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संकट के दौरान मानसिक स्वास्थ्य

Lokesh Pal October 11, 2025 02:42 39 0

संदर्भ

10 अक्टूबर, 2025 को विश्व स्तर पर विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया, जिसका उद्देश्य मानवीय आपात स्थितियों और संकटों के दौरान मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को संबोधित करना है।

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में

  • परिभाषा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य ‘कल्याण की एक अवस्था है जिसमें व्यक्ति अपनी क्षमताओं को पहचानता है, जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है, उत्पादक रूप से कार्य कर सकता है और समुदाय में योगदान दे सकता है।’
  • भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्या: WHO का अनुमान है कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का भार प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर 2,443 विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (DALYs) है।
    • प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर आयु-समायोजित आत्महत्या दर 21.1 है।
    • वर्ष 2012-2030 के बीच मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण होने वाली आर्थिक नुकसान 1.03 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर आँका गया है।
  • वैश्विक स्थिति: दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग मानसिक स्वास्थ्य विकारों से जूझ रहे हैं।
    • प्रत्येक वर्ष 7,20,000 से अधिक लोग आत्महत्या कर लेते हैं (इनमें से 50% से अधिक 50 वर्ष से कम आयु के होते हैं)।
  • प्राकृतिक आपदाएँ, संघर्ष और महामारी जैसे संकट मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को बिगाड़ देते हैं, जिससे भावनात्मक संकट, चिंता, अवसाद और अभिघातज उत्तर दबाव विकार (Post-traumatic Stress Disorder- PTSD) उत्पन्न होता है।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस, 2025

  • इसकी शुरुआत वर्ष 1992 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ द्वारा की गई थी और यह विश्व स्तर पर जागरूकता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को मनाया जाता है।
  • वर्ष 2025 का विषय: ‘मानवीय आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य’ (Mental Health in Humanitarian Emergencies)।

संकट के दौरान मानसिक स्वास्थ्य

  • संवेदनशीलता में वृद्धि: आपदाओं से प्रभावित व्यक्ति अत्यधिक तनाव, आघात और क्षति का अनुभव करते हैं, जिससे गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • पिछले 10 वर्षों में युद्ध या संघर्ष का अनुभव करने वाले पाँच में से एक व्यक्ति (22%) अवसाद, चिंता, अभिघातज उत्तर दबाव विकार (PTSD), बाइपोलर डिसऑर्डर या सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त है।
  • बच्चे और किशोर: युवा आबादी हिंसा, विस्थापन और आघात के संपर्क में आने के कारण विशेष रूप से असुरक्षित है।
  • कम मूल्यांकित आवश्यकताएँ: आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर शारीरिक राहत की तुलना में कम प्राथमिकता दी जाती है, जबकि यह समग्र स्वास्थ्य लाभ के लिए आवश्यक है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: जलवायु परिवर्तन से जुड़ी आपदाएँ, जैसे चक्रवात और बाढ़, प्रभावित समुदायों में भावनात्मक तथा मनोवैज्ञानिक तनाव को बढ़ा देती हैं।

संकट के दौरान मानसिक स्वास्थ्य से निपटने में चुनौतियाँ

  • पहुँच संबंधी समस्याएँ: मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ अक्सर केंद्रीकृत होती हैं, जिससे दूरस्थ या आपदा प्रभावित क्षेत्रों में उन तक पहुँचना मुश्किल हो जाता है।
  • गलतफहमी: कई लोग मानसिक स्वास्थ्य को मानसिक बीमारी के बराबर मानते हैं, जिसके कारण उपलब्ध सेवाओं का लाभ कम होता है।
  • संसाधनों की कमी: सीमित प्रशिक्षित पेशेवर और आपदा राहत प्रणालियों के साथ अपर्याप्त एकीकरण प्रभावी मानसिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया में बाधा डालते हैं।
  • दीर्घकालिक प्रभाव: अनुपचारित आघात के परिणामस्वरूप दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य स्थितियाँ, मादक द्रव्यों का सेवन और सामाजिक निष्क्रियता में बदल सकती है, विशेषकर बच्चों और किशोरों में।

संकट के दौरान मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित पहल

  • सुनामी के बाद के हस्तक्षेप: वर्ष 2004 की सुनामी के बाद, भारत ने आपदा राहत के साथ एकीकृत मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा प्रोटोकॉल विकसित किए हैं।
  • कोविड-19 टास्क फोर्स: महामारी ने सुलभ देखभाल प्रदान करने के लिए समर्पित मानसिक स्वास्थ्य टास्क फोर्स की स्थापना को प्रेरित किया।
  • संकट प्रतिक्रिया दल: चक्रवात गज (2018) जैसी घटनाओं के दौरान, परामर्श और अनुवर्ती देखभाल प्रदान करने के लिए मनोचिकित्सकों तथा मनोवैज्ञानिकों को प्रभावित जिलों में तैनात किया गया था।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश: मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता के लिए अंतर-एजेंसी स्थायी समिति (IASC) के दिशा-निर्देश आपदा और आपातकालीन स्थितियों में हस्तक्षेपों का मार्गदर्शन करते हैं।

निष्कर्ष

संकट के समय मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना लचीले समुदायों के लिए आवश्यक है। सुलभ, एकीकृत और प्रभावी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ वैश्विक स्तर पर सुभेद्य आबादी के लिए सुधार, स्थिरता और कल्याण सुनिश्चित करती हैं।

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