हाल ही में केरल राज्य में गलसुआ (Mumps) के मामलों में वृद्धि देखी गई है।
संबंधित तथ्य
वायरल जनित यह संक्रमण केरल राज्य में चिंता का कारण बन गया है, विशेषकर मलप्पुरम जिले और उत्तरी केरल के अन्य हिस्सों में।
इस वर्ष अब तक लगभग 11,467 मामले सामने आ चुके हैं |
गलसुआ रोग क्या है?
यह रोग पैरामाइक्सोवायरस (Paramyxovirus) के कारण होता है ।
यह संक्रमित व्यक्ति के श्वसन तंत्र के निकट संपर्क में आने अथवा छींक के माध्यम से प्रसारित होता है ।
रोग और इसकी जटिलताएँ: अधिकतर मामलों में, गलसुआ रोग स्व-नियंत्रित होता है, परंतु यह निम्नलिखित जटिलताओं को जन्म दे सकता है:
मस्तिष्क की सूजन
बहरापन
वयस्क पुरुषों में वृषण ( Testis ) की पीड़ादायी सूजन
लक्षण: इसके लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह बाद दिखाई देते हैं।
सबसे विशिष्ट लक्षण लार ग्रंथियों की सूजन है।
आयु समूह: सामान्यतः गलसुआ छोटे बच्चों को प्रभावित करता है, परंतु यह किशोरों और वयस्कों को भी संक्रमित कर सकता है।
इस प्रकोप को नियंत्रित करने में प्रमुख चुनौतियाँ
वैक्सीन को लेकर झिझक: केरल, खासकर मलप्पुरम में कुछ लोग इसका टीका लगवाने में झिझकते हैं।
यह गलत सूचना , भय, भ्रम या सांस्कृतिक मान्यताओं के कारण होता है।
उच्च संक्रमण: गलसुआ का संक्रमण स्कूलों और घरों जैसी जगहों पर संक्रमित बूँदों के माध्यम से तेजी से फैलता है। अतः इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कड़े उपायों की आवश्यकता है।
साइलेंट कैरियर: कुछ संक्रमित लोगों में इस रोग के कोई लक्षण नहीं दिखते, जिससे इसके प्रसार को रोकना मुश्किल हो जाता है।
संसाधन आधारित चुनौतियाँ: केरल की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर इस रोग में अचानक वृद्धि से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इसके रोकथाम के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों जैसे- अस्पताल में बिस्तर, चिकित्सा आपूर्ति और प्रशिक्षित कर्मियों की आवश्यकता है।
सार्वभौमिक टीकाकरण का अभाव: गलसुआ-खसरा-रूबेला (Mumps-Measles-Rubella) टीका सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है। परिणामस्वरूप, कई बच्चों को गलसुआ के विरुद्ध पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिल पाती है। वैक्सीन कवरेज और पहुँच का विस्तार करने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है।
Latest Comments