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सूक्ष्म उल्कापिंड और अंतरिक्ष मलबा

Lokesh Pal December 25, 2025 05:09 7 0

संदर्भ

पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए लाखों की संख्या में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सूक्ष्म उल्कापिंड और कक्षीय मलबे (Micrometeoroids and Orbital Debris- MMOD) मौजूद हैं, जो सभी अंतरिक्ष यानों और अंतरिक्ष स्टेशनों के लिए निरंतर खतरा बने हुए हैं।

अंतरिक्ष मलबा क्या है?

  • अंतरिक्ष मलबा, जिसे कक्षीय मलबा, अंतरिक्ष अपशिष्ट या अंतरिक्ष कचरा भी कहा जाता है, पृथ्वी की कक्षा में मौजूद मानव निर्मित वस्तुएँ हैं, जिनका अब कोई उपयोग नहीं रह गया है।
  • इनमें निष्क्रिय उपग्रह, उपयोग किए गए रॉकेट के हिस्से, विस्फोट या टक्कर से निकले टुकड़े और यहाँ तक ​​कि पेंट के छोटे-छोटे कण भी शामिल हैं।
  • अंतरिक्ष मलबे के स्रोत: रॉकेट में विस्फोट होने से हुए हिस्से और उपग्रह: उपग्रह में बचे हुए ईंधन या बैटरी की समस्याओं के कारण इनमें विस्फोट हो जाता है।
    • आकस्मिक टकराव: जैसे वर्ष 2009 में इरिडियम-कॉस्मोस उपग्रह दुर्घटना।
    • जानबूझकर की गई तोड़फोड़: उपग्रह रोधी (ASAT) हथियारों के परीक्षण (उदाहरण के लिए, चीन के वर्ष 2007 के परीक्षण से हजारों टुकड़े उत्पन्न हुए)।
    • मिशन से संबंधित वस्तुएँ: अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा खोए गए उपकरण, लेंस कैप आदि।
  • वर्तमान पैमाना: कक्षा में लगभग 40,000 से 40,230 कृत्रिम वस्तुएँ मौजूद हैं, जिनकी निगरानी नियमित रूप से निगरानी नेटवर्क द्वारा की जाती है।
    • इनमें से लगभग 11,000 सक्रिय उपग्रह हैं; शेष अधिकतर मलबा हैं।
  • अधिकांश मलबा पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में, 2,000 किमी. की ऊँचाई से नीचे केंद्रित है।

सूक्ष्म उल्कापिंड (Micrometeoroids) क्या होते हैं?

  • सूक्ष्म उल्कापिंड अंतरिक्ष में तैरते हुए चट्टान, धातु या धूल के छोटे प्राकृतिक कण होते हैं।
  • ये अत्यंत छोटे उल्कापिंड होते हैं, जिनका आकार अक्सर धूल के कणों जितना होता है।
  • आकार: आमतौर पर कुछ माइक्रोमीटर (मीटर के दस लाखवें भाग) से लेकर लगभग 2 मिलीमीटर तक।
  • गति: अत्यंत उच्च, 11 से 72 किमी/सेकंड तक (पृथ्वी या अंतरिक्ष यान के सापेक्ष औसत लगभग 20 किमी./सेकंड)।
  • वितरण: गुरुत्वाकर्षण के कारण ग्रहों के पास थोड़ी अधिक घनत्व के साथ, ये अंतरग्रहीय अंतरिक्ष में पाए जाते हैं।
    • मानव निर्मित मलबे के विपरीत, ये पृथ्वी की कक्षा तक सीमित नहीं हैं।
  • अपने छोटे आकार के बावजूद, इनका अति-वेग (Hypervelocity) इन्हें उच्च-ऊर्जा प्रक्षेप्य में बदल देता है। गतिज ऊर्जा (½ mv²) धूल के आकार के कण को ​​भी निम्न कार्य करने में सक्षम बनाती है:
    • अंतरिक्ष यान के बाहरी आवरण या सूट में छेद करना।
    • सतहों पर गड्ढे बनाना (जैसे- समय के साथ रेत का विस्फोट)।

