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बहुआयामी गरीबी में कमी आई

Lokesh Pal August 10, 2024 03:41 183 0

संदर्भ

हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी एक चर्चा पत्र ‘’वर्ष 2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी’’ में पाया गया कि बहुआयामी गरीबी वर्ष 2013-14 में 29.17 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2022-23 में 11.28 प्रतिशत हो गई। 

  • इसका अर्थ यह है कि 9 वर्ष की अवधि में 248.2 मिलियन लोग गरीबी से बाहर आए हैं। 

बहुआयामी गरीबी माप (Multidimensional Poverty Measure- MPM) के बारे में 

  • गरीबी: विश्व बैंक के अनुसार, गरीबी का मतलब है खुशहाली में कमी और इसके कई आयाम शामिल हैं। इसमें कम आय और गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए जरूरी बुनियादी आवश्यकताएँ एवं सेवाएँ हासिल करने में असमर्थता सम्मिलित है। 
    • गरीबी में स्वास्थ्य और शिक्षा का निम्न स्तर, स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुँच न होना, अपर्याप्त शारीरिक सुरक्षा, प्रतिनिधित्व न होना तथा अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपर्याप्त क्षमता और अवसर भी शामिल हैं। 
  • बहुआयामी गरीबी माप (MPM): यह मौद्रिक अभावों (जो विश्व बैंक की वैश्विक गरीबी की निगरानी का केंद्र बिंदु बना हुआ है) से परे गरीबी को समझने का प्रयास करता है, जिसमें 2.15 डॉलर की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा पर मौद्रिक हेडकाउंट अनुपात के साथ-साथ शिक्षा और बुनियादी ढाँचे तक पहुँच शामिल है। 
    • अल्किरे फोस्टर (Alkire Foster- AF) पद्धति: वर्ष 2010 में, सबीना अल्किरे (Sabina Alkire) और जेम्स फोस्टर (James Foster) द्वारा विकसित बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index- MPI) को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP) ने अपनी मानव विकास रिपोर्ट में अपनाया था। यह स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में व्याप्त अतिव्यापी अभावों को दर्शाता है। (UNDP, 2010) 
  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index): एक सूचकांक जो किसी देश में तीन आयामों (मौद्रिक गरीबी, शिक्षा और बुनियादी ढांचा सेवाओं) के आधार पर वंचित परिवारों के प्रतिशत को मापता है, ताकि गरीबी की पूरी तस्वीर सामने आ सके। 

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (National Multidimensional Poverty Index)

  • परिचय: नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP) और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (Oxford Poverty and Human Development Initiative- OPHI) के सहयोग से राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index- MPI) विकसित किया है, जो गरीबी पर बहुआयामी परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करता है। 
  • यह आय गरीबी माप का पूरक है क्योंकि यह सीधे तौर पर अभाव को मापता है और उसकी तुलना करता है।  
  • विभिन्न स्तर: राष्ट्रीय MPI एक मजबूत और सूक्ष्म सार्वजनिक नीति उपकरण है, जिसका उपयोग भारत में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर बहुआयामी गरीबी की निगरानी के लिए किया जा सकता है। 
  • सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals- SDG): भारत का राष्ट्रीय MPI सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) के लक्ष्य 1.2 की प्रगति को मापने की दिशा में एक योगदान है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक ‘राष्ट्रीय परिभाषाओं के अनुसार सभी आयामों में गरीबी में रहने वाले सभी आयु वर्ग के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के अनुपात को कम-से-कम आधा करना’ है। 
  • कार्यप्रणाली: डुअल कट-ऑफ एल्किरे फोस्टर (Alkire Foster- AF) कार्यप्रणाली (जिसका उपयोग वैश्विक MPI रिपोर्ट में किया गया था) को राष्ट्रीय संदर्भ के लिए उपयुक्त माना गया। 

डुअल कटऑफ

  • इसमें दो कटऑफ शामिल हैं- एक गरीबी कटऑफ (यह परिभाषित करना कि प्रत्येक आयाम में गरीब होने का क्या अर्थ है) और एक आयामी कटऑफ (यह निर्धारित करना कि किसी व्यक्ति को बहुआयामी रूप से गरीब माने जाने के लिए कितने आयामों में वंचित होना चाहिए)।  

  • MPI तीन आयामों (स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर) में लोगों के जीवन के व्यापक गुणात्मक पहलुओं को दर्शाता है। 
  • 2 नए संकेतक: राष्ट्रीय MPI काफी हद तक वैश्विक पद्धति का अनुसरण करता है। भारत के राष्ट्रीय MPI ने वैश्विक MPI से 10 संकेतक बरकरार रखे हैं और 2 नए संकेतक जोड़े हैं, अर्थात् मातृ स्वास्थ्य (स्वास्थ्य के आयाम में) और बैंक खाता (जीवन स्तर के आयाम में)। 

MPI की गणना

  • प्रत्येक परिवार के लिए वंचना प्रोफाइल का निर्माण (Building a deprivation profile for each household): प्रत्येक परिवार को 12 संकेतकों में से हर एक में उसके वंचना के आधार पर एक वंचना स्कोर दिया जाता है।  

