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भारत में चिकित्सा पर्यटन एवं अंग प्रत्यारोपण (Medical Tourism and Organ Transplantation in India)

Samsul Ansari December 19, 2023 11:51 241 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन’ (NOTTO) ने म्याँमार के नागरिकों से जुड़े अवैध मानव अंग व्यापार के आरोपों की जाँच के लिए नई दिल्ली के एक अस्पताल के विरुद्ध कार्रवाई शुरू की है।

संबंधित तथ्य

  • अंग प्रत्यारोपण में भारत की स्थिति: ‘वैश्विक दान और प्रत्यारोपण वेधशाला’ (Global Observatory on Donation and Transplantation- GODT) के अनुसार, भारत विश्व में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है।
    • भारत में अंग दान की दर वर्ष 2012-13 की तुलना में लगभग 4 गुना तक बढ़ गई है। हालाँकि, देश में प्रति दस लाख जनसंख्या पर केवल 0.65 अंगदान होते हैं।
  • विश्व में अंग प्रत्यारोपण: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, सालाना लगभग 1,00,800 ठोस अंग (Solid Organ) प्रत्यारोपण किए जाते हैं, जिनमें से अधिकांश यकृत और गुर्दे के प्रत्यारोपण होते हैं।
  • भारत में अंग प्रत्यारोपण में वृद्धि: भारत में प्रत्यारोपण तेजी से बढ़ा है, मुख्यतः निजी क्षेत्र में। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के अनुसार, कोविड-19 के बाद अंग प्रत्यारोपण गतिविधियों ने पुनः गति प्राप्त की है।
    • भारत ने वर्ष 2022 में पहली बार 15,000 से अधिक प्रत्यारोपण आँकड़ा दर्ज किया है और प्रतिवर्ष प्रत्यारोपण संख्या में 27% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की है।
    • लैंगिक असमानता: भारत में अंग प्रत्यारोपण के मामले में लैंगिक असमानता देखी जाती है। आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 1995 से 2021 के बीच हुए 36,640 प्रत्यारोपण में से 29,000 से अधिक पुरुषों के लिए थे, जबकि महिलाओं के लिए केवल 6,945 थे। इसका मतलब देश में अंग प्राप्त करने वाली प्रत्येक महिला के मुकाबले चार पुरुषों का प्रत्यारोपण हुआ।

India's Organ donor rate

अंग प्रत्यारोपण के बारे में

  • अंग प्रत्यारोपण: अंग प्रत्यारोपण एक जटिल और महत्त्वपूर्ण चिकित्सा प्रक्रिया है, जो शल्यक्रिया द्वारा एक व्यक्ति से उसके किसी अंग को निकालकर दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित करने का कार्य है। यह अंग विफलता की अंतिम अवस्था के लिए एक जीवन रक्षक उपचार है।
  • पहला सफल अंग प्रत्यारोपण: विश्व का पहला सफल अंग प्रत्यारोपण किडनी प्रत्यारोपण था, जो वर्ष 1954 में बोस्टन, अमेरिका में किया गया था।
    • भारत में पहला किडनी प्रत्यारोपण वर्ष 1971 में तमिलनाडु के वेल्लोर में किया गया था।
  • अंग दान: इसका आशय शरीर का कोई अंग किसी ऐसे व्यक्ति को देने से है, जिसका संबंधित अंग किसी प्राणघातक रोग के अंतिम चरण में है और जिसे प्रत्यारोपण की आवश्यकता है।

Organ Donation

भारत में बढ़ते अंग प्रत्यारोपण के कारण

  • सर्वोत्तम स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ: प्रत्यारोपण के लिए अच्छे परिणामों के लिए कुशल एवं प्रशिक्षित कर्मियों, तकनीक, उन्नत गहन देखभाल और एक संस्थागत सहयोग की  आवश्यकता होती है और भारत का उभरता चिकित्सा निजी क्षेत्र इन जरूरतों को पूरा करता है।
    • एशिया और अफ्रीका के कई देश प्रत्यारोपण सुविधाएँ विकसित करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए अन्य देशों के मरीज भारत की स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञता का उपयोग करते हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त शैक्षिक प्रमाण-पत्र: भारत में , न केवल डॉक्टर बल्कि देखभाल करने वाली नर्सें भी अत्यधिक प्रशिक्षित और अनुभवी हैं। उनकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण का स्तर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।
  • सशक्त फार्मास्युटिकल उद्योग: अस्पतालों और डॉक्टरों के अलावा, भारत उन दवाओं के निर्माण पर जोर देता है जो सर्जरी तथा रिकवरी चरण का एक आवश्यक हिस्सा हैं।
    • उदाहरण के लिए, प्राप्तकर्ता के शरीर द्वारा अंग की अस्वीकृति को रोकने के लिए, अस्वीकृति-विरोधी दवाएँ (Anti-rejection Drugs ) दी जाती हैं।
  • किफायती/सस्ती प्रक्रियाएँ: भारत में रहने की लागत अधिकांश पश्चिमी देशों की तुलना में सस्ती है। भारत आवास के लिए किफायती विकल्प प्रदान करता है, जो इसे पसंदीदा प्रत्यारोपण पर्यटन गंतव्य बनाता है।

