हाल ही में दक्षिणी जापान में 7.1 तीव्रता का भूकंप आने के बाद, देश की मौसम विज्ञान एजेंसी ने पहली बार ‘मेगाक्वेक एडवायजरी’ जारी की।
संबंधित तथ्य
चेतावनी में कहा गया है कि जापान के दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत तट के साथ संलग्न ‘सबडक्शन जोन’ ननकाई गर्त पर तेज झटकों और बड़ी सुनामी की संभावना सामान्य से अधिक है।
ऐसा क्षेत्र जहाँ विवर्तनिकी प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं और भारी प्लेट हल्की प्लेट के नीचे खिसक जाती है।
हालाँकि, इसका अर्थ यह नहीं है कि किसी खास अवधि के दौरान कोई बड़ा भूकंप जरूर आएगा।
ननकाई गर्त
ननकाई गर्त, जल के नीचे स्थित एक ‘सबडक्शन जोन’ (लगभग 900 किमी. लंबा) है, जहाँ से टकराती है, जिससे एक प्लेट, दूसरी प्लेट के नीचे पृथ्वी के यूरेशियन प्लेट, फिलिपीन सागरीय प्लेट मेंटल में चली जाती है।
इससे विवर्तनिकी तनाव उत्पन्न होता है, जो एक मेगाक्वेक (8 से अधिक तीव्रता वाला भूकंप) का कारण बन सकता है।
नेचर जर्नल में प्रकाशित 2023 के अध्ययन, ननकाई मेगाथ्रस्ट भूकंपों की लगातार घटना की उच्च संभावना’ के अनुसार, गर्त ने लगभग प्रत्येक 100 से 150 वर्षों में बड़े भूकंप उत्पन्न किए हैं।
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, हाल ही में 7.1 तीव्रता का भूकंपननकाई गर्त पर या उसके आस-पास आया था। नतीजतन, विशेषज्ञों को चिंता है कि गर्त के साथ अगला झटका विनाशकारी हो सकता है।
ननकाई गर्त में अगला महाभूकंप कब आ सकता है?
जनवरी 2022 में, जापान की भूकंप अनुसंधान समिति ने कहा कि अगले 30 वर्षों के भीतर 8-9 तीव्रता का अगला महाभूकंप आने की लगभग 70% संभावना है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के बड़े भूकंप से टोक्यो से लगभग 150 किलोमीटर दक्षिण में स्थित सेंट्रल शिजुओका से लेकर दक्षिण-पश्चिमी मियाजाकी तक के इलाकों में कंपन हो सकता है।
निक्केई एशिया पत्रिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2013 की एक सरकारी रिपोर्ट में पाया गया कि ननकाई गर्त में आने वाला एक बड़ा भूकंप जापान के लगभग एक-तिहाई हिस्से को प्रभावित कर सकता है और जहाँ देश की लगभग आधी आबादी अर्थात् 120 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं।
इस आपदा के कारण होने वाली आर्थिक क्षति 1.50 ट्रिलियन डॉलर या जापान के वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद के एक-तिहाई से भी अधिक हो सकती है।
क्या भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है?
भूकंप की सटीक भविष्यवाणी के लिए धरती के भीतर से एक पूर्व संकेत की आवश्यकता होती है, जो यह संकेत देता है कि बड़ा भूकंप आने वाला है।
यह संकेत केवल बड़े भूकंप से पहले ही आना चाहिए ताकि यह धरती की सतह के भीतर हर छोटी हलचल का संकेत न दे।
वर्तमान में, ऐसे पूर्व संकेतों को खोजने के लिए कोई उपकरण नहीं है।
भूकंप
परिचय: भूकंप का आशय है धरती की सतह का अचानक हिलना। यह सभी प्राकृतिक आपदाओं में सर्वाधिक विनाशकारी है। यह तब घटित होता है जब धरती की सतह में दरार आ जाती है, आमतौर पर किसी फॉल्ट लाइन के साथ, जिससे भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो जमीन के माध्यम से फैलती हैं।
भूकंप के कारण
विवर्तनिकी गतिविधियाँ (Tectonic Activities): भूकंप पृथ्वी की सतह पर विवर्तनिकी गतिविधियों के दौरान ऊर्जा के अचानक मुक्त होने से होने वाली पृथ्वी की हलचलों की शृंखला के परिणामस्वरूप आते हैं।
अन्य कारण: यह ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruption), चट्टानों के गिरने (Rock Falls), भूस्खलन (Landslides), धँसाव (Subsidence) विशेष रूप से खनन क्षेत्रों मे, बाँधों और जलाशयों के अवरुद्ध होने आदि के कारण भी हो सकता है।
भूकंप मापना
सीस्मोग्राफ (Seismographs): यह भूकंप से उत्पन्न भूकंपीय तरंगों का पता लगाने और रिकॉर्ड करने का एक उपकरण है।
भूकंपमापी द्वारा दर्ज की गई जानकारी से भूकंप का समय, स्थान और तीव्रता।
यह अभिलेख उन चट्टानों के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है, जिनसे होकर भूकंपीय तरंगें गुजरीं।
भूकंप की घटनाओं का मापन: भूकंप की घटनाओं का मापन या तो झटके की तीव्रता अथवा परिमाण के अनुसार किया जाता है।
रिक्टर स्केल (Richter Scale): परिमाण पैमाने को रिक्टर स्केल के नाम से जाना जाता है। परिमाण भूकंप के दौरान निकलने वाली ऊर्जा से संबंधित है। परिमाण को निरपेक्ष संख्याओं, 0-10 में व्यक्त किया जाता है।
मरकेली स्केल: तीव्रता पैमाने का नाम इतालवी भूकंप विज्ञानी मरकेली के नाम पर रखा गया है। तीव्रता पैमाने में घटना से होने वाले दृश्यमान नुकसान को ध्यान में रखा जाता है। तीव्रता पैमाने की सीमा 1-12 तक होती है।
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