रता: भारत में मातृत्व अवकाश नीति, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों में कार्य करने वाली सभी महिलाओं पर लागू होती है।
    • यह स्व-नियोजित महिलाओं और 10 से कम कर्मचारियों वाली फर्म के साथ कार्य करने वाली महिलाओं पर लागू नहीं होती है।
  • प्रावधान
    • सभी गर्भवती महिला कर्मचारी अपने पहले और दूसरे बच्चे के लिए 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश पाने के योग्य हैं।
      • कुल 26 सप्ताह में से 8 सप्ताह का अवकाश प्रसव पूर्व अवधि के लिए ली जा सकती है।
    • तीसरा बच्चा: तीसरी या उसके बाद की गर्भावस्था के लिए, गर्भवती माताएँ 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश लेने की पात्र हैं।
    • दत्तक ग्रहण: दत्तक ग्रहण करने वाली माताओं को भी 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है, जो उस दिन से प्रारंभ होता है, जिस दिन उनका नवजात शिशु (3 महीने से कम आयु का) उन्हें सौंपा जाता है।
    • गर्भपात: आकस्मिक गर्भपात के मामले में, एक महिला कर्मचारी 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश ले सकती है।
    • घर से कार्य करने की सुविधा: यदि गर्भावस्था के दौरान दूर से कार्य करना संभव है, तो गर्भवती माताओं के लिए घर से कार्य करने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
      • मातृत्व अवकाश की समाप्ति के बाद भी इस सुविधा को बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते कि कर्मचारी और संगठन के बीच आपसी अनुबंध हो।
    • क्रेच सुविधाओं तक पहुँच: 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले संगठन के निकट चाइल्ड केयर सुविधाएँ या क्रेच उपलब्ध होने चाहिए। नई माताओं को दिन में चार बार तक चाइल्ड केयर  सुविधा में जाने की अनुमति है।
    • रोजगार की सुरक्षा: नियोक्ता मातृत्व अवकाश के दौरान किसी कर्मचारी को रोजगार से नहीं निकाल सकते तथा अवकाश के बाद उन्हें उसी या समकक्ष पद पर पुनः बहाल किया जाना चाहिए।
  • मातृत्व अवकाश की आवश्यकता
    • रिकवरी: गर्भावस्था और प्रसव शारीरिक और भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, जिसके लिए माँ के शरीर को ठीक होने और स्वस्थ होने के लिए समय की आवश्यकता होती है।
    • बच्चों की देखभाल: माँ-बच्चे के बीच एक मजबूत भावनात्मक संबंध विकसित करने के लिए आवश्यक है कि अपने बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारियों पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करे।
    • बेहतर कर्मचारी प्रतिधारण: पर्याप्त मातृत्व अवकाश प्रदान करने से कर्मचारी प्रतिधारण में सुधार हो सकता है, रोजगार संबंधी संतुष्टि बढ़ सकती है और समग्र कर्मचारी स्वास्थ्य एवं कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
    • रोजगार की सुरक्षा: महिलाओं को कार्यबल में सक्रिय रखने के लिए सशुल्क मातृत्व अवकाश देना महत्त्वपूर्ण है। पारंपरिक रूप से प्रसव के बाद कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में गिरावट देखी गई है।
    • स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ावा देता है: यह एक महिला कर्मचारी के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के बीच एक स्वस्थ संतुलन को बढ़ावा देता है और उन्हें पेशेवर और साथ ही देखभाल करने वालों/माताओं के रूप में अपने कर्तव्यों को स्वस्थ तरीके से निभाने की अनुमति देता है।

प्रजनन अधिकारों के बारे में

  • यह महिलाओं को गारंटीकृत मानव अधिकारों के एक समग्र स्वरूप को संदर्भित करता है, जिसका प्रयोग स्वास्थ्य हानि के कारणों से सुरक्षा प्रदान करने तथा यौन एवं प्रजनन कल्याण को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।
    • इसमें गर्भनिरोधक, गर्भपात, प्रजनन उपचार, प्रजनन स्वास्थ्य और प्रजनन शरीर के बारे में जानकारी तक पहुँच का कानूनी अधिकार शामिल है।
  • मान्यता प्राप्त मानव अधिकार: प्रजनन अधिकारों को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के भाग के रूप में मान्यता प्राप्त है।
    • स्वास्थ्य का अधिकार, निजता का अधिकार, समानता और भेदभाव रहित होने का अधिकार तथा सम्मान का अधिकार
  • वर्गीकरण: इन अधिकारों को सामान्यत:  तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है,
    • प्रजनन संबंधी आत्मनिर्णय के अधिकार
    • यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं, सूचना और शिक्षा के अधिकार
    • समानता और भेदभाव रहित होने के अधिकार।

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