  • गरीबों की पहचान: यदि किसी परिवार का अभाव स्कोर 33% से अधिक है, तो वे बहुआयामी रूप से गरीब हैं। 
  • MPI के सूचकांक
    • हेडकाउंट अनुपात (H): कितने लोग गरीब हैं? 
      • जनसंख्या में बहुआयामी गरीबों का अनुपात, जो बहुआयामी गरीब व्यक्तियों की संख्या को कुल जनसंख्या से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है। 
    • गरीबी की तीव्रता (A): गरीब कितने गरीब हैं? 
      • वंचना (जिसे बहुआयामी रूप से गरीब व्यक्तियों द्वारा अनुभव किया जाता है) का औसत अनुपात। गरीबी की तीव्रता की गणना करने के लिए, सभी गरीब लोगों के भारित वंचना स्कोर को जोड़ा जाता है और फिर उसे कुल गरीब लोगों की संख्या से विभाजित किया जाता है।
  • सूत्र: MPI की गणना हेडकाउंट अनुपात (H) और गरीबी की तीव्रता (A) को गुणा करके की जाती है-

MPI = हेडकाउंट अनुपात (H) x गरीबी की तीव्रता (A)

भारत ने बहुआयामी गरीबी को इतनी तेजी से कैसे कम किया?

  • कमी के क्षेत्र: भारत में गरीबी में इतनी तेजी से कमी स्वास्थ्य और शिक्षा के संकेतकों के बजाय जीवन स्तर के सात उप-संकेतकों (खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, आवास, बिजली, संपत्ति और बैंक खाते) के आँकड़ों पर आधारित है। 
    • उदाहरण के लिए, नीति आयोग की रिपोर्ट ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: 2023 की प्रगति की समीक्षा’ से पता चलता है कि वर्ष 2015-16 में लगभग 58 प्रतिशत भारतीय स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन से वंचित थे, लेकिन वर्ष 2019-2021 तक यह केवल 44 प्रतिशत रह गया। 
    • इसी प्रकार, पर्याप्त स्वच्छता सुविधाओं से वंचित व्यक्तियों का प्रतिशत 51.88 प्रतिशत से घटकर 30.13 प्रतिशत हो गया, बिजली से वंचित लोगों का प्रतिशत 12 प्रतिशत से घटकर 3.27 प्रतिशत हो गया, तथा बैंकिंग सुविधाओं से वंचित लोगों का प्रतिशत 9.66 प्रतिशत से घटकर 3.69 प्रतिशत हो गया।

गरीबी उन्मूलन के लिए सरकारी पहल

  • स्वास्थ्य: पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य संबंधी अभावों को कम करने में योगदान दिया है। 
  • स्वच्छता: स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission- SBM) और जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission- JJM) जैसी पहलों से देश भर में स्वच्छता में सुधार हुआ है। 
    • इन प्रयासों का प्रभाव स्वच्छता संबंधी अभाव में 21.8 प्रतिशत अंकों की तीव्र वृद्धि से स्पष्ट है। 
  • खाना पकाने का ईंधन: प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana- PMUY) के माध्यम से सब्सिडी वाले खाना पकाने के ईंधन के प्रावधान ने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है, जिससे खाना पकाने के ईंधन की कमी में 14.6 प्रतिशत अंकों का सुधार हुआ है। 
  • अन्य पहल: सौभाग्य की तरह, प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana- PMAY), प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana- PMJDY) और समग्र शिक्षा ने भी देश में बहुआयामी गरीबी को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। 
    • प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana- PMAY): वर्ष 2022 तक सभी के लिए किफायती आवास उपलब्ध कराना। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, निम्न आय वर्ग और मध्यम आय वर्ग के बीच आवास की कमी को दूर करना है। 
    • प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana- PMJDY): बैंकिंग सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना, जिसमें हर घर में कम-से-कम एक बुनियादी बैंकिंग खाता हो। इस योजना का उद्देश्य बचत खाते, ऋण, बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक पहुँच प्रदान करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना भी है। 
    • ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (Rural Employment Generation Programme- REGP): खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा कार्यान्वित; छोटे उद्योग स्थापित करने के लिए बैंक ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्राप्त की जा सकती है। 
    • प्रधानमंत्री रोजगार योजना (Prime Minister Rozgar Yojana- PMRY): ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के निम्न आय वाले परिवारों के शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार उत्पन्न करने वाले किसी भी प्रकार के उद्यम की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता मिल सकती है। 
    • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act): वयस्क स्वयंसेवक एक वर्ष में न्यूनतम 100 दिन तक अकुशल शारीरिक कार्य कर सकते हैं। 
    • स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (Swarnajayanti Gram Swarozgar Yojana- SGSY): अब इसे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihoods Mission- NRLM) के रूप में पुनर्गठित किया गया है। 
      • सरकार स्वयं सहायता समूहों को आंशिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसके बाद समूह यह निर्णय लेता है कि किसे स्वरोजगार गतिविधियों के लिए ऋण दिया जाना है।

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