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मिनरल्स सिक्योरिटी फाइनेंस नेटवर्क

Lokesh Pal September 27, 2024 03:51 151 0

संदर्भ

हाल ही में भारत, अमेरिका के नेतृत्व वाली पहल मिनरल्स सिक्योरिटी फाइनेंस नेटवर्क (MSFN) में शामिल हो गया है। इसका उद्देश्य महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना है। इसकी घोषणा 23 सितंबर, 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान की गई थी। 

  • यह मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप (MSP) की एक शाखा है। भारत, MSFN के संस्थापक सदस्यों में से एक है।

मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप (MSP) 

  • यह महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत करने के लिए एक वैश्विक पहल है, जिसे महत्त्वपूर्ण खनिज गठबंधन के रूप में भी जाना जाता है।
  • स्थापना: मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप (MSP) की आधिकारिक घोषणा जून 2022 में टोरंटो, कनाडा में वार्षिक प्रॉस्पेक्टर्स एंड डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ कनाडा (PDAC) सम्मेलन में की गई थी।
    • यह विश्व का सबसे बड़ा खनन संबंधी आयोजन है।
  • संस्थापक सदस्य: संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, जापान, कोरिया गणराज्य, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय आयोग।
    • भारत जून 2023 में इस पहल में शामिल हुआ है ।
  • लक्ष्य: मूल्य शृंखला के साथ रणनीतिक परियोजनाओं के लिए लक्षित वित्तीय और कूटनीतिक समर्थन की सुविधा हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से सतत् ऊर्जा खनिज आपूर्ति शृंखलाओं के विकास में तेजी लाना।
  • उद्देश्य 
    • संपूर्ण खनिज मूल्य शृंखला: MSP खनन, निष्कर्षण और द्वितीयक पुनर्प्राप्ति से लेकर प्रसंस्करण और शोधन और अंततः रीसाइक्लिंग तक संपूर्ण स्वच्छ ऊर्जा मूल्य शृंखला के साथ परियोजनाओं पर विचार करता है।
    • MSP का फोकस स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए सर्वाधिक प्रासंगिक खनिजों और धातुओं की आपूर्ति शृंखलाओं को सुरक्षित करना और उनका उपयोग करना है।
      • उदाहरण: लीथियम, कोबाल्ट, निकल, मैंगनीज, ग्रेफाइट, 17 दुर्लभ मृदा तत्त्व, और ताँबा आदि।
  • फोकस 
    • वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाना तथा उन्हें स्थिर बनाना।
    • उन आपूर्ति शृंखलाओं में निवेश करना।
    • खनन, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण क्षेत्रों में उच्च पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन (ESG) मानकों को बढ़ावा देना।
    • महत्त्वपूर्ण  खनिजों के पुनर्चक्रण में वृद्धि करना।
  • प्रस्तावित परियोजनाएँ: MSP लगभग 150 परियोजनाओं पर सहयोग कर रहा है, जिसमें विशेषज्ञता साझा करने के लिए महत्त्वपूर्ण खनिज और धातु सहयोग मंच को बढ़ावा देना, बैटरी सामग्री विकसित करना और दक्षिण अमेरिका में संयुक्त रूप से खनिज प्रसंस्करण सुविधा विकसित करना शामिल है।
  • महत्त्व 
    • आपूर्ति शृंखलाओं में भार को कम करना: ऊर्जा संक्रमण के लिए महत्त्वपूर्ण  खनिजों के लिए अधिक उत्पादन क्षमता की आवश्यकता है, जिसके लिए आपूर्ति शृंखलाओं में भार को कम करने और लचीलेपन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
    • चीन के प्रभुत्व को कम करना: चीन विश्व में महत्त्वपूर्ण खनिजों के प्रसंस्करण के मूलभूत ढाँचे  के लगभग 70% को नियंत्रित करता है। गठबंधन को मुख्य रूप से चीन के लिए एक विकल्प विकसित करने पर केंद्रित माना जाता है।
    • इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देना: यह पहल इन खनिजों के जागरूक, सतत् और न्यायसंगत प्रणाली के माध्यम से विश्व में इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी को बढ़ावा देगी, जो परिवहन और ऊर्जा क्षेत्र को हरित बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण  है।
    • स्थायी महत्त्वपूर्ण ऊर्जा खनिज आपूर्ति शृंखला: वैश्विक स्तर पर विविध और सतत् महत्त्वपूर्ण  ऊर्जा खनिज आपूर्ति शृंखलाओं के विकास में तेजी लाना।

