भारत सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks- RRB) का विलय कर उनकी संख्या 43 से घटाकर 28 करने का प्रस्ताव दिया है।
संबंधित तथ्य
सरकार की समेकन योजना ‘एक राज्य-एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक’ (RRB) लक्ष्य के अनुरूप है।
वर्तमान स्थिति: आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्यों में वर्तमान में एक से अधिक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) हैं।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के समेकन के बारे में
डॉ. व्यास समिति (वर्ष 2001) की सिफारिशों के बाद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) का समेकन शुरू हुआ।
समेकन चरण: वर्ष 2004-05 में शुरू किया गया, तीन चरणों में वर्ष 2020-21 तक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) की संख्या 196 से घटाकर 43 कर दी गई।
चल रहे चौथे समेकन चरण का लक्ष्य संख्या को और कम करके 28 करना है।
समेकन का महत्त्व: ओवरहेड व्यय को कम करता है और प्रौद्योगिकी अपनाने को बढ़ावा देता है।
पूँजी आधार को बढ़ाता है, परिचालन क्षेत्रों का विस्तार करता है और जोखिम को बढ़ाता है।
डॉ. व्यास समिति
ग्रामीण ऋण प्रणाली में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (Regional Rural Banks-RRB) की प्रासंगिकता की जाँच करने और उन्हें व्यवहार्य बनाने के उपाय सुझाने के लिए डॉ. व्यास समिति (वर्ष 2001) का गठन किया गया था।
व्यास समिति की सिफारिशें
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) का एकीकरण: समिति ने पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं को प्राप्त करने और उनके वित्तीय स्थिति में सुधार करने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को समेकित करने की सिफारिश की।
शासन को मजबूत करना: समिति ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के बोर्ड और प्रबंधन को सशक्त बनाकर उनके प्रशासनिक ढाँचे को मजबूत करने का सुझाव दिया।
प्रौद्योगिकी अपनाना: समिति ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) द्वारा अपनी दक्षता और पहुँच में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना: समिति ने सिफारिश की कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को कृषि, छोटे और सीमांत किसानों तथा ग्रामीण कारीगरों जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण देने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखना चाहिए।
मानव संसाधन विकास: समिति ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के कर्मचारियों के प्रशिक्षण और विकास में निवेश के महत्त्व पर जोर दिया।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के बारे में
उत्पत्ति: नरसिम्हन कार्य समूह (वर्ष 1975) की सिफारिशों पर वर्ष 1975 में एक अध्यादेश के माध्यम से स्थापित किया गया, जिसे बाद में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया।
प्रथम क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB): प्रथमा ग्रामीण बैंक, 2 अक्टूबर 1975 को स्थापित किया गया था।
उद्देश्य: छोटे/सीमांत किसानों, कृषि मजदूरों और छोटे उद्यमियों को ऋण प्रदान करके ग्रामीण विकास का समर्थन करने के लिए बनाया गया।
परिचालन का दायरा: मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की सेवा करना, आवश्यकतानुसार शहरी क्षेत्रों में शाखाएँ खोलने की अनुमति।
शेयरधारिता संरचना:
भारत सरकार: 50% और राज्य सरकार: 15%
प्रायोजक बैंक: 35%
विनियमन:क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (सरकारी बैंक) हैं, जिनका विनियमन RBI द्वारा किया जाता है और नाबार्ड (NABARD) द्वारा उनकी निगरानी की जाती है।
निधियों के स्रोत: इसमें स्वामित्व वाली निधियाँ, जमाराशियाँ और नाबार्ड (NABARD), प्रायोजक बैंकों और सिडबी (SIDBI) तथा राष्ट्रीय आवास बैंक जैसी संस्थाओं से उधार शामिल हैं।
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (Priority Sector Lending-PSL) लक्ष्य: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अपने कुल बकाया अग्रिमों का 75% PSLको आवंटित करना होगा, जबकि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए यह 40% है।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के समेकन में चुनौतियाँ
एकीकरण की जटिलता: कई बैंकों के विलय के लिए विविध तकनीकी प्रणालियों और परिचालन प्रक्रियाओं के जटिल एकीकरण की आवश्यकता होती है।
क्षेत्रीय असमानताएँ: विविध ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सेवा वितरण सुनिश्चित करना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती हो सकती है।
कार्यबल समायोजन: एकीकरण के दौरान कार्यबल का पुनर्गठन एक संवेदनशील प्रक्रिया हो सकती है।
आगे की राह
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) का एकीकरण ग्रामीण बैंकिंग क्षेत्र की दक्षता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक कदम है।
बड़े और अधिक मजबूत संस्थानों का निर्माण करके, सरकार का लक्ष्य निजी क्षेत्र के बैंकों और लघु वित्त बैंकों (Small Finance Banks-SFB) के साथ प्रतिस्पर्द्धा में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है।
इस पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, समेकन प्रक्रिया को सावधानीपूर्वक क्रियान्वित करना तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के वित्तीय स्वास्थ्य एवं ग्रामीण समुदायों को सेवा प्रदान करने पर इसके प्रभाव की निगरानी करना महत्त्वपूर्ण है।
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