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सेबी द्वारा सट्टा व्यापार के संबंध में प्रस्तावित उपाय

Lokesh Pal August 01, 2024 02:20 132 0

संदर्भ

पूँजी बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा ‘इंडेक्स डेरिवेटिव सेगमेंट’ (Index Derivatives Segment) में सट्टा व्यापार को नियंत्रित करने हेतु  कुछ  उपाय प्रस्तावित किए गए हैं। 

  • यह ऐसे समय में प्रस्तुत किया गया है जब वायदा एवं विकल्प/फ्यूचर्स और ऑप्शंस   (F&O) क्षेत्र  में विशेषकर व्यक्तिगत निवेशकों द्वारा कारोबार में तीव्र वृद्धि हो रही है ।

संबंधित तथ्य 

  • इन प्रस्तावों का उद्देश्य निवेशकों को अधिक सुरक्षा प्रदान करना और डेरिवेटिव बाजारों में बाजार स्थिरता को बढ़ावा देना है। 

डेरिवेटिव बाजार के प्रकार 

  • परिचय
    • डेरिवेटिव्स अनिवार्य रूप से वित्तीय अनुबंध हैं, जो अपना मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति, जैसे स्टॉक, कमोडिटीज और मुद्राओं से प्राप्त करते हैं। इसलिए इंडेक्स डेरिवेटिव्स अपना मूल्य अंतर्निहित इंडेक्स से प्राप्त करते हैं।
  • वायदा और विकल्प दो प्रकार के डेरिवेटिव बाजार हैं, जहाँ निवेशक, भविष्य में मूल्य परिवर्तन के आधार पर, एक छोटी मार्जिन राशि का भुगतान करके, परिसंपत्ति को ‘लॉट’ या परिसंपत्ति की कई इकाइयों में खरीदने या बेचने के लिए अनुबंध करते हैं।
  • वायदा अनुबंध (futures Contract ) खरीदार को एक निश्चित तिथि पर पूर्व निर्धारित मूल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति खरीदने के लिए बाध्य करता है। 
  • दूसरी और एक विकल्प अनुबंध (Options Contract) में  निवेशक को निर्दिष्ट तिथि पर एक विशिष्ट मूल्य पर निर्धारित अंतर्निहित परिसंपत्तियों का व्यापार करने का अधिकार तो प्राप्त होता है, परंतु  दायित्व प्राप्त नहीं होता है।

सेबी द्वारा प्रस्तावित उपाय

  • सेबी के अनुसार, डेरिवेटिव बाजार बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सहायक  होते हैं, बाजार में तरलता को बनाने में मदद करते हैं और निवेशकों को अपने जोखिमों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद करते हैं।
  • निम्नलिखित उपायों का उद्देश्य सट्टा संबंधी अति सक्रियता के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करके निरंतर पूँजी निर्माण को सुनिश्चित करना है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) 

  • यह वित्त मंत्रालय के अंतर्गत भारत में प्रतिभूतियों और वस्तुओं के बाजार के लिए नियामक निकाय है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1988 में निवेशकों के हितों की रक्षा और प्रतिभूति बाजार के विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
    • यह एक स्वायत्त संस्थान है और ‘SEBI अधिनियम’ 1992 के तहत इसे वैधानिक दर्जा दिया गया।
  • यह एक अर्द्ध-न्यायिक और अर्द्ध-विधायी निकाय है, जिसके पास नियम बनाने, जाँच करने, जुर्माना लगाने आदि की शक्तियाँ हैं।
  • SEBI बोर्ड में 3 वर्ष के कार्यकाल के लिए एक अध्यक्ष एवं कई अन्य पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्य होते हैं।

न्यूनतम अनुबंध आकार

  • सेबी ने ‘इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट ‘के लिए न्यूनतम कॉन्ट्रैक्ट साइज को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने की सिफारिश की है। 
  • इसे छ: माह बाद 20 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के अंतराल के बीच बढ़ाया जा सकता है। वर्तमान में डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के लिए न्यूनतम अनुबंध आकार 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच है।

‘ऑप्शन प्रीमियम’ का अग्रिम संग्रह

  • विनियामक ने प्रस्ताव दिया है कि ब्रोकर ग्राहकों से अग्रिम आधार पर ऑप्शन प्रीमियम एकत्र कर सकते हैं।
    • वर्तमान में, वायदा स्थिति (लॉन्ग और शॉर्ट दोनों) के साथ-साथ ऑप्शन स्थिति (केवल शॉर्ट ऑप्शन के लिए मार्जिन की आवश्यकता होती है, जबकि लॉन्ग ऑप्शन के लिए खरीदारों द्वारा ऑप्शन प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है) के लिए मार्जिन के अग्रिम संग्रह की शर्त है। सदस्यों द्वारा ऑप्शन खरीदार से ऑप्शन प्रीमियम के अग्रिम संग्रह की कोई स्पष्ट शर्त नहीं है।
  • स्थिति सीमाओं की ‘इंट्राडे’ निगरानी
    • सेबी ने सुझाव दिया कि इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के लिए स्थिति सीमाओं की निगरानी ‘मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशंस’ (MII) जैसे कि क्लियरिंग कॉरपोरेशन या स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा ‘इंट्राडे’ आधार पर की जानी चाहिए, जिसमें उचित अल्पकालिक निर्धारण और पूर्ण कार्यान्वयन का विकल्प हो।
    • वर्तमान में, प्रतिभागियों और उत्पादों की विभिन्न श्रेणियों के लिए स्थिति सीमाएँ सेबी द्वारा निर्दिष्ट की जाती हैं और दिन के अंत में क्लियरिंग कॉरपोरेशन या स्टॉक एक्सचेंजों द्वारा निगरानी की जाती है। 
    • विशेष रूप से अनुबंध की समाप्ति के दिन, अनुमेय सीमाओं से परे अनिर्धारित ‘इंट्राडे’ स्थिति की संभावना होती है।
  • साप्ताहिक सूचकांक उत्पादों का युक्तिकरण
    • बाजार नियामक ने किसी एक्सचेंज के एकल बेंचमार्क सूचकांक पर साप्ताहिक विकल्प अनुबंध उपलब्ध कराने की सिफारिश की है।
  • ‘ऑप्शन स्ट्राइक’ का युक्तिकरण
    • किसी ऑप्शन का स्ट्राइक मूल्य वह मूल्य होता है, जिस पर ‘पुट या कॉल’ (खरीद या बिक्री) ऑप्शन का प्रयोग किया जा सकता है।
  • अनुबंध समाप्ति के निकट मार्जिन में वृद्धि
    • सेबी ने समाप्ति के निकट विकल्प अनुबंधों में उच्च अंतर्निहित मुद्दे को हल करने के लिए समाप्ति के दिन और पिछले दिन मार्जिन बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है।
    • नियामक ने प्रस्ताव दिया है कि समाप्ति से पहले दिन की शुरुआत में, एक्सट्रीम लॉस मार्जिन (ELM) में 3 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी और समाप्ति के दिन की शुरुआत में ELM में 5 प्रतिशत की और वृद्धि की जाएगी।

उपाय प्रस्तावित करने के कारण

  • 23 जुलाई को पेश किए गए केंद्रीय बजट 2024-25 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 अक्टूबर, 2024 से प्रभावी, प्रतिभूतियों के एफएंडओ पर प्रतिभूति लेनदेन कर (STT) को दोगुना करने का प्रस्ताव रखा। 
  • निर्दिष्ट प्रतिभूतियों में लेनदेन पर लगाया जाने वाला STT क्रमशः 0.02 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है।

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