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भारत में चिकित्सा पर्यटन

Lokesh Pal August 12, 2025 02:26 9 0

संदर्भ

हाल के महीनों में भारत के चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जनवरी से अप्रैल 2025 तक चिकित्सा प्रयोजनों के लिए 1,31,856 विदेशी पर्यटक आगमन (Foreign Tourist Arrivals-  FTAs) हुए, जो कुल FTAs का 4.1% है।

चिकित्सा पर्यटन के बारे में

  • चिकित्सा पर्यटन [जिसे ‘मेडिकल वैल्यू ट्रैवल’ (Medical Value Travel- MVT), स्वास्थ्य पर्यटन या वैश्विक स्वास्थ्य सेवा भी कहा जाता है] एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं की तलाश में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार यात्रा करने की तेजी से बढ़ती प्रवृत्ति के संदर्भ में किया जाता है।
    • पर्यटकों द्वारा आमतौर पर प्राथमिकता दी जाने वाली सेवाओं में वैकल्पिक उपचारों से लेकर जटिल शल्य-चिकित्साओं तक की प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं।
  • चिकित्सा पर्यटन सूचकांक (वर्ष 2020-2021) में भारत 46 गंतव्यों में से 10वें स्थान पर है।

चिकित्सा पर्यटन के लिए शीर्ष स्रोत देश (वर्ष 2020-2024)

  • चिकित्सा प्रयोजनों के लिए कुल  FTAs
    • वर्ष 2020: 1,82,945
    • वर्ष 2024: 6,44,387
  • बांग्लादेश: वर्ष 2024 में 4,82,336 FTAs के साथ सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, वर्ष 2020 में 99,155 से लगातार वृद्धि दर्शाता है।
  • इराक: वर्ष 2020 में 16,647 से वर्ष 2024 में 32,008 तक उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
  • सोमालिया: अनिश्चित प्रवृत्ति, वर्ष 2023 में 15,947 के शीर्ष पर, उसके बाद वर्ष 2024 में 11,717 FTAs।
  • ओमान: वर्ष 2020 में 4,328 से वर्ष 2024 में 10,431 तक स्थिर वृद्धि दर्शाता है।
  • उज्बेकिस्तान: वर्ष 2020 में 1,712 से वर्ष 2024 में 8,921 तक उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

भारत में चिकित्सा पर्यटन के संचालक

  • लागत लाभ: भारत में समान गुणवत्ता वाली प्रक्रियाओं के लिए उपचार लागत अमेरिका/ब्रिटेन की तुलना में 30-80% कम है।
    • उदाहरण: भारत में कार्डियक बाईपास की लागत लगभग 7,000 अमेरिकी डॉलर है, जबकि अमेरिका में यह 1,20,000 अमेरिकी डॉलर  (FICCI-EY रिपोर्ट) है।
  • विश्व स्तरीय गुणवत्ता एवं मान्यता: भारत में 40 से अधिक संयुक्त आयोग अंतरराष्ट्रीय (Joint Commission International- JCI) मान्यता प्राप्त अस्पताल और 600 से अधिक NABH द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल हैं।
    • अपोलो अस्पताल, फोर्टिस और मैक्स हेल्थकेयर जटिल सर्जरी के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं।
  • कुशल एवं अंग्रेजी बोलने वाला कार्यबल: भारतीय अस्पतालों के अधिकांश डॉक्टर और सर्जन अमेरिका, यूरोप या अन्य विकसित देशों के किसी चिकित्सा संस्थानों में प्रशिक्षित हैं या कार्य कर चुके हैं साथ ही वे अंग्रेजी भाषा में भी कुशल हैं जिससे संवाद स्थापित करने में कोई चुनौती नहीं आती है।
    • भारतीय सर्जन जटिल प्रत्यारोपण सर्जरी और हृदय संबंधी उन्नत प्रक्रियाओं के लिए जाने जाते हैं, जो अफ्रीका और मध्य पूर्व से मरीजों को आकर्षित करते हैं।
    • भारतीय नर्सें विश्व की सर्वश्रेष्ठ नर्सों में से एक हैं।
      • भारत में लगभग 1000 मान्यता प्राप्त नर्स प्रशिक्षण केंद्र, जो अधिकतम शिक्षण अस्पतालों से जुड़े हैं, प्रत्येक वर्ष लगभग 10,000 नर्सों को प्रशिक्षित करते हैं।
  • विविध उपचार पोर्टफोलियो
    • आधुनिक चिकित्सा: हृदय शल्य चिकित्सा, अंग प्रत्यारोपण, अस्थि रोग, IVF, कैंसर विज्ञान।
    • पारंपरिक चिकित्सा: आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी (Ayurveda, Yoga, Naturopathy, Unani, Siddha, Homeopathy- AYUSH)।
      • उदाहरण: केरल के आयुर्वेद वेलनेस रिसॉर्ट पुनर्वास और कायाकल्प के लिए यूरोप से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  • सरकारी सहायता और नीतिगत प्रोत्साहन: ‘हील इन इंडिया’ पोर्टल, मेडिकल वीजा और अटेंडेंट वीजा जैसी पहल, राष्ट्रीय पर्यटन नीति में शामिल करना।
    • मेडिकल एवं वेलनेस पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति एवं रोडमैप का फोकस दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोच्चि और हैदराबाद में केंद्र स्थापित करने पर है।
  • रणनीतिक भौगोलिक स्थिति: दक्षिण एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व से निकटता, मरीजों के लिए यात्रा के समय एवं लागत को कम करती है।
    • बांग्लादेश, अफगानिस्तान और मालदीव से आने वाले मरीजों की संख्या बड़ी है।
  • एकीकृत आतिथ्य एवं पर्यटन पारिस्थितिकी तंत्र: उच्च-गुणवत्ता वाले होटल, वेलनेस रिसॉर्ट, अनुवादक और सुविधाप्रदाता मरीजों की सुविधा में सहायक होते हैं।
    • उदाहरण: चेन्नई एवं कोच्चि जैसे शहर सर्जरी, ऑपरेशन के बाद की देखभाल और अवकाश पर्यटन को शामिल करने वाले एकीकृत पैकेज प्रदान करते हैं।

