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मेटरियोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया (MvPI)

Lokesh Pal May 23, 2024 12:56 165 0

संदर्भ

भारत के औषधि महानियंत्रक (Drugs Controller General of India- DCGI) ने सभी चिकित्सीय उपकरण के लाइसेंस धारकों एवं निर्माताओं को उपकरणों से संबंधित किसी भी प्रतिकूल घटना की रिपोर्ट मेटरियोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया (MvPI) पर करने का निर्देश दिया है।

संबंधित तथ्य 

  • उद्देश्य: पोस्ट-मार्केट सर्विलांस (Post-Market Surveillance- PMS) के माध्यम से चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा को सुनिश्चित करके जोखिमों को कम करना तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य की देखभाल करना।

चिकित्सीय उपकरण (Medical Device)

  • चिकित्सीय उपकरण किसी निर्माता द्वारा मनुष्यों के चिकित्सा संबंधी उपचार के लिए निर्मित उपकरण या वस्तु हैं।
  • इसमें उपकरण, मशीनें, प्रत्यारोपण, परीक्षण के लिए अभिकर्मक, सॉफ्टवेयर और अन्य वस्तुएँ शामिल हैं।
  • इन उपकरणों का उपयोग विशिष्ट चिकित्सा उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे बीमारियों का उपचार या रोकथाम, चोटों का निवारण, शारीरिक गतिविधियों का समर्थन करना, गर्भधारण को नियंत्रित करना आदि।

वैश्विक पोस्टमार्केटिंग निगरानी दृष्टिकोण

  • संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): FDA नामक संस्था खाद्य, फार्मास्यूटिकल्स, टीके और चिकित्सा उपकरणों को नियंत्रित करती है। 
    • बाजार में उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध होने से पहले चिकित्सीय उपकरणों को FDA द्वारा अधिकृत और अनुमोदित होना आवश्यक है।  
  • कनाडा: कनाडा संशोधित उपकरणों के लिए लाइसेंसिंग की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
    • इस लाइसेंसिंग प्रक्रिया के दौरान उपकरण के मानदंडों की जाँच उपभोक्ताओं तक पहुँचने से पहले की जाती है। 
  • जापान: ‘फार्मास्यूटिकल और मेडिकल डिवाइस एजेंसी’ उन सभी चिकित्सा उपकरणों की निगरानी करती है, जो निर्धारित नियमों के अंतर्गत आते हैं।
    • यह संस्था उपकरणों की गुणवत्ता की जाँच कर लाइसेंस प्रदान करती है। 
  • ऑस्ट्रेलिया: प्रायोजकों को बाजार में किसी भी उत्पाद को लाने से पहले संबंधित चिकित्सीय उपकरणों की जानकारी चिकित्सीय सामान प्रशासन (Therapeutic Goods Administration- TGA) को देनी पड़ती है। 
    • इसमें बैच नंबर और निर्माण संबंधी घटकों की जानकारी शामिल होती है।
  • ब्रिटेन: ब्रिटेन प्रतिकूल घटनाओं की निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए सभी डेटाबेस और योजनाओं की देखभाल करता है। 
  • यूरोप: राष्ट्रीय योग्यता प्राधिकरण (National Competency Authority- NCA) सभी चिकित्सा उपकरणों की निगरानी करता है और शिकायतों के निपटारे के लिए सीधे निर्माताओं को संबोधित करता है।

चिकित्सीय उपकरणों के प्रकार

  • उपकरण और यंत्र: इसके अंतर्गत उपकरण और औजार शामिल हैं।
  • मशीनें: विभिन्न उपकरण और मशीनें।
  • उपकरण और प्रत्यारोपण: शरीर के अंदर या बाहर उपयोग किया जाने वाला उपकरण।
  • कृत्रिम परिवेशीय (In-Vitro) उपयोग के लिए अभिकर्मक: शरीर के बाहर चिकित्सीय परीक्षण के लिए उपयोग किए जाने वाले पदार्थ।
  • शोधक और सॉफ्टवेयर: माप और डेटा प्रबंधन के लिए उपकरण।
  • सामग्री और संबंधित शोध: इससे संबंधित कई अन्य प्रकार की वस्तुएँ।

भारत का मातृसतर्कता कार्यक्रम (Materiovigilance Programme of India- MvPI) 

  • यह कार्यक्रम भारत में चिकित्सीय उपकरणों की सुरक्षा की निगरानी के लिए राष्ट्रीय पहल है।
  • नोडल मंत्रालय: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
  • महत्त्व
    • व्यापक रिपोर्टिंग: इन-विट्रो चिकित्सा में उपयोग होने वाले उपकरणों सहित अन्य चिकित्सीय उपकरणों से संबंधित प्रतिकूल घटनाओं की व्यवस्थित रिपोर्टिंग के लिए MvPI महत्त्वपूर्ण है।
    • समन्वित विश्लेषण: यह कार्यक्रम जोखिमों की प्रकृति और गंभीरता को समझने के लिए प्राप्त डेटा के समन्वित विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है।
    • जोखिम से निपटारा: संभावित जोखिमों की पहचान और समाधान करने के लिए MvPI समुचित उपायों को लागू करने में सहायता करता है।
  • लाइसेंस धारकों के लिए सिफारिशें
    • अनिवार्य रिपोर्टिंग: चिकित्सीय उपकरण के सभी लाइसेंस धारकों को अपने उपकरणों से संबंधित किसी भी प्रतिकूल या गंभीर घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए MvPI मंच का उपयोग करना चाहिए।
    • उचित अनुपालन: अनुशंसा चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा की गारंटी और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए MvPI प्रतिबद्ध है, जिसके लिए MvPI के दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है।
  • नियामक ढाँचा 
    • अधिनियम: इन-विट्रो डायग्नोस्टिक उपकरणों सहित अन्य चिकित्सीय उपकरणों को इसके तहत विनियमित किया जाता है।
      • औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 (The Drugs and Cosmetics Act)
      • चिकित्सीय उपकरण नियम, 2017 (The Medical Devices Rules)
    • लाइसेंसिंग की आवश्यकता: भारतीय बाजार में चिकित्सीय उपकरणों के आयात या निर्माण के लिए लाइसेंस या सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता पड़ती है।

फामार्कोविजिलेंस (Pharmacovigilance)

  • इसे ‘औषधि सुरक्षा’ (Drug Safety) के रूप में भी जाना जाता है।
  • यह फार्मास्युटिकल उत्पादों से जुड़े सभी प्रतिकूल प्रभावों की पहचान करने, मूल्यांकन, निगरानी और रोकथाम पर केंद्रित है।
  • यह औषधीय उद्योग के भीतर नियामक संस्था की तरह कार्य करता है।

भारत में चिकित्सा उपकरणों को विनियमित करने में चुनौतियाँ

  • आयात पर अत्यधिक निर्भरता: भारत लगभग 80% चिकित्सीय उपकरणों का आयात विदेशों से करता है। दूसरे शब्दों में, भारत चिकित्सीय उपकरणों के लिए आत्मनिर्भर नहीं है।
  • अपर्याप्त घरेलू विनिर्माण
    • विनियमन संबंधी मुद्दे: चिकित्सीय उपकरणों के विनिर्माण को विनियमित करने के लिए मजबूत प्रणाली उपलब्ध नहीं है।
    • सीमित घरेलू उत्पादन: भारत के भीतर चिकित्सीय उपकरणों के लिए आवश्यक घटकों का सीमित उत्पादन होता है। 
    • कुशल श्रमिकों की कमी: कुशल पेशेवरों की कमी भी घरेलू विनिर्माण प्रणाली के विकास में बाधा डालती है।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभुत्व: बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करने की क्षमता रखती हैं, फलस्वरूप भारत की निर्भरता आयात पर बढ़ जाती है।

पोस्ट-मार्केट सर्विलांस (Post-Market Surveillance- PMS)

  • प्री-मार्केट परीक्षण के अलावा, PMS वास्तविक दुनिया में चिकित्सीय उपकरणों के प्रदर्शन के निरंतर मूल्यांकन की अनुमति देता है।
  • यह उपकरणों से जुड़े नए संभावित जोखिमों या प्रतिकूल घटनाओं की पहचान करने में सहायता करता है।

भारत में चिकित्सीय उपकरणों के लिए पोस्ट-मार्केट सर्विलांस (PMS) की भूमिका

  • सुरक्षा और प्रदर्शन सुनिश्चित करना: बाजार में प्रवेश करने के बाद चिकित्सीय उपकरणों की निरंतर सुरक्षा और प्रभावशीलता की निगरानी करने में PMS की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
  • जोखिमों की पहचान और समाधान करना: PMS के माध्यम से उपकरणों से जुड़े संभावित जोखिमों या प्रतिकूल घटनाओं की पहचान की जाती है तथा उसका समाधान किया जाता है।
  • समय पर रिपोर्टिंग करने में सक्षम: प्रतिकूल घटनाओं की उचित समय पर रिपोर्टिंग PMS की विशेषता है-
    • अप्रत्याशित जोखिमों की पहचान करना।
    • ज्ञात जोखिम की प्रकृति और आवृत्ति का विश्लेषण।
  • सुधारात्मक कार्रवाइयों की सूचना: PMS डेटा के आधार पर, निर्माता और नियामक निकाय जोखिमों को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई कर सकते हैं।
  • MvPI मंच का उपयोग: भारत का मैटेरियोविजिलेंस कार्यक्रम (MvPI) चिकित्सीय उपकरणों से संबंधित प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रमुख मंच के रूप में कार्य करता है।

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