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NAFSCOB हीरक जयंती समारोह

Lokesh Pal November 29, 2024 04:37 77 0

संदर्भ

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ (NAFSCOB) को प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को अधिक व्यवहार्य, पारदर्शी और आधुनिक बनाने को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है।

NAFSCOB हीरक जयंती समारोह की मुख्य विशेषताएंँ

  • सहयोग की भावना को पुनर्जीवित करना: राज्य और जिला स्तर की संस्थाओं में सहकारिता की भावना को मजबूत करने की आवश्यकता है तथा इसके “कमजोर/समाप्त होने” (Dilution) होने से संबंधित चिंताओं का समाधान करना है।
    • वास्तविक सहयोग को सामूहिक समृद्धि को बढ़ावा देने और हितधारकों के बीच समान लाभ-साझाकरण के रूप में परिभाषित किया गया।
  • पैक्स (PACS) सुधारों पर ध्यान: इस बात पर प्रकाश डाला गया कि 1.05 लाख पैक्स में से केवल 65,000 ही वर्तमान में कार्यात्मक हैं तथा उनमें सुधार की आवश्यकता है।
  • तकनीकी उन्नयन और युवा सहभागिता: सहकारी बैंकिंग में तकनीकी उन्नति की आवश्यकता पर बल दिया गया, साथ ही इस क्षेत्र को आधुनिक बनाने और सक्रिय बनाने के लिए युवाओं की सहभागिता के लिए अवसर निर्मित करने के प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए गए।
  • सहकारी बैंकिंग का विस्तार: आने वाले वर्षों में जिला सहकारी बैंकों की संख्या को मौजूदा 300 से 50% तक बढ़ाना, स्थानीय क्षेत्रों में कम लागत वाली जमाराशियों पर ध्यान केंद्रित करके उच्च जमा लक्ष्य और लाभ मार्जिन को बढ़ाना।
  • भावी दृष्टिकोण: सहकारिता मंत्री ने चुनौतियों का समाधान करने तथा भारत के आर्थिक विकास में ग्रामीण बैंकिंग क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने के लिए नवीन दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। 
  • सफल मॉडलों से सीख: उन्होंने सुधार के लिए मानक के रूप में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक तथा गुजरात राज्य सहकारी बैंक जैसी संस्थाओं की सफलता का अध्ययन करने की सिफारिश की।

प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के बारे में 

  • संरचना और भूमिका: पैक्स (PACS) ग्राम-स्तरीय सहकारी ऋण समितियाँ हैं, जो त्रि-स्तरीय सहकारी ऋण संरचना में सतही स्तर की कड़ी के रूप में कार्य करती हैं, राज्य स्तर पर जिसका नेतृत्व राज्य सहकारी बैंक (SCBs) करते हैं।
    • वर्ष 1904 में प्रथम PACS की स्थापना हुई थी।

  • विनियमन और प्रशासन: PACS सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं और संबंधित राज्य सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (RCS) द्वारा प्रशासित हैं।
    • SCBs और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCBs) भी राज्य सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित हैं।
    • PACS बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 द्वारा शासित नहीं हैं, इसलिए ये RBI के नियामक दायरे के अंतर्गत शामिल नहीं हैं।
  • पुनर्वित्तपोषण: PACS को DCCB और SCB के माध्यम से पुनर्वित्तपोषण प्राप्त होता है, जिसे राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) द्वारा सुगम बनाया जाता है।
  • कार्य: PACS ग्रामीण उधारकर्ताओं को अल्पकालिक ऋण ऋण प्रदान करते हैं और पुनर्भुगतान के संग्रह का प्रबंधन करते हैं।
    • वे सदस्य किसानों को बीज, उर्वरक और कीटनाशकों के वितरण जैसी आगत सुविधाएँ भी प्रदान करते हैं।
  • कृषि ऋण में योगदान: भारत में सभी संस्थाओं द्वारा वितरित किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) ऋणों में पैक्स का योगदान 41% है।
    • इनमें से, वर्ष 2022 तक PACS के माध्यम से 95% KCC ऋण लघु और सीमांत किसानों को आवंटित किए जाएँगे।
  • अन्य ऋण प्रणालियों के साथ तुलना: यद्यपि भारत में कृषि ऋण में वाणिज्यिक बैंकों का योगदान अधिक (73%) है, लेकिन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) और सहकारी बैंकों द्वारा लघु और सीमांत कृषकों को उच्च ऋण वितरित किया है।

राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक संघ लिमिटेड (NAFSCOB) के बारे में

  •  19 मई, 1964 को NAFSCOB की स्थापना सामान्यतः राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों के परिचालन को सुविधाजनक बनाने तथा विशेष रूप से सहकारी ऋण के विकास, योजना, अनुसंधान और विकास (PRD) के उद्देश्य से की गई थी।
  • उद्देश्य: भारत में सहकारी बैंकिंग आंदोलन को बढ़ावा देना और मजबूत करना। 
  • सदस्यता: इसमें विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के राज्य सहकारी बैंक (SCBs) शामिल हैं।

NAFSCOB की भूमिका

  • SCBs को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है। 
  • SCBs के बीच समन्वय और सहयोग को सुगम बनाता है। 
  • राष्ट्रीय स्तर पर  SCBs के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। 
  •  SCBs और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)  के मध्य सेतु के रूप में कार्य करता है।

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