100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

मल्टी ओमिक्स

Lokesh Pal June 27, 2024 05:59 139 0

संदर्भ 

मल्टी-ओमिक्स (Multi-omics) भारत में नैदानिक ​​विज्ञान के क्षेत्र में एक उभरती हुई तकनीक है।

मल्टी ओमिक्स के बारे में

  • मल्टीओमिक्स (मल्टीपल ओमिक्स) जैविक विज्ञान में एक नया दृष्टिकोण है, जहाँ विभिन्न ओमिक समूहों के डेटा सेटों को जीव विज्ञान के कई स्तरों पर खोज को बल प्रदान करने के लिए संयोजित किया जाता है।
    • डेटा को संयोजित करके शोधकर्ता सामान्य विकास, कोशिकीय प्रतिक्रिया और रोग में योगदान देने वाले आणविक परिवर्तनों की अधिक व्यापक समझ प्राप्त कर सकते हैं।

  • ओमिक समूह
    • जीनोमिक्स: यह जीव के डीएनए में कोडिड जानकारी की संरचना, कार्य, विकास, मानचित्रण और संपादन पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • ट्रांसक्रिप्टोमिक्स: जीनोम द्वारा उत्पादित आरएनए ट्रांसक्रिप्ट के पूरे सेट का अध्ययन करना।
    • प्रोटिओमिक्स: सेलुलर फंक्शन की बेहतर समझ और चिकित्सीय प्रतिक्रियाओं की भविष्यवाणी के लिए प्रोटीन एक्सप्रेशन का मूल्यांकन करना।
    • एपिजेनोमिक्स: डीएनए परिवर्तनों के अलावा अन्य कारकों के कारण जीन एक्सप्रेशन की गतिविधि में होने वाले वंशानुगत परिवर्तनों की जाँच करना।
    • मेटाबोलोमिक्स: मेटाबोलोम में कोशिका, ऊतक या जीव में विद्यमान सभी मेटाबोलाइट्स शामिल होते हैं, जिनमें छोटे अणु, कार्बोहाइड्रेट, पेप्टाइड्स, लिपिड, न्यूक्लियोसाइड और कैटाबोलिक उत्पाद शामिल हैं।
    • माइक्रोबायोमिक्स: इसमें एक समुदाय के सभी सूक्ष्मजीव शामिल होते हैं। सूक्ष्मजीव मानव त्वचा, म्यूकोसल सतहों और आँत में पाए गए हैं।
      • माइक्रोबायोम का विश्लेषण 16S rRNA जीनों के अनुक्रमण या मेटाजीनोमिक्स परिमाणीकरण द्वारा किया जाता है।
  • ओमिक्स डेटासेट: ये एक विशिष्ट जैविक विशेषता को दर्शाने वाले संग्रहालय हैं, जैसे- किसी कोशिका, ऊतक या जीव के जीन, लिपिड, प्रोटीन, मेटाबोलाइट्स या सूक्ष्मजीव।
    • ओमिक्स डेटासेट के व्यक्तिगत विश्लेषण से अभिलक्षित विशेषता और विशिष्ट जैविक घटना के बीच संबंधों की पहचान की जा सकती है।
  • मल्टी ओमिक्स रणनीति: मल्टीओमिक्स कई ओमिक्स डेटासेट का एकीकृत विश्लेषण है, जिसके माध्यम से शारीरिक और रोग संबंधी प्रक्रियाओं में मौजूद क्रियाविधि, बायोमार्कर, नेटवर्क, मार्ग और अन्य संबंधों की पहचान की जा सकती है।
    • यह क्षेत्र सभी ओमिक्स क्षेत्रों को सम्मिलित करता है और इसका उद्देश्य विभिन्न ओमिक्स प्रयोगों से प्राप्त आँकड़ों के विश्लेषण द्वारा किसी जीव की मूल और परिवर्तित अवस्था को समझना है।
  • उद्देश्य: मल्टी ओमिक्स दृष्टिकोण कई रोगों की विशेषता, निगरानी, ​​पूर्वानुमान और उपचार खोजने के लिए रणनीति समाधान के लिए महत्त्वपूर्ण है।

