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नागी एवं नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर स्थल के रूप में मान्यता

Lokesh Pal June 10, 2024 02:58 391 0

संदर्भ

हाल ही में बिहार के 2 मानव निर्मित आर्द्रभूमि, नागी एवं नकटी पक्षी अभयारण्य (Nagi & Nakti Bird Sanctuaries) को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई है।

संबंधित तथ्य

  • विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून, 2024) पर इन स्थलों की घोषणा की गई।
  • इस समावेशन के साथ भारत में अब 82 रामसर आर्द्रभूमि स्थल हो गए हैं।
    • वर्तमान में, ऐसे स्थलों की सबसे अधिक संख्या यूनाइटेड किंगडम (175) में है, इसके बाद मैक्सिको (144) का स्थान है।
  • बेगूसराय जिले में कांवर झील को वर्ष 2020 में बिहार का पहला रामसर स्थल नामित किया गया था।
  • बिहार के अन्य संभावित स्थल जिन्हें रामसर स्थल घोषित किया जा सकता है: दरभंगा में कुशेश्वर अस्थान (Kusheshwar Asthan), वैशाली में ताल बरैला (Tal Baraila), कटिहार में गोगाबील (Gogabeel)।

नागी एवं नकटी पक्षी अभयारण्य 

  • इस आर्द्रभूमि को वर्ष 1984 में पक्षी अभयारण्य के रूप में नामित किया गया था।
  • स्थान: बिहार के जमुई जिले के झाझा वन रेंज में आर्द्रभूमि को संरक्षित क्षेत्र माना जाता है।

  • आकार: ये क्रमशः 791 हेक्टेयर (नागी) एवं 333 हेक्टेयर (नकटी) में फैले हुए हैं। 
  • मानव निर्मित: नागी एवं नकटी पक्षी अभयारण्य मानव निर्मित आर्द्रभूमि हैं, जिन्हें मुख्य रूप से नकटी बाँध के निर्माण के माध्यम से सिंचाई उद्देश्यों के लिए विकसित किया गया था।
  • यह अभयारण्य विश्व स्तर पर लुप्तप्राय प्रजातियों का समर्थन करता है, जिसमें लुप्तप्राय भारतीय हाथी (Elephas Maximus Indicus) एवं सुभेद्य देशज कैटफिश (Wallago Attu) शामिल हैं। 
  • जलग्रहण क्षेत्र: यह पहाड़ियों से घिरा एक मुख्यतः शुष्क पर्णपाती जंगल है। 
  • प्रवासी पक्षियों के लिए शीतकालीन आवास: सर्दियों के महीनों के दौरान 20,000 से अधिक पक्षी यहाँ प्रवास हेतु आते हैं, जिनमें सिंधु-गंगा के मैदान पर रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड (Netta Rufina) का सबसे बड़ा समूह भी शामिल है।
    • एशियाटिक वॉटरबर्ड सेंसस (AWC) 2023 के अनुसार: नकटी पक्षी अभयारण्य एक आर्द्रभूमि है, जहाँ 7,844 पक्षियों की संख्या के साथ सबसे अधिक पक्षी पाए जाते हैं, इसके बाद 6,938 पक्षियों के साथ नागी पक्षी अभयारण्य है। 

रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के बारे में

  • स्थापना: रामसर साइट रामसर कन्वेंशन (जिसे ‘आर्द्रभूमियों पर सम्मेलन’ के रूप में भी जाना जाता है) के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की एक आर्द्रभूमि है, जो वर्ष 1971 में यूनेस्को (UNESCO) द्वारा स्थापित एक अंतर-सरकारी पर्यावरण संधि है एवं इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है।
  • पहचान: रामसर मान्यता उन आर्द्रभूमियों की पहचान है, जो अंतरराष्ट्रीय महत्त्व के हैं, विशेषकर यदि वे जलीय पक्षियों (पक्षियों की लगभग 180 प्रजातियाँ) को आवास प्रदान करते हैं।
  • भारत में पहला रामसर स्थल: उड़ीसा में चिल्का झील एवं राजस्थान में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान।
  • भारत में सबसे बड़ा रामसर स्थल: पश्चिम बंगाल में सुंदरवन 

आर्द्रभूमि (Wetlands) के बारे में

  •  एक संतृप्त पारिस्थितिकी तंत्र: एक आर्द्रभूमि वह है, जहाँ भूमि मौसमी या स्थायी रूप से जल (लवणीय या ताजा) से आच्छादित रहती है। यह अपने स्वयं के विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में कार्य करता है।
  • इसमें शामिल हैं: इनमें मैंग्रोव, दलदल, नदियाँ, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान एवं बाढ़ वाले जंगल, चावल के खेत, प्रवाल चट्टानें, कम ज्वार पर 6 मीटर से अधिक गहरे समुद्री क्षेत्र, साथ ही मानव निर्मित आर्द्रभूमि जैसे अपशिष्ट जल उपचार, तालाब तथा जलाशय शामिल हैं। 
  • योगदान: ये पृथ्वी पर स्थलीय सतह का लगभग 6% भाग ही कवर करते हैं, लेकिन सभी पौधों एवं जानवरों की लगभग 40% प्रजातियाँ आर्द्रभूमि में निवास करती  हैं।

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