A majority of transplants involve living donor's

भारत में अंग प्रत्यारोपण से जुड़ी चुनौतियाँ

अंग प्रत्यारोपण से संबंधित सरकारी पहल

  • मानव अंग का प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011: इसने अंग और ऊतक व्यापार से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं और परिणामस्वरूप ऐसे मामलों की संख्या में गिरावट आ रही है।
  • मानव अंग और ऊतक के प्रत्यारोपण नियम, 2014: इन नियमों को वर्ष 2011 में संसद द्वारा अधिनियम में संशोधन पारित किए जाने के बाद लागू किया गया था।
  • राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organ & Tissue Transplant Organization-NOTTO): NOTTO स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत स्थापित एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन है।
    • NOTTO का राष्ट्रीय नेटवर्क प्रभाग देश में अंग और ऊतक प्राप्ति, वितरण और रजिस्ट्री को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कार्य वह ‘क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन’ (ROTTO) और ‘राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन’ (SOTTO) के नेटवर्क के माध्यम से करता है। 
  • राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम:  यह कार्यक्रम जनशक्ति के प्रशिक्षण और मृत व्यक्तियों से अंग दान को बढ़ावा देने जैसी गतिविधियों के संचालन हेतु शुरू किया गया था।
  • एक राष्ट्र अंग दान नीति (One Nation Organ Donation Policy): इसका उद्देश्य भारत में स्वैच्छिक अंग दान को प्रोत्साहित करना और मानकीकृत करना है।

  • अनैतिक अंग व्यापार: मानव अंगों का व्यापार एक लंबे समय से चली आ रही और व्यापक चुनौती है। भारत सहित विश्व भर के अधिकांश देशों में इसे अवैध घोषित किया गया है। हालाँकि, उच्च माँग और समाजिक जागरूकता के अभाव में मानव अंगों का वस्तुकरण सामान्य हो गया है।
    • उदाहरण के लिए, हाल ही में कोलकाता के अस्पताल में नेपाल के निर्धन परिवार के बच्चों को अमीर भारतीय और विदेशी रोगियों के लिए किडनी दाता बनाए जाने के लिए प्रलोभित किए जाने का मामला सामने आया।
  • सामर्थ्य का विरोधाभास: भारत में प्रत्यारोपण विश्व के बाकी हिस्सों की तुलना में विदेशियों के लिए अपेक्षाकृत सस्ता है, हालाँकि आम भारतीयों के लिए यह अभी भी महंगा है।
  • उच्च त्याग दर (High Discard Rate): राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organ and Tissue Transplant Organisation) के अनुसार, भारत में मृतक द्वारा दान किए गए हृदय, फेफड़े और यकृत जैसे सैकड़ों अंगों को फेंक (Discarded) दिया जाता है, भले ही मृतक के परिवार स्वेच्छा से उन्हें दान करने के लिए तैयार हों।
  • अंगों की कमी: विश्व भर में अंगों की माँग और आपूर्ति के बीच का अंतर लगातार बढ़ रहा है, जिससे प्रत्यारोपण व्यावसायीकरण को बढ़ावा मिल रहा है। अंगों की कमी की समस्या अभी भी जारी है, यहाँ तक कि उन देशों में भी जिनकी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली भारत की तुलना में काफी  बेहतर है।
    • भारत सर्वाधिक अंग प्रत्यारोपण के मामले में विश्व में तीसरे स्थान पर है परंतु । फिर भी देश में यकृत, हृदय या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोडियों में से लगभग 4% ही अंग प्रत्यारोपण करवा पाते हैं।
  • उच्च लैंगिक असमानता: वर्ष 2021 में एक्सपेरिमेंट एंड क्लिनिकल ट्रांसप्लांटेशन जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में पाया गया कि 80% जीवित अंग दाता महिलाएँ (मुख्य रूप से पत्नी या माँ) हैं, जबकि 80% प्राप्तकर्ता पुरुष हैं।
  • कमजोर/संवेदनशील विश्वास आधारित दान प्रणाली: मृत्यु के बाद मृतक दान की परियोजना प्रत्यारोपण प्रणाली में उच्च स्तर के विश्वास पर निर्भर है। हालाँकि, स्थानीय लोगों की तुलना में बड़ी संख्या में विदेशियों के प्रत्यारोपण कराने की खबरों के कारण स्वास्थ्य देखभाल में विश्वास तेजी से खतरे में पड़ रहा है।
  • ऑपरेशन के बाद की देखभाल: प्रत्यारोपण के रोगियों की देखभाल ऑपरेशन के साथ समाप्त नहीं होती है।  उन्हें  उपचार के बाद चिकित्सीय परामर्श एवं देखभाल की आवश्यकता होती है, जिससे धन की लागत के साथ मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