भारत में चिकित्सा पर्यटन का महत्त्व

  • प्रमुख आर्थिक योगदानकर्ता: भारत का चिकित्सा पर्यटन बाजार वर्ष 2022 में 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था और वर्ष 2026 तक 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
    • स्वास्थ्य सेवा, कल्याण, आतिथ्य, परिवहन और विमानन क्षेत्रों के लिए राजस्व उत्पन्न करता है।
  • रोजगार सृजन: अस्पतालों, निदान केंद्रों और कल्याण केंद्रों में प्रत्यक्ष रोजगार।
    • होटल, ट्रैवल एजेंसियों, चिकित्सा सुविधा और अनुवाद सेवाओं में अप्रत्यक्ष रोजगार।
  • वैश्विक छवि और सॉफ्ट पावर: वहनीय और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के लिए एक गंतव्य के रूप में भारत के ब्रांड को मजबूत करता है।
    • स्वास्थ्य कूटनीति अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के साथ संबंधों को मजबूत करती है।

भारत में चिकित्सा पर्यटन के अवसर

  • वैश्विक स्तर पर माँग में वृद्धि: विकसित देशों में स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत और यू.के. तथा कनाडा जैसे देशों में लंबी प्रतीक्षा अवधि के कारण, मरीज विदेशों में सुलभ एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल की तलाश कर रहे हैं।।
  • भारत का लागत लाभ: पश्चिमी देशों की तुलना में यहाँ उपचार की लागत 60-90% कम है।
    • आयुष और स्वास्थ्य पर्यटन का विस्तार: निवारक स्वास्थ्य सेवा और पारंपरिक चिकित्सा की ओर वैश्विक रुझान बढ़ रहा है।
    • आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा की यूरोपीय, खाड़ी और आसियान देशों में अपार संभावनाएँ हैं।
  • नए स्रोत बाजारों का उदय: पारंपरिक दक्षिण एशियाई और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) बाजारों के अलावा अफ्रीका, मध्य एशिया और लैटिन अमेरिका से भी लोगों का आवागमन बढ़ रहा है।
    • उदाहरण: चेन्नई और हैदराबाद में अफ्रीकी मरीजों का बढ़ता आवागमन।
  • डिजिटल स्वास्थ्य और टेलीमेडिसिन एकीकरण: भारत की IT विशेषज्ञता अंतरराष्ट्रीय मरीजों के लिए दूरस्थ परामर्श, द्वितीय राय और अनुवर्ती देखभाल की सुविधा प्रदान करती है।
    • विश्वास निर्माण एवं मरीजों के साथ दीर्घकालिक संबंध बनाए रखने का अवसर प्रदान करता है।
  • विशिष्ट क्षेत्रों का विकास: प्रजनन उपचार, कॉस्मेटिक सर्जरी, अंग प्रत्यारोपण और वृद्धावस्था देखभाल, चिकित्सा पर्यटन के अंतर्गत तेजी से विस्तारित क्षेत्र हैं।
    • भारत में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर विशेषज्ञता उपलब्ध है।
  • क्षेत्रीय केंद्र विकास: महानगरों से आगे बढ़कर विविधता लाने के लिए टियर-2 शहर केंद्रों (जैसे- कोच्चि, जयपुर, नागपुर) के विकास की संभावना।
    • कम लागत और कम भीड़भाड़ से लाभ, साथ ही क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलता है।

