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नैनोबॉट्स (Nanobots)

Lokesh Pal December 27, 2025 03:19 18 0

संदर्भ

हाल ही में IISc बंगलूरू के प्रोफेसर डॉ. अंबरीश घोष को टारगेटेड कैंसर थेरेपी के लिए चुंबकीय नैनोरोबोट्स पर उनके कार्य के लिए वर्ष 2025 के न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज और टाटा संस द्वारा प्रदत्त ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

नैनोबोट्स क्या हैं?

  • नैनोबोट्स, जिन्हें नैनोरोबोट्स या नैनोमशीन भी कहा जाता है, सूक्ष्म रोबोट होते हैं जिन्हें नैनोस्केल पर कार्य करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • इनका आकार आमतौर पर नैनोमीटर में मापा जाता है (एक नैनोमीटर = एक मीटर का एक अरबवाँ हिस्सा), जिसका अर्थ है कि ये लगभग जैविक कोशिकाओं या बड़े अणुओं के आकार के होते हैं।
  • कार्य: ये प्रोग्रामेबल मशीनें हैं जो आणविक या कोशिकीय स्तर पर विशिष्ट कार्य कर सकती हैं।
  • सामग्री: ये प्रायः सिलिका, DNA, धातुओं (जैसे चुंबकत्व के लिए लोहा), या यहाँ तक ​​कि जीवित कोशिकाओं (“जेनोबोट्स” में) जैसे जैव-अनुकूल पदार्थों से निर्मित होते हैं।

वे कैसे काम करते हैं और उन्हें कैसे नियंत्रित किया जाता है?

  • नैनोबोट स्वायत्त, AI आधारित रोबोट नहीं हैं।
  • इन्हें दूर से नियंत्रित किया जाता है या विशिष्ट उद्दीपनों पर प्रतिक्रिया करने के लिए प्री-प्रोग्राम किया जाता है।
    • चुंबकीय क्षेत्र: एक बाहरी चुंबक रोबोट के चुंबकीय भाग को निर्देशित करता है।
    • रासायनिक अभिक्रियाएँ: रोबोट की सतह आस-पास के रसायनों के साथ अभिक्रिया करके गति उत्पन्न करती है। रोबोट की सतह पर एंजाइमेटिक अभिक्रियाएँ प्रणोदन उत्पन्न कर सकती हैं।
    • जैविक मोटर: जैविक तंत्रों (जैसे ATP, कोशिका की ऊर्जा मुद्रा) का उपयोग करता है। डीएनए-आधारित नैनोबोट एक ट्रैक पर गति कर सकते हैं।
    • ध्वनिक या प्रकाश तरंगें: अल्ट्रासाउंड या प्रकाश स्पंदन गति के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।

नैनोबोट्स के संभावित अनुप्रयोग

  • लक्षित दवा वितरण: दवाओं को स्वस्थ कोशिकाओं से बचाते हुए सीधे रोगग्रस्त कोशिकाओं (जैसे-कैंसर कोशिकाओं) तक पहुँचाना।
    • नैनोबोट एक “डिलीवरी ट्रक” की तरह कार्य कर सकता है, जिस पर कैंसर की दवा की परत चढ़ी हो और जिसे चुंबकीय रूप से ट्यूमर तक निर्देशित किया जा सके।
  • सर्जरी और कोशिका को सही करना: शरीर के अंदर सूक्ष्म सर्जरी करना, जैसे-अवरुद्ध धमनियों को खोलना, प्लाक हटाना या क्षतिग्रस्त ऊतकों की कोशिकीय स्तर पर मरम्मत करना।
  • निदान और इमेजिंग: रोग संकेतकों (जैसे-विशिष्ट प्रोटीन या पीएच परिवर्तन) का पता लगाने या इमेजिंग को बेहतर बनाने के लिए सेंसर के रूप में कार्य करना।
    • नैनोबोट को MRI के दौरान ‘प्रकाशित’ किया जा सकता है, जो छोटे या गंभीर ट्यूमर को सटीक रूप से इंगित करने के लिए बीकन (Beacon) के रूप में कार्य करते हैं।
  • रोग निगरानी: आंतरिक स्थितियों (जैसे मधुमेह रोगियों के लिए ग्लूकोज स्तर) की लगातार निगरानी करना और डेटा को बाहरी रूप से प्रसारित करना।
  • अन्य क्षेत्र
    • पर्यावरण: जल से प्रदूषकों को आणविक स्तर पर साफ करना।
    • विनिर्माण: आणविक विनिर्माण (परमाणु-दर-परमाणु निर्माण सामग्री)।