आगे  की राह

  • संचार: भारत में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है ऐसे में एक बड़ी आबादी के गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा एवं अंगदान की सुविधा सुनिश्चित करने हेतु,  संचार और जागरूकता रणनीति को अद्यतन (Update) करना बहुत ही आवश्यक है। 
    • 3 अगस्त, 1994 को भारत में पहले सफल मृतक (Deceased) हृदय प्रत्यारोपण की याद में 3 अगस्त को भारतीय अंग दान दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता फैलाना और मानव जाति के प्रति किए गए निस्वार्थ प्रयासों को पहचानना तथा मानवता में विश्वास को फिर से स्थापित करना है।
  • क्षमता निर्माण: 640 से अधिक मेडिकल अस्पताल और कॉलेज होने के बावजूद, प्रत्यारोपण कुछ अस्पतालों तक ही सीमित है। ऐसे संस्थानों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है जहाँ सर्जरी और प्रत्यारोपण किए जाते हैं।

भारत के अंग दान और प्रत्यारोपण नियमों में परिवर्तन

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत के अंग दान और प्रत्यारोपण नियमों में तीन बड़े बदलाव किए हैं।
  • इन परिवर्तनों को राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) द्वारा अधिसूचित किया गया था:
    • अंग प्रत्यारोपण के लिए आयु सीमा हटा दी गई है।
    • अंग प्रत्यारोपण के लिए राज्यों द्वारा अपनाए जाने वाले अधिवास मानदंड को हटा दिया गया है।
    • पंजीकरण शुल्क समाप्त कर दिया गया है।

  • इसके अलावा, राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण जहाँ जरूरतमंदों को ये विशिष्ट सेवाएँ प्रदान की जा सकें।
  • ऑर्गन पूल को बढ़ाना: भारत में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए ऑप्ट-आउट (Opt-Out) प्रणाली को अपनाया जा सकता है, इसके तहत सभी नागरिकों को स्वतः ही अंगदान के लिए पंजीकृत माना जाता है, जब तक कि वे स्वयं इसके लिए असहमति न दें या  “ऑप्ट आउट” न करें, इस व्यवस्था के साथ अंगदान के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना इस क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
  • प्रत्यारोपण पर्यटन: स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, स्वास्थ्य संगठनों और सरकारों को प्रत्यारोपण पर्यटन से जुड़ी अनैतिक प्रथाओं को रोकने के लिए स्पष्ट नीतियाँ स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • अंग प्रत्यारोपण की माँग को कम करना: माँग को कम करने के मुख्य कार्यक्रम में कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शामिल है।
    • अंग विफलता का कारण बनने वाली बीमारियों (जैसे- मधुमेह, उच्च रक्तचाप, शराब और गैर-अल्कोहल क्रोनिक यकृत रोग आदि) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए अधिक प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • ग्रीन कॉरिडोर एवं स्वास्थ्य अवसंरचना: देश भर में दान किए गए अंगों के सुरक्षित भंडारण  एवं एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल पहुँचाने हेतु आवश्यक अवसंरचना चुनौतियों के समाधान जैसे कि ‘ग्रीन कॉरिडोर’ आदि के विकास पर विचार किया जाना चाहिए।
    • ग्रीन कॉरिडोर एक विशेष मार्ग है जिसके तहत दान किए गए अंग को शीघ्रता के साथ मरीज तक पहुँचाने के लिए संबंधित सड़क मार्ग की किसी लेन को दूसरी यातायात गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता है।

News Source: IE

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