भारत में चिकित्सा पर्यटन के लिए सरकारी पहल और नीतियाँ

  • ‘हील इन इंडिया’ पहल (2022)
    • केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) और पर्यटन मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा संयुक्त रूप से लॉन्च किया गया।
    • इसका उद्देश्य भारत को एक वैश्विक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
    • मुख्य विशेषताएँ: बहुभाषी पोर्टल, उपचार पैकेज का मानकीकरण, अस्पतालों का मनोनयन और लक्षित देशों में विपणन सहायता।
  • चिकित्सा एवं कल्याण पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति एवं रोडमैप (2022)
    • बुनियादी ढाँचे, मान्यता, ब्रांडिंग, कौशल विकास और यात्रा सुगमता पर केंद्रित एक पंचवर्षीय कार्य योजना प्रस्तुत करता है।
    • आयुष, योग और स्वास्थ्य उपचारों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवा पैकेजों के साथ एकीकृत करने को प्रोत्साहित करता है।
    • प्राथमिकता स्रोत आधारित बाजारों [अफ्रीका, स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रमंडल (CIS), मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया] की पहचान करता है।
  • ई-मेडिकल वीजा और ई-मेडिकल अटेंडेंट वीजा
    • केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014 में शुरू की गई व्यापक ई-वीजा योजना का एक हिस्सा है।
    • विदेशी रोगियों और उनके परिचारकों के लिए फास्ट-ट्रैक ऑनलाइन वीजा, 160 से अधिक देशों के नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं।
    • अतिरिक्त अनुमोदन के बाद अंग प्रत्यारोपण हेतु चिकित्सा वीजा के लिए विशेष प्रावधान है।
    • आयुष वीजा: पारंपरिक चिकित्सा उपचारों (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी) के लिए अगस्त 2023 में शुरू किया गया।
    • जारी किए गए चिकित्सा वीजा: 5.97 लाख (वर्ष 2023), 4.64 लाख (वर्ष 2024, बांग्लादेश वीजा प्रतिबंधों के कारण 22% की गिरावट)।
  • राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABH) (भारतीय गुणवत्ता परिषद)
    • अंतरराष्ट्रीय रोगियों की सेवा करने वाले अस्पतालों के लिए गुणवत्ता मानकों को अनिवार्य करता है।
    • NABH मान्यता को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है, जिससे चिकित्सा पर्यटन अस्पतालों की विश्वसनीयता बढ़ती है।
  • आयुष में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने हेतु केंद्रीय क्षेत्र योजना (आयुष मंत्रालय)
    • विदेशों में आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी सेवाओं को बढ़ावा देता है।
    • भारतीय दूतावासों में आयुष सूचना प्रकोष्ठों की स्थापना और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रदर्शनियों में भागीदारी का समर्थन करता है।

राज्य-स्तरीय योगदान

  • गुजरात: पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर वेलनेस रिट्रीट पंजीकृत करता है।
    • सोशल मीडिया, वेलनेस कार्यक्रमों और परिचयात्मक (FAM) यात्राओं के माध्यम से प्रचार करता है।
    • स्वास्थ्य कूटनीति: वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे का प्रदर्शन करता है, पैरामेडिकल कर्मचारियों को प्रशिक्षित करता है।
  • तमिलनाडु
    • चेन्नई: ‘भारत की स्वास्थ्य राजधानी’, भारत के 25% चिकित्सा पर्यटकों (70 देशों से प्रतिवर्ष 15 लाख) को आकर्षित करती है।
    • वर्ष 2025 में तमिलनाडु चिकित्सा पर्यटन शिखर सम्मेलन का आयोजन करता है।
    • चेन्नई को एक प्रत्यारोपण एवं हृदय शल्य चिकित्सा केंद्र के रूप में बढ़ावा देना।
  • दिल्ली: ₹12,893 करोड़ के स्वास्थ्य बजट (2025) के साथ चिकित्सा पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य है।
  • तेलंगाना: हैदराबाद मध्य पूर्व, अफ्रीका, दक्षिण एशियाई देश (सार्क), CIS, दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप से वार्षिक रूप से 1 लाख से अधिक चिकित्सा पर्यटकों को आकर्षित करता है।
    • आरोग्य महिला कार्यक्रम: गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए महिलाओं की स्वास्थ्य जाँच करता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा के प्रति आकर्षण बढ़ता है।
  • केरल: आयुर्वेद को आतिथ्य क्षेत्र के साथ एकीकृत करने वाली कल्याण पर्यटन नीति को बढ़ावा दे रहा है।