मल्टी ओमिक्स के प्रति भारत का दृष्टिकोण

  • भारत रोग-विशिष्ट डेटासेट तैयार कर रहा है तथा देश भर में अनेक रोग-विशिष्ट संघ सामने आए हैं, जो व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए डेटासेट तैयार कर रहे हैं, जिनमें तपेदिक से लेकर कैंसर, बच्चों में दुर्लभ आनुवंशिक विकार और यहाँ तक ​​कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध भी शामिल हैं।
  • भारतीय जीन मैप
    • जीनोम इंडिया परियोजना: यह परियोजना एक राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय लोगों के लिए एक संदर्भ जीनोम विकसित करना है, जो कम लागत वाले निदान और अनुसंधान के लिए जीनोम-व्यापी और रोग-विशिष्ट ‘जेनेटिक चिप्स’ को डिजाइन करने में मदद करेगा।
      • जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा 99 जातीय समूहों से 10,000 जीनोमों का अनुक्रमण का कार्य पूर्ण किया गया।
    • मिशन इंडिजेन: वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने भारत में विविध जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले 1,008 व्यक्तियों के संपूर्ण जीनोम को अनुक्रमित किया था।
      • मिशन का उद्देश्य एक पायलट डेटासेट तैयार करना है, जिसके माध्यम से शोधकर्ता आनुवंशिक रोगों की महामारी विज्ञान का विश्लेषण करने में सक्षम होगे और किफायती जाँच दृष्टिकोण विकसित करने, उपचार को अनुकूलित करने और प्रतिकूल घटनाओं को न्यूनतम करने में मदद करने में सक्षम होंगे।
  • AI की भूमिका: कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग करके इन व्यक्तिगत डेटासेट को प्रोटीन (प्रोटिओमिक्स), कोशिकाओं में जीन एक्सप्रेशन (ट्रांसक्रिप्टोमिक्स) और एपिजेनोमिक्स पर अन्य व्यापक डेटासेट के साथ संयोजित कर रोगों से निपटने के लिए ‘मल्टी-ओमिक्स’ दृष्टिकोण विकसित करके अधिक मूल्य प्राप्त  किया जा रहा है।
    • उपयोग: एआई और एमएल आधारित दृष्टिकोणों का उपयोग ‘इन-हाउस बायोइनफॉरमेटिक’ पाइपलाइनों के साथ-साथ रोग उत्पन्न करने वाले वेरिएंट की पहचान करने के लिए अनुक्रमण डेटा के विश्लेषण के लिए वाणिज्यिक उपकरणों के हिस्से के रूप में किया जाता है। 
    • विश्लेषण में आसानी: एआई और मशीन लर्निंग किसी व्यक्ति के कैंसर के विकास के जोखिम की भविष्यवाणी करने, कुछ कैंसर का शीघ्र पता लगाने के लिए नैदानिक ​​उपकरण विकसित करने, उन्हें वर्गीकृत करने और उपचार रणनीति विकसित करने में मदद कर सकते हैं।

भारत की रोग-विशिष्ट पहल

  • क्षय रोग: भारतीय क्षय रोग जीनोमिक निगरानी संघ (InTGS) में आठ राज्यों को कवर करने वाली 10 साइटें शामिल हैं, जिसका उद्देश्य सक्रिय रोगियों से लगभग 32,000 क्षय रोग नैदानिक ​​स्ट्रेन को अनुक्रमित करना और भारत में नैदानिक ​​माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस स्ट्रेनों का एक केंद्रीकृत जैविक भंडार विकसित करना है।
    • लक्ष्य: इसका उद्देश्य पहचाने गए उत्परिवर्तनों को मान्य करना है, ताकि दवा प्रतिरोध का निर्धारण करने के लिए अनुक्रम आधारित विधि विकसित की जा सके तथा कार्यशील समाधान विकसित करने के लिए महामारी विज्ञान संबंधी आंँकड़ों को संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण के परिणामों के साथ संयोजित किया जा सके।
  • दुर्लभ आनुवंशिक विकार: भारत द्वारा बाल चिकित्सा दुर्लभ आनुवंशिक विकारों (PRaGeD) के लिए एक अखिल-देशीय मिशन भी शुरू किया गया है, जो जागरूकता उत्पन्न करने, आनुवंशिक निदान, नए जीन या वेरिएंट की खोज करने और विशेषता बताने, परामर्श प्रदान करने तथा दुर्लभ आनुवंशिक रोगों के लिए नई उपचार विकसित करने की योजना बना रहा है।
    • डेटा स्रोत: मिशन अपने इन-हाउस बायोइनफॉरमेटिक पाइपलाइनों में इंडिजेन डेटा को शामिल करेगा और प्रोटीन (एक्सोम) के लिए कोड करने वाले जीनोम के हिस्सों का विश्लेषण करने के लिए इसका उपयोग करेगा।
  • कैंसर: भारतीय कैंसर जीनोम कंसोर्टियम (आईसीजीसी-इंडिया) बड़े अंतरराष्ट्रीय कैंसर जीनोम कंसोर्टियम (ICGC) का एक हिस्सा है और जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित है, जो भारतीय रोगियों में विभिन्न प्रकार के कैंसर में जीनोमिक असामान्यताओं को चिह्नित करने और जनसंख्या-विशिष्ट आनुवंशिक विविधताओं की पहचान करने से संबंधित योजना बनाता है, जो कैंसर के जोखिम और उपचार प्रतिक्रिया से संबंधित होती हैं।
    • भारतीय कैंसर जीनोम एटलस परियोजना: यह एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक-निजी-परोपकारी पहल है, जो भारत में प्रचलित विभिन्न कैंसर के प्रकारों में जीनोमिक परिवर्तनों की एक व्यापक सूची को तैयार करेगी।
      • ये परियोजनाएँ नए बायोमार्कर्स, संभावित नए उपचार लक्ष्यों और व्यक्तिगत उपचार रणनीतियों की खोज में सहायक हो सकती हैं।
  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध: जीनोम अनुक्रमण सूक्ष्मजीवों के प्रतिरोध प्रोफाइल के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिससे चिकित्सकों को एंटीबायोटिक दवाओं का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने में मदद मिलती है।

उभरती प्रौद्योगिकियाँ

  • उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ नई, भविष्योन्मुखी और नवीन प्रौद्योगिकियाँ हैं, जिन्हें विकसित या प्रस्तुत किया जा रहा है, लेकिन अभी उनकी क्षमता पूर्ण रूप से स्थापित और साकार नहीं हुई है।
  • विशेषताएँ: मौलिक नवीनता, तीव्र विकास, सुसंगति, प्रमुख प्रभाव, और अनिश्चितता और अस्पष्टता।
  • उदाहरण:
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता,  ब्लॉकचेन, ऑग्मेंटेड रियलिटी और वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, जीन एडिटिंग आदि।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.