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मॉस्किटोफिश (Mosquitofish)

Samsul Ansari January 23, 2024 05:11 173 0

संदर्भ 

आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पंजाब में, विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने मच्छरों के खतरे से निपटने के लिए जल निकायों में ‘मॉस्किटोफिश’ (Mosquitofish) छोड़ी है।

संबंधित तथ्य

  • जलवायु परिवर्तन के कारण मच्छर पहले से कहीं अधिक तेजी से बीमारियाँ फैला रहे हैं। 
    • जलवायु गर्म और आर्द्र होती जा रही है, जिससे मच्छरों के पनपने के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ बन रही हैं।
  • प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में 500 मिलियन से अधिक लोग मच्छरों के काटने से बीमार पड़ते हैं।
    • अकेले भारत में प्रत्येक वर्ष 40 मिलियन लोग बीमार पड़ते हैं।

मॉस्किटोफिश

  • मॉस्किटोफिश मीठे पानी की मछली है।
  • यह कई अन्य मीठे पानी की मछलियों की तुलना में छोटी है।
  • मॉस्किटोफिश की दो प्रजातियाँ गंबूसिया एफिनिस (Gambusia affinis) और गंबूसिया होलब्रूकी (Gambusia holbrooki) हैं।

  • मॉस्किटोफिश की प्रजातियाँ मूल रूप से अमेरिका की हैं, जो अब वैश्विक रूप से पाई जाती हैं।
  • इसका नाम मॉस्किटोफिश रखा गया है क्योंकि यह मच्छरों के लार्वा को खाती है।
  • मच्छरों के जैविक नियंत्रण के लिए इस मछली का उपयोग किसी भी अन्य मछली की तुलना में सबसे अधिक किया गया है।

पारिस्थितिकी तंत्र पर मॉस्किटोफिश का प्रभाव

  • मॉस्किटोफिश को अत्यधिक हानिकारक आक्रामक प्रजाति के रूप में पहचाना जाता है।
    • इसका कारण उनकी आक्रामक खान-पान संबंधी आदतें हैं।
      • ये भोजन संबंधी आवश्यकताओं के कारण स्थानीय खाद्य जाल को बाधित करती है, जिससे देशी मछलियाँ, उभयचर और अन्य जलीय समुदाय विलुप्त हो जाते हैं।
  • उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया में, मॉस्किटोफिश के उपयोग के कारण ‘रेड फिन्ड ब्लू आई’ (Red-finned Blue Eye) और स्थानिक मछली प्रजातियाँ विलुप्त हो गईं।
    • न्यूजीलैंड में एक अध्ययन से पता चला है कि मॉस्किटोफिश स्थानीय जलीय जीवन के लिए एक गंभीर खतरा है।
    • भारत में, रिपोर्टों से पता चलता है कि मॉस्किटोफिश के आगमन के बाद देशी माइक्रोहिला टैडपोल (Microhyla tadpoles ) की आबादी में गिरावट आई है।
  • वर्ष 1982 में WHO ने मच्छर नियंत्रण एजेंट (Mosquito Control Agent) के रूप में गंबूसिया के प्रयोग को बंद कर दिया है।

मॉस्किटोफिश पर नियंत्रण

  • मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र में मॉस्किटोफिश के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूत उपाय किए जाने चाहिए।
  • NCVBDC को मच्छरों के प्रबंधन के लिए गंबूसिया और पोइसीलिया (Gambusia and Poecilia) (गप्पी-संयुक्त रूप) मछलियों के उपयोग की सिफारिश को हटा देना चाहिए।
  • मच्छरों पर नियंत्रण के लिए गंबूसिया (Gambusia) का विकल्प ढूँढने की जरूरत है।
  • प्रत्येक बेसिन में देशी शिकारियों की पहचान करने के लिए विशिष्ट नदी घाटियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मच्छर जीव विज्ञानी, कीट विज्ञानी, आक्रमण पारिस्थितिकी विज्ञानी और मछली वर्गीकरणविदों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना भी आवश्यक है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद

  • आईसीएमआर की भूमिका भारत के लिए मच्छर जनित बीमारियों को नियंत्रित करने और रणनीति विकसित करने में महत्त्वपूर्ण है।

भारत में मॉस्किटोफिश

  • मॉस्किटोफिश पहली बार वर्ष 1928 में अंग्रेजों द्वारा भारत लाई गई थी। बाद में, विभिन्न सरकारी और निजी संगठनों ने मलेरिया नियंत्रण उपाय के रूप में इस पद्धति का उपयोग करना शुरू कर दिया।
  • मॉस्किटोफिश की एक प्रजाति गंबूसिया भारत में प्रसिद्ध है।
  • मॉस्किटोफिश का उपयोग करने की रणनीति लाभदायक उद्देश्य से बनाई गई थी, लेकिन इसका विपरीत प्रभाव हुआ और इससे गंभीर पारिस्थितिक और पर्यावरणीय समस्याएँ पैदा हुईं।

मच्छर जनित रोग

  • मच्छर जनित रोग वे रोग हैं, जो संक्रमित मच्छर के काटने से फैलते हैं। 
    • मच्छरों द्वारा लोगों में फैलने वाली बीमारियों में जीका वायरस, वेस्ट नाइल वायरस, चिकनगुनिया वायरस, डेंगू और मलेरिया शामिल हैं।

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