हाल ही में इंडोनेशिया के निर्जन एकांत द्वीप ‘हल्माहेरा’ पर ‘माउंट इबू’ (Mount Ibu) नामक ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ।
संबंधित तथ्य
‘माउंट इबू’ नामक ज्वालामुखी में विस्फोट इंडोनेशिया में विभिन्न ज्वालामुखियों के विस्फोटों की एक शृंखला के बाद हुआ है।
इंडोनेशिया प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित है और इसमें 127 सक्रिय ज्वालामुखी हैं।
रिंग ऑफ फायर
‘रिंग ऑफ फायर’ मूल रूप से सैकड़ों ज्वालामुखियों और भूकंप-स्थलों की एक शृंखला है, जो प्रशांत महासागर के समानांतर स्थित है।
यह आकार में अर्द्धवृत्ताकार या घोड़े की नाल के समान है और लगभग 40,250 किलोमीटर तक विस्तृत है।
‘रिंग ऑफ फायर’ यूरेशियाई, उत्तरी अमेरिकी, जुआन डे फूका, कोकोज, कैरेबियन, नजका, अंटार्कटिक, भारतीय, ऑस्ट्रेलियाई, फिलीपीन और अन्य छोटी प्लेटों सहित कई विवर्तनिकी प्लेटों के मिलन बिंदुओं से संबंधित है, ये सभी छोटी प्लेट बड़ी प्रशांत प्लेट को घेरती हैं।
संबंधित देश: यह संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया, मैक्सिको, जापान, कनाडा, ग्वाटेमाला, रूस, चिली, पेरू और फिलीपींस सहित 15 और देशों से होकर गुजरती है।
माउंट इबू (Mt. Ibu)
माउंट इबू इंडोनेशिया के हल्माहेरा द्वीप के उत्तर-पश्चिम तट पर स्थित एक ‘ज्वालामुखी’ है।
इसे एक सक्रिय स्ट्रैटोवॉल्कैनो के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
इसे एक मिश्रित ज्वालामुखी के रूप में भी जाना जाता है, एक स्ट्रैटोवॉल्कैनो में विशिष्ट विशेषताएँ होती हैं, जो इसे अन्य प्रकार के ज्वालामुखियों से अलग करती हैं।
इसमें प्रथम विस्फोट वर्ष 1911 में दर्ज किया गया था।
दिसंबर 1998 में इसमें पुनः विस्फोट हुआ, जिससे एक ‘लावा डॉम’ का निर्माण हुआ।
स्ट्रैटोवॉल्कैनो की विशेषताएँ
शंक्वाकार आकार: स्ट्रैटोवॉल्कैनो एक शंक्वाकार आकार प्रदर्शित करते हैं, जो समय के साथ क्रमिक विस्फोटों के दौरान जमा ज्वालामुखीय सामग्री की परतों से बनता है।
परिवर्तनीय ढलान: ये ज्वालामुखी आमतौर पर आधार पर मंद ढलान युक्त होते हैं, लेकिन शिखर के पास इनका ढलान तीव्र होता है, जिसके परिणामस्वरूप ऊँची पर्वत चोटियों का निर्माण होता है।
संरचना: ये लावा, राख और टेफ्रा की वैकल्पिक परतों से निर्मित होते हैं, जो उनके स्तरीकृत स्वरूप में योगदान करते हैं।
स्थान: स्ट्रैटोवोल्कैनो प्रायः ‘सबडक्शन जोन’ के ऊपर स्थित होते हैं, जहाँ एक टेक्टॉनिक प्लेट दूसरे के नीचे दब जाती है। वे आमतौर पर उच्च ज्वालामुखीय गतिविधियों वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जैसे प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’, जो प्रशांत महासागर के अधिकांश हिस्से को कवर करती है।
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