वेलनेस टूरिज्म के बारे में 

  • वेलनेस टूरिज्म में विभिन्न स्वास्थ्य-केंद्रित गतिविधियों के माध्यम से अपने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ाने या बनाए रखने के प्राथमिक उद्देश्य से यात्रा करना शामिल है।
  • इसमें ‘स्पा’ उपचार और फिटनेस कार्यक्रमों से लेकर योगा रिट्रीट, ध्यान केंद्र और प्रकृति-आधारित गतिविधियों तक, अनुभवों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।

भारत में चिकित्सा पर्यटन की चुनौतियाँ

  • नियामक कमियाँ और मानकीकरण का अभाव: मूल्य निर्धारण, मान्यता और सेवा गुणवत्ता के लिए कोई समान राष्ट्रीय ढाँचा नहीं है।
    • विदेशी मरीजों की सेवा करने वाले भारतीय अस्पतालों का केवल एक अंश ही NABH या JCI से मान्यता प्राप्त है, जिससे विश्वास संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • सीमित वैश्विक विपणन एवं ब्रांडिंग: ‘हील इन इंडिया’ अभियान अभी शुरुआती चरण में है; भारत की पहुँच थाईलैंड या सिंगापुर की तुलना में कमजोर बनी हुई है।
    • वर्ष 2019 में, थाईलैंड ने 25 लाख चिकित्सा पर्यटकों को आकर्षित किया, जबकि भारत ने 7 लाख पर्यटकों को आकर्षित किया।
  • चिकित्सा वीजा और प्रक्रियात्मक देरी: जटिल आवेदन और विस्तार प्रक्रियाएँ मरीजों को हतोत्साहित करती हैं।
    • चिकित्सा और परिचारक वीजा के लिए ‘सिंगल-विंडो क्लीयरेंस’ का अभाव है।
  • बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी की बाधाएँ: छोटे शहरों में स्वास्थ्य केंद्रों तक अंतिम लक्ष्य तक कनेक्टिविटी की कमी है।
    • अफ्रीका एवं मध्य एशिया से द्वितीयक केंद्रों तक अंतरराष्ट्रीय उड़ानें सीमित हैं।
  • उपचार के बाद अनुवर्ती कार्रवाई में कमियाँ: अंतरराष्ट्रीय रोगी निगरानी के लिए टेलीमेडिसिन का कम एकीकरण है।
    • मरीजों के घर लौटने के बाद देखभाल में रुकावट से संतुष्टि और बार-बार आने की संख्या कम हो जाती है।
  • भाषाई और सांस्कृतिक बाधाएँ: अफ्रीकी, CIS तथा मध्य पूर्वी भाषाओं के लिए प्रशिक्षित दुभाषियों की कमी हैं।
    • स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों के लिए सांस्कृतिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण न्यूनतम है, जिससे मरीजों की सुविधा प्रभावित होती है।
  • चिकित्सा कदाचार और नैतिक चिंताएँ: कदाचार के मामलों में विदेशी मरीजों के लिए अपर्याप्त कानूनी उपाय हैं।
    • सीमा पार चिकित्सा शिकायतों के लिए कोई त्वरित विवाद समाधान प्रणाली नहीं हैं।
    • अवैध होने के बावजूद अंगों का व्यापार जारी है, उदाहरणस्वरूप, वर्ष 2023 में दिल्ली के एक अस्पताल में म्यांमार-स्थित किडनी तस्करी रैकेट का खुलासा हुआ।
    • व्यावसायिक नैतिकता, बाजार प्रोत्साहनों के साथ अंतर्संबंधित नहीं है।
  • अंगदान प्रणाली में विश्वास की कमी: भारतीय मरीजों से पहले विदेशियों द्वारा मृतक-दाता के अंग प्राप्त करने से जुड़े घोटालों ने अंगदान करने की जनता की इच्छा को कम कर दिया है।