मिनरल्स सिक्योरिटी फाइनेंस नेटवर्क (MSFN)

  • सदस्य: अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, नॉर्वे, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ।
  • कार्यान्वयन एजेंसियाँ: यह नई साझेदारी मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप (MSP) साझेदार सरकारों के विकास वित्त संस्थान (DFI) और निर्यात ऋण एजेंसियाँ (ECA) को एक साथ लाएगी, जिससे तालमेल बनाया जा सकेगा और प्रभाव में वृद्धि होगी।
  • उद्देश्य: महत्त्वपूर्ण  खनिजों के लिए विविध, सुरक्षित और सतत् आपूर्ति शृंखलाओं को आगे बढ़ाने के लिए भागीदार संस्थानों के बीच सहयोग को मजबूत करना तथा सूचना के आदान-प्रदान और सह-वित्तपोषण को बढ़ावा देना।
  • आवश्यकता: यह महसूस किया गया कि कोई भी एकल संस्थान अकेले स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को प्राप्त करने में असमर्थ है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों को इस क्षेत्र में नए और मौजूदा बाजारों में पूँजी लगाने के लिए मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।

महत्त्वपूर्ण  खनिज (Critical Mineral) 

  • परिभाषा: वे खनिज जो आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इनकी भौगोलिक उपलब्धता की कमी और सीमा के कारण आपूर्ति शृंखला में  व्यवधान उत्पन्न होता है, जिससे इनका महत्त्व बढ़ जाता है।

  • प्रमुख महत्त्वपूर्ण  खनिज: खान मंत्रालय द्वारा गठित महत्त्वपूर्ण  खनिजों की पहचान संबंधी समिति की रिपोर्ट में 30 महत्त्वपूर्ण  खनिजों की पहचान की गई है,
    • एंटीमनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट, ताँबा, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हैफनियम, इंडियम, लीथियम, मॉलिब्डेनम, नियोबियम, निकल, पीजीई, फॉस्फोरस, पोटाश, REE, रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंटियम, टैंटालम, टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, जिरकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम।
  • शीर्ष उत्पादक: अंतरराष्ट्रीय  ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, महत्त्वपूर्ण  खनिजों के प्रमुख उत्पादक देश चीन, कांगो, चिली, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया हैं।
    • प्रसंस्करण के मामले में चीन का वैश्विक प्रभुत्व है।
  • उपयोग
    • उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स: वे अर्द्धचालक बनाने और उच्च-स्तरीय इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण  हैं।
    • स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी: पवन टर्बाइन और सौर पैनलों से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों तक ये खनिज कई स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में एक आवश्यक घटक हैं।
    • परिवहन और संचार: इनका उपयोग लड़ाकू जेट, ड्रोन और रेडियो सेट, विमान बनाने में भी किया जाता है।
    • विविध क्षेत्र: मोबाइल फोन, टैबलेट, इलेक्ट्रिक वाहन, सौर पैनल, पवन टर्बाइन, फाइबर ऑप्टिक केबल और रक्षा और चिकित्सा अनुप्रयोगों जैसे विविध क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकियों का निर्माण करना।
    • बैटरी और भंडारण प्रौद्योगिकी: लीथियम-आयन जैसी बैटरी प्रौद्योगिकी में प्रगति के संदर्भ में भंडारण प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए ये खनिज महत्त्वपूर्ण  हैं।

  • मूल्य शृंखला के घटक (Components of Value Chain)
    • भू-विज्ञान और अन्वेषण
    • अपस्ट्रीम: खनन और निष्कर्षण
    • मिडस्ट्रीम: प्रसंस्करण, शोधन और धातुकर्म
    • डाउनस्ट्रीम: घटक विनिर्माण और स्वच्छ डिजिटल उन्नत प्रौद्योगिकी उत्पादन
      • उदाहरण: ZEV विनिर्माण, अर्द्धचालक, चिप्स आदि।
    • सामग्री पुनर्प्राप्ति तथा पुनर्चक्रण

