हाल ही में मदुरै का मीनाक्षी अम्मन मंदिर चर्चा में रहा है।
मीनाक्षी अम्मन मंदिर
परिचय: मीनाक्षी अम्मन मंदिरएक ऐतिहासिक मंदिर है, जो भारत के तमिलनाडु राज्यके मदुरै क्षेत्र में वैगई नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है।
इस भव्य मंदिर में14 प्रवेश द्वारहैं।
यह मंदिर माता पार्वती, जिन्हें‘मीनाक्षी’ के नाम से जाना जाता है और शिव, जिन्हें सुंदरेश्वरके नाम से जाना जाता है, को समर्पित है।
मदुरै का यह मीनाक्षी मंदिर 2500 वर्ष पुराने शहरमदुरै का हृदय और जीवन रेखा है और तमिलनाडु के मुख्य आकर्षणों में से एक है।
महत्त्वपूर्ण त्योहार:मदुरै मीनाक्षी मंदिर का सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहार चिथिराई, मीनाक्षी मंदिर में अप्रैल और मईमें मनाया जाता है।
ऐतिहिसिक तथ्य:मीनाक्षी अम्मन मंदिर को मूल रूप से चौथी शताब्दी ईसा पूर्वसे संबंधित बताया जाता है, लेकिन यह अपने वर्तमान स्वरूप में 16वीं-17वीं शताब्दी में बनाया गया था।
एक किंवदंती के अनुसार, भगवानशिव पांड्य शासक की बेटी मीनाक्षी से शादी करने के लिए सुंदरेश्वर के रूप में मदुरै आए थे, मीनाक्षी देवी पार्वती का स्वरूप थीं। मीनाक्षी अम्मन मंदिर उनके मिलन को समर्पित है।
14वीं शताब्दीके अंत मेंमलिक काफूर ने मंदिर के खजाने को लूट लिया।
विश्वनाथ नायकर ने16वीं शताब्दी में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।
थिरुमलाई नायकरने विश्वनाथ नायकर की प्रारंभिक योजना को वर्तमान भवन तक विस्तारित किया।
मीनाक्षी मंदिर का धार्मिक महत्त्व
इस मंदिर में देवी मीनाक्षी की एक मूर्ति है, जिसमें उनके दाहिने हाथ में तोता है।
यहाँ नटराज शिवकी एक विशाल चाँदी की मूर्ति है, जिसमें नटराज को अपना दाहिना पैर ऊपर उठाए हुए नृत्य करते हुए दिखाया गया है और यह नटराज की अन्य छवियों से बिल्कुल अलग है क्योंकि शेष मूर्तियों में उनका बायाँ पैर ऊपर उठा हुआ है।
मीनाक्षी मंदिर की वास्तुकला
इस पूरे भवन की संरचना एक‘मंडल’ के समान है।
‘मंडल’एक ज्यामितीय डिजाइन होती है, जो समरूपता और स्थानीयता के सिद्धांतों पर आधारित होती है।
इस भवन में12 भव्य गोपुरम हैं।
यहाँ सुंदरेश्वर और मीनाक्षी मंदिर दो प्रमुख मंदिर हैं, हालाँकि इसमेंगणेश और मुरुगन जैसे अन्य देवताओं के मंदिर भी हैं।
‘पोत्रामराई कुलम‘ मंदिर का पवित्र तालाब है।
तमिल में‘पोत्रामराई कुलम‘ का अर्थ है ‘सुनहरे कमल वाला तालाब’।
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