नैनोबोट्स की चुनौतियाँ

  • इंजीनियरिंग चुनौतियाँ: परमाणु स्तर पर नैनोबोट्स का डिजाइन, निर्माण और नियंत्रण करना सटीकता, विद्युत आपूर्ति, संचार और वास्तविक समय नेविगेशन की सीमाओं के कारण अत्यंत कठिन है।
  • जैविक अनुकूलता और विषाक्तता: नैनोबोट्स प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, सूजन या कोशिकीय क्षति उत्पन्न कर सकते हैं, और शरीर से उनका सुरक्षित अपघटन या निष्कासन अनिश्चित बना हुआ है।
  • सुरक्षा और विश्वसनीयता: विफलता मुक्त कार्यप्रणाली सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है; एक बार उपयोग न करने के बाद खराब हो चुके नैनोबोट्स को ट्रैक करना, निष्क्रिय करना या पुनः प्राप्त करना कठिन है।
  • नैतिक और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: निगरानी, ​​मानव संवर्धन या जैविक हानि के लिए संभावित दुरुपयोग से जैविक डेटा की गोपनीयता सहित गंभीर नैतिक मुद्दे उत्पन्न होते हैं।
  • नियामक और कानूनी कमियाँ: परीक्षण, अनुमोदन, दायित्व और अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण के लिए स्पष्ट मानकों का अभाव बड़े पैमाने पर प्रयोग में बाधा डालता है।
  • उच्च लागत और पहुँच: उन्नत अनुसंधान एवं विकास और उत्पादन लागत वहनीयता को सीमित करती है, जिससे असमान पहुँच और तकनीकी असमानताओं के बढ़ने का जोखिम होता है।

वर्तमान प्रगति एवं अनुप्रयोग

  • परीक्षण किए गए कैंसर के प्रकार: प्रयोगशाला परीक्षणों में इस तकनीक ने अंडाशय और स्तन कैंसर कोशिकाओं के विरुद्ध प्रभावकारिता दिखाई है।
    • शोधकर्ताओं को विश्वास है कि इसे अन्य कैंसरों के लिए भी अनुकूलित किया जा सकता है।
  • दंत चिकित्सा अनुप्रयोग: रूट कैनाल संक्रमण प्रायः एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण होते हैं। प्रारंभिक परीक्षणों में, नैनोबोट्स इन बैक्टीरिया को लक्षित करने और नष्ट करने में प्रभावी सिद्ध हुए हैं।
  • भविष्य की संभावना: ये दांतों के पुनर्निर्माण और खनिजकरण में भी सहायक हो सकते हैं।

टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार के बारे में

  • स्थापितकर्ता: न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज और टाटा संस।
  • प्राथमिक उद्देश्य: नवाचार को बढ़ावा देना और भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए अभूतपूर्व प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहे दूरदर्शी भारतीय वैज्ञानिकों का समर्थन करना।
  • केंद्रित क्षेत्र: खाद्य सुरक्षा, सतत् विकास और स्वास्थ्य सेवा।
  • पुरस्कार: प्रत्येक विजेता को अपने शोध को आगे बढ़ाने और इसके वास्तविक प्रभाव को व्यापक बनाने के लिए ₹2 करोड़ प्रदान किए जाते हैं।

वर्ष 2025 के विजेता और उनका कार्य

1.       खाद्य सुरक्षा के लिए पदुबिद्री वी. शिवप्रसाद का शोध

  1. तनाव सहनशीलता और पोषण गुणवत्ता बढ़ाने के लिए चावल में एपिजेनेटिक इंजीनियरिंग और छोटे RNA संशोधनों का उपयोग किया गया।

2.       सतत विकास के लिए बालासुब्रमण्यम गोपाल