भारत में चिकित्सा पर्यटन के लिए आगे की राह

  • नियामक निगरानी को मजबूत करना: एक समान मूल्य निर्धारण, मान्यता और नैतिक प्रोटोकॉल निर्धारित करने के लिए एक राष्ट्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर्यटन प्राधिकरण की स्थापना करना।
    • गुणवत्ता के मानकीकरण हेतु विदेशी रोगियों की सेवा करने वाले सभी अस्पतालों के लिए NABH/JCI मान्यता अनिवार्य करना।
  • अंग प्रत्यारोपण में नैतिकता और पारदर्शिता: विदेशी प्रत्यारोपणों पर नजर रखने के लिए आव्रजन और स्वास्थ्य प्रणालियों से जुड़ी एक राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण रजिस्ट्री का निर्माण करना।
    • जाली कागजात या जबरदस्ती के मामलों में डॉक्टरों/अस्पतालों के लिए जवाबदेही लागू करना, दंड और लाइसेंस निलंबन का प्रावधान करना।
  • उपचार के बाद अनुवर्ती तंत्र को बेहतर बनाना: अंतरराष्ट्रीय रोगियों की निरंतर निगरानी के लिए टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म को एकीकृत करना।
    • समन्वित अनुवर्ती देखभाल के लिए रोगियों के गृह देशों के अस्पतालों के साथ साझेदारी करना।
  • चिकित्सा वीजा प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना: अस्पताल बुकिंग और दाता-प्राप्तकर्ता मिलान के ऑनलाइन सत्यापन के साथ फास्ट-ट्रैक ई-मेडिकल वीजा शुरू करना।
    • अनुवर्ती उपचारों, विशेष रूप से प्रत्यारोपण और कैंसर देखभाल के लिए, लंबी अवधि की वैधता वाले वीजा प्रदान करना।
  • मार्केटिंग और अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को बढ़ावा देना: बहुभाषी वेबसाइटों, अंतरराष्ट्रीय रोड शो और विदेशी बीमा नेटवर्क के साथ रणनीतिक गठजोड़ के माध्यम से ‘हील इन इंडिया’ ब्रांड का विस्तार करना।
    • सरकारी स्वास्थ्य समझौतों के माध्यम से सीमित स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचे वाले बाजारों ‘अफ्रीका, CIS, मध्य पूर्व’ पर ध्यान केंद्रित करना।
  • बुनियादी ढाँचे और कनेक्टिविटी में सुधार: चिकित्सा पर्यटन सुविधा डेस्क के साथ चिकित्सा केंद्रों के पास हवाई अड्डों का उन्नयन करना।
    • उभरते हुए विशेष अस्पतालों वाले टियर-2 शहरों के लिए सीधी अंतरराष्ट्रीय उड़ान कनेक्टिविटी प्रदान करना।
  • भाषा और सांस्कृतिक एकीकरण: स्वास्थ्य कर्मियों को विदेशी भाषाओं (अरबी, रूसी, स्वाहिली, आदि) में प्रशिक्षित करना।
    • मरीजों के विश्वास को बेहतर बनाने के लिए अस्पताल के कर्मचारियों के लिए सांस्कृतिक अभिविन्यास मॉड्यूल विकसित करना।
  • स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): आयुष और स्वास्थ्य पर्यटन को चिकित्सा पर्यटन पैकेजों के साथ एकीकृत करना।
    • आधुनिक शल्य चिकित्सा और आयुर्वेद पुनर्वास को मिलाकर एक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य पैकेज प्रदान करना।

निष्कर्ष 

भारत में चिकित्सा पर्यटन, लागत प्रभावी, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा और ‘हील इन इंडिया’ जैसी मजबूत सरकारी पहलों द्वारा संचालित, एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक और कूटनीतिक संपत्ति है, जिसके वर्ष 2026 तक 13.42 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। हालाँकि, नियामक अंतराल को संबोधित करना, वैश्विक ब्रांडिंग को बढ़ाना और बुनियादी ढाँचे में सुधार करना विकास प्रक्रिया को बनाए रखने और थाईलैंड एवं सिंगापुर जैसे वैश्विक नेताओं के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

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