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मंगल ग्रह पर उल्कापिंडों की बौछार

Lokesh Pal July 01, 2024 04:55 216 0

संदर्भ

हाल ही में जारी एक शोधपत्र में नासा के इनसाइट प्रोब (Nasa’s InSight Probe) यान से प्राप्त भूकंपीय आँकड़ों के आधार पर यह निर्धारित किया गया है कि उल्कापिंड कितनी बार मंगल की सतह से टकराए हैं। 

अध्ययन के बारे में 

  • प्रकाशित: यह अध्ययन नेचर एस्ट्रोनॉमी (Nature Astronomy) पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। 
  • डेटा का स्रोत: शोधकर्ताओं ने नासा के मंगल अन्वेषण यान इनसाइट के सीस्मोमीटर से प्राप्त आँकड़ों का उपयोग किया, जो लैंडर्स की सीमा के भीतर प्रत्येक प्रभाव को सुन सकता था।
  • प्रक्रिया 
    • वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर उल्कापिंडों के टकराने पर उत्पन्न होने वाले एक विशेष ध्वनिक संकेत को ट्रैक किया, ताकि क्रेटरों के व्यास और इनसाइट से उनकी दूरी का अनुमान लगाया जा सके।
    • इसके बाद उन्होंने लैंडर के पास एक वर्ष में बने क्रेटरों की संख्या की गणना की, और फिर उस संख्या को पूरे ग्रह में विस्तार के आधार पर मूल्यांकन किया।

  • दृष्टिकोण: इस अध्ययन का उद्देश्य मंगल ग्रह पर उल्कापिंडों की बौछार से होने वाले आंतरिक ध्वनि स्पंदन को सुनना था, न कि पहले की विधि को ही प्रमाणिक मानना था जिसमें परिक्रमा कर रहे अंतरिक्ष यानों द्वारा ली गई तस्वीरों या चंद्रमा पर मौजूद क्रेटरों पर आधारित मॉडलों के आधार पर उल्कापिंडों की दर का अनुमान लगाया जाता था।
    • यदि हम यह समझना चाहते हैं कि यह प्रक्रिया कितनी बार होती हैं, तो प्रभावों को सुनना उन्हें देखने की तुलना में अधिक प्रभावी प्रतीत होता है।
  • निष्कर्ष: ऐसा अनुमान है कि मंगल ग्रह पर प्रतिवर्ष 280 से 360 उल्कापिंड आते हैं, जिनसे 8 मीटर (26 फीट) से भी बड़े गड्ढे बनते हैं।
    • यह उल्कापिंड गिरने की दर अकेले कक्षीय चित्रों से प्राप्त अनुमानित संख्या से लगभग पाँच गुना अधिक थी।
    • यह भी अनुमान लगाया गया है कि प्रत्येक महीने एक बार किसी बड़े उल्कापिंड के गिरने से मंगल ग्रह पर 30 मीटर का गड्ढा बन जाता है।
  • महत्त्व 
    • भविष्य के मिशन: यह डेटा निश्चित रूप से मंगल ग्रह के मानचित्रण के लिए एक मूल्यवान स्रोत है, जो भविष्य में मंगल ग्रह के मिशनों की योजना बनाने के लिए एक अमूल्य स्रोत होगा।
    • इमेजरी दृष्टिकोण की खामियाँ: मंगल ग्रह पर लगातार आने वाले तीव्र धूल भरे तूफानों के कारण मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान के लिए नीचे स्थित छोटे उल्कापिंडों को देख पाना विशेष रूप से कठिन हो जाता है।

मंगल ग्रह मुख्य लक्ष्य क्यों है?

  • क्षुद्रग्रह बेल्ट के करीब: मंगल ग्रह चंद्रमा से लगभग दोगुना बड़ा है और हमारे सौरमंडल के मुख्य ऐस्टराॅइड बेल्ट के बहुत करीब है, इस प्रकार यह अंतरिक्ष में बड़ी चट्टानों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य है।
  • पतला या सूक्ष्म वायुमंडल: मंगल ग्रह का वायुमंडल पृथ्वी की तुलना में 100 गुना पतला है, इसलिए उल्कापिंड इसके वायुमंडल में पृथ्वी की तरह नहीं टूटते हैं, जिससे इसे बहुत कम सुरक्षा मिलती है।

उल्कापिंड (Meteorite) 