चुनौतियाँ

  • उत्सर्जन का नया स्रोत: ऊर्जा गहन खनन कार्य तथा प्रसंस्करण गतिविधियाँ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को और अधिक बढ़ावा देंगी, जिससे जीवाश्म ईंधन को कम करने में हुई प्रगति निरर्थक हो जाएगी।

  • पर्यावरणीय क्षरण: इन खनिजों का असंवहनीय तरीके से खनन करने से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिसमें जैव विविधता की हानि और प्रदूषण भी शामिल है।
  • मानवाधिकार उल्लंघन: महत्त्वपूर्ण  खनिजों की होड़ से नकारात्मक सामाजिक प्रभाव उत्पन्न होंगे, जिनमें बाल श्रम, स्वदेशी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन और विस्थापन जैसे मानवाधिकार हनन शामिल हैं।
  • आपूर्ति शृंखला में व्यवधान: सीमित उपलब्धता के कारण आपूर्ति में कमी ऊर्जा संक्रमण को धीमा कर सकती है या इसे अधिक महंगा और असमान बना सकती है।
  • नियंत्रण की दौड़: चूँकि ये खनिज भविष्य की प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देंगे, इसलिए इनके नियंत्रण को लेकर भू-राजनीतिक तनाव बढ़ेगा।

आगे की राह 

  • खनिज कूटनीति: भारत को सुनिश्चित तथा लचीली महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं के निर्माण के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यवस्थाओं में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।
  • जिम्मेदार खनन और परिपत्रता: गतिशीलता, आवास और औद्योगिक प्रणालियों पर पुनर्विचार करके आपूर्ति में स्थिरता सुनिश्चित करना, हालाँकि सामग्री दक्षता, विकल्प और संसाधन परिसंचरण पर जोर देकर जिम्मेदार सोर्सिंग के माध्यम से माँग को कम करना आवश्यक है।
  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्त्व: सिद्धांत के रूप में परिपत्र ढाँचे में विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्त्व की अवधारणा को शामिल करके पूरे उत्पाद जीवनचक्र के लिए उत्पादकों की जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  • पारदर्शिता और विश्वास: उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच तथा स्थानीय समुदायों के बीच अविश्वास की कमी को वास्तविक समय और ठोस जानकारी के माध्यम से निष्कर्षण प्रक्रियाओं और खनिज उत्पत्ति के बारे में जानकारी का खुलासा करके दूर किया जाना चाहिए।
  • मूल्यांकन का नियमित अद्यतन: बदलते घरेलू और वैश्विक परिदृश्यों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए भारत के लिए महत्त्वपूर्ण खनिजों के मूल्यांकन को प्रत्येक तीन वर्ष में अद्यतन करने की आवश्यकता है।
  • राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज रणनीति: इस अध्ययन में पहचाने गए खनिजों पर आधारित भारत के लिए एक राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण  खनिज रणनीति, आपूर्ति जोखिमों, घरेलू नीति व्यवस्थाओं और स्थिरता में प्राथमिकता संबंधी चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकती है।

दुर्लभ मृदा तत्व

  • दुर्लभ मृदा (RE) कई उच्च तकनीक उपकरणों का एक अनिवार्य हिस्सा हैं और इसमें 17 तत्त्व शामिल हैं, जिन्हें हल्के RE तत्त्व (LREE) और भारी RE तत्त्व (HREE) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें शामिल हैं,
    • 15 लैंथेनाइड्स: आवर्त सारणी में परमाणु क्रमांक 57 (लैंथेनम) से परमाणु क्रमांक 71 तक
    • स्कैंडियम (परमाणु क्रमांक 21)
    • यिट्रियम (39)।
  • अनुप्रयोग: कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, सेलुलर टेलिफोन, फ्लैट स्क्रीन मॉनिटर और टेलिविजन, तथा इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन। 
  • उपलब्धता: भारत में विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा दुर्लभ मृदा तत्त्वों का भंडार है।
    • भारत में उपलब्ध LREE: लैंथेनम, सेरियम, नियोडिमियम, प्रेजोडिमियम और सैमेरियम, आदि।
    • भारत में HREE उपलब्ध नहीं हैं: डिस्प्रोसियम, टर्बियम और यूरोपियम भारतीय भंडारों में निष्कर्षण योग्य मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं।

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