कोडुवायुर ग्राम पंचायत द्वारा वर्षा जल संचयन परियोजना के कारण कई महापाषाण कलश शवदाह संग्रहों की खोज हुई।
मेगालिथ (Megalith) क्या है?
यह एक बड़ा पत्थर है जिसका उपयोग किसी प्राचीन संरचना या स्मारक को बनाने के लिए किया जाता है, या तो अकेले या अन्य पत्थरों के साथ समूह में।
कलश दफन (Urn Burials) के बारे में
कलश दफन से तात्पर्य शव दफनाने की एक प्रथा से है, जिसमें दाह संस्कार के बाद राख एवं हड्डियों को मिट्टी के बर्तन में रखा जाता है।
महापाषाणकालीन दफन स्थल की प्रमुख खोजें
ये कलश केरल के पलक्कड़ जिले के नेनमारा वन के कोल्लेंगोडे (Kollengode) रेंज में कुंडलिक्कड़ (Kundlikkad) पहाड़ी पर पाए गए।
पुरातात्विक महत्त्व
ये कलश केरल में मध्यपाषाण और लौह युग के बीच संबंध के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
पहाड़ी की चोटी पर ऐसे कलश मिलना दुर्लभ है, क्योंकि अधिकांश दफन स्थल आमतौर पर निचले इलाकों में पाए जाते हैं।
दफन स्थल की अनुमानित आयु: ऐसा माना जाता है कि ये दफन स्थल 2,500 वर्ष से अधिक पुराने हैं।
पहाड़ी पर अद्वितीय खोजें: केरल के अधिकांश पहाड़ी स्थलों में पत्थर के ढेर, कब्रें और डोलमेन के साथ पत्थर के घेरे पाए जाते हैं, लेकिन इस स्थल पर असामान्य रूप से बड़ी संख्या में पारंपरिक कलश दफनाए गए थे।
इस क्षेत्र में कई मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े (काले मृदभांड, लाल मृदभांड, तथा काले एवं लाल मृदभांड) पाए गए।
कलश और मिट्टी के बर्तनों की विशेषताएँ
आकार और मोटाई: प्राचीन निर्माता बड़े कलशों का प्रयोग करते थे जो 8 मिमी. से 2 सेमी. मोटाई के होते थे।
फिंगरप्रिंट के निशान एवं आकृति: कुछ कलशों पर फिंगरप्रिंट के निशान थे और छोटे बर्तनों पर डोरी के निशान वाली आकृति थी।
छेनी का प्रयोग: चट्टानों पर मिले निशानों से पता चलता है कि कलश के चारों ओर के पत्थरों और शिखरशिलाओं को बनाने के लिए छेनी का प्रयोग किया गया था।
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