  • उल्कापिंड किसी वस्तु, जैसे धूमकेतु, ऐस्टराॅइड या क्षुद्रग्रह से उत्पन्न होने वाला मलबे का एक ठोस टुकड़ा है, जो बाहरी अंतरिक्ष में उत्पन्न होता है और किसी ग्रह या चंद्रमा की सतह तक पहुँचने के लिए वायुमंडल से होकर गुजरता है।
  • उत्पत्ति: ऐसा माना जाता है कि अधिकांश उल्कापिंड मंगल और बृहस्पति के बीच ऐस्टराॅइड बेल्ट में उत्पन्न हुए थे और इनका निर्माण सौरमंडल के इतिहास में लगभग 4.56 अरब वर्ष पहले हुआ था। 
  • प्रकार:  उल्कापिंडों को उनकी संरचना, रासायनिक और समस्थानिक संरचना तथा खनिज विज्ञान के अनुसार समूहों में विभाजित किया जाता है।
    • पथरीले उल्कापिंड (Stony meteorites): ये चट्टानें हैं, जो मुख्य रूप से सिलिकेट खनिजों से बनी होती हैं।
    • लौह उल्कापिंड (Iron meteorites): ये मुख्य रूप से लौह-निकेल से बने होते हैं।
    • पत्थर-लौह उल्कापिंड (Stony-iron meteorites): इसमें धातु और चट्टानी दोनों तरह की सामग्री बड़ी मात्रा में होती है।

क्षुद्रग्रह (Meteoroid), उल्का (Meteor) और उल्कापिंड (Meteorite) में अंतर 

  • क्षुद्रग्रह (Meteoroid): ये चट्टानें अभी भी अंतरिक्ष में हैं। क्षुद्रग्रहों का आकार धूल के कणों से लेकर छोटे एस्टेराॅइड्स तक होता है। 
  • उल्का (Meteor): जब क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल (या किसी अन्य ग्रह, जैसे मंगल) में तेज गति से प्रवेश करते हैं और जल जाते हैं, तो आग के गोले या ‘शूटिंग स्टार’ को उल्का कहा जाता है।
    • उल्का वर्षा (Meteor Shower): एक अनुमान के अनुसार, प्रत्येक दिन पृथ्वी पर लगभग 48.5 टन या 44,000 किलोग्राम उल्कापिंड पदार्थ गिरता है। लगभग सारा पदार्थ पृथ्वी के वायुमंडल में वाष्पीकृत हो जाता है, जिससे एक चमकीला निशान बनता है, जिसे सामान्य भाषा में ‘शूटिंग स्टार’ कहा जाता है। 
  • उल्कापिंड (Meteorite): जब कोई क्षुद्रग्रह वायुमंडल से गुजरते हुए जमीन से टकराता है, तो उसे उल्कापिंड कहा जाता है।

मंगल ग्रह के बारे में  

  • मंगल हमारे सौरमंडल का सातवाँ सबसे बड़ा ग्रह है, जिसकी त्रिज्या 2,106 मील है और व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग आधा है।
  • इसका सतही गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का 37.5 प्रतिशत है।
  • घूर्णन: मंगल ग्रह अपनी धुरी पर (जो 25.2 डिग्री पर झुका हुआ है) प्रत्येक 24.6 पृथ्वी घंटे में घूमता है, जो मंगल ग्रह के एक दिन की लंबाई निर्धारित करता है, जिसे सोल (Sol) कहा जाता है।
  • एक मंगल वर्ष: एक वर्ष 669.6 सोल या 687 पृथ्वी दिनों तक रहता है और एक मौसम अवधि 194 सोल अथवा 199 पृथ्वी दिनों से थोड़ा अधिक तक बनी रह सकती है।
  • वायुमंडल: मंगल ग्रह का वायुमंडल पृथ्वी की तुलना में बहुत पतला है (ज्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन और आर्गन से बना है), जो नाटकीय रूप से ग्रह की सतह के पास मौजूद गर्मी को कम कर देता है। 
    • माउंट एवरेस्ट के ऊपर हवा का दबाव मंगल ग्रह की सतह पर मौजूद हवा के दबाव से लगभग 50 गुना अधिक है।
  • सतह का तापमान: तापमान 70 डिग्री फारेनहाइट तक पहुँच सकता है और -225 डिग्री फारेनहाइट तक कम हो सकता है, लेकिन औसतन, इसकी सतह का तापमान -81 डिग्री फारेनहाइट है, जो पृथ्वी के औसत तापमान से पूर्ण रूप से 138 डिग्री कम है।
  • सुरक्षात्मक अवरोध: मंगल ग्रह पर सक्रिय प्लेट टेक्टॉनिक प्रणाली और ग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र का अभाव है, जिससे सूर्य के उच्च ऊर्जा कणों के लिए लाल ग्रह के वायुमंडल को नष्ट करना आसान हो जाता है।

नासा का इनसाइट [भूकंपीय जाँच, भू-गणित और ऊष्मा परिवहन का उपयोग करते हुए आंतरिक अन्वेषण (Interior Exploration using Seismic Investigations, Geodesy and Heat Transport)] लैंडर 

  • परिचालन: इनसाइट (InSight) नवंबर 2018 से दिसंबर 2022 तक मंगल ग्रह पर परिचालन में था।
  • उद्देश्य: नासा के इनसाइट (InSight) अंतरिक्ष यान ने मंगल ग्रह के अंदरूनी हिस्से और मंगल के भूकंपों का अध्ययन किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि अन्य सितारों के आसपास पृथ्वी जैसे एक्सोप्लैनेट सहित अन्य ग्रह कैसे विकसित होते हैं?

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