सूक्ष्म उल्कापिंड और कक्षीय मलबे का खतरा

  • अति-वेग प्रभाव: MMOD कण निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में औसतन 10 किमी./सेकंड की गति से यात्रा करते हैं, जबकि सूक्ष्म उल्कापिंड 20 किमी./सेकंड या उससे अधिक की गति से यात्रा करते हैं।
  • अज्ञात छोटे कण: 10 सेमी. से बड़े 34,000 से अधिक पिंडों पर नजर रखी जाती है, लेकिन करोड़ों छोटे पिंड (1 मिमी. से 1 सेमी.) की वास्तविक समय में निगरानी या उनसे बचाव संभव नहीं है।
    • NASA के ऑर्बिटल डेब्रिस इंजीनियरिंग मॉडल (ORDEM) जैसे मॉडलों का उपयोग करके संभाव्यता के आधार पर जोखिम का आकलन किया जाता है।
  • LEO में प्राथमिक जोखिम: NASA ने MMOD को वाणिज्यिक मानवयुक्त अंतरिक्ष यान और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जैसे मानवयुक्त वाहनों के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है।
  • केसलर सिंड्रोम की संभावना: टकराव से और अधिक मलबा उत्पन्न हो सकता है, जिससे एक कैस्केडिंग इफेक्ट (Cascading Effect) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जो कुछ कक्षाओं को अनुपयोगी बना सकता है।
    • हाल ही में हुई एक घटना में कक्षीय मलबे के कारण चीन के शेनझोउ-20 अंतरिक्ष यान की एक खिड़की टूट गई।

केसलर सिंड्रोम (Kessler Syndrome)

  • केसलर सिंड्रोम एक अवधारणा है, जिसे नासा के वैज्ञानिक डोनाल्ड केसलर ने वर्ष 1978 में प्रस्तावित किया था।
  • उन्होंने कहा कि यदि कक्षा में अंतरिक्ष मलबे की मात्रा बहुत अधिक हो जाए, तो इससे एक शृंखला अभिक्रिया शुरू हो सकती है, जिसमें अधिक से अधिक वस्तुएँ आपस में टकराएँगी और इस प्रक्रिया में नया अंतरिक्ष मलबा उत्पन्न करेंगी, यहाँ तक ​​कि पृथ्वी की कक्षा अनुपयोगी हो सकती है।

अंतरिक्ष मलबे के प्रबंधन के लिए वैश्विक प्रयास

  • अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (IADC): वर्ष 1993 में स्थापित, इसमें 13 प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियाँ ​​शामिल हैं, जैसे- नासा, ESA, ISRO, JAXA, रोस्कोस्मोस (Roscosmos)।
    • यह तकनीकी मानक विकसित करता है; इसने वर्ष 2002 में मूल अंतरिक्ष मलबा शमन दिशा-निर्देश जारी किए।
  • संयुक्त राष्ट्र बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर समिति (UNCOPUOS): IADC मानकों पर आधारित स्वैच्छिक अंतरिक्ष मलबा शमन दिशा-निर्देशों को वर्ष 2007 में अपनाया।
    • डेटा साझाकरण और टकराव से बचाव सहित दीर्घकालिक स्थिरता दिशा-निर्देशों को बढ़ावा देता है।
  • ESA का ‘शून्य मलबा’ दृष्टिकोण (वर्ष 2030 का लक्ष्य)
    • यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एजेंडा 2025 के अंतर्गत आरंभ किया गया: इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षाओं में ESA मिशनों से लगभग ‘शून्य मलबा’ उत्पन्न करना है।
    • शून्य मलबा’ चार्टर (2023) को सुगम बनाया: 40 से अधिक वैश्विक संस्थाओं द्वारा सह-विकसित किया गया है; इसे महत्त्वाकांक्षी 2030 लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए हस्ताक्षर हेतु खुला रखा गया है।
  • सीमा: दिशा-निर्देश स्वैच्छिक सॉफ्ट लॉ’ हैं, जिनका कोई कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रवर्तन नहीं है।

अंतरिक्ष यानों को MMOD से कैसे सुरक्षित रखा जाता है?

  • जोखिम विश्लेषण और मॉडलिंग: अंतरिक्ष एजेंसियाँ ​​ट्रैकिंग डेटा और सांख्यिकीय मॉडलों का उपयोग करके मिशन के दौरान होने वाले संभावित प्रभावों (MMOD फ्लक्स) का पूर्वानुमान लगाती हैं।
    • विफलता की संभावनाओं की गणना और सुरक्षात्मक उपायों को डिजाइन करने के लिए सॉफ्टवेयर उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
  • व्हिपल शील्ड: यह एक सामान्य भौतिक शील्ड डिजाइन है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • आउटर बम्पर: आने वाले मलबे को एक बादल के रूप में बिखेर देता है।
    • स्टैंड-ऑफ गैप: बादल को फैलने और ऊर्जा को वितरित होने देता है।
    • आंतरिक पिछली दीवार: टकराव से बची हुई ऊर्जा को अवशोषित करती है।
  • मलबे से बचाव के उपाय: बड़े, ट्रैक करने योग्य मलबे (>10 सेमी.) के लिए, एजेंसियाँ ​​टकराव के जोखिमों की निगरानी करती हैं। यदि कोई खतरा पाया जाता है, तो थ्रस्टर टकराव से बचने के लिए अंतरिक्ष यान की कक्षा को समायोजित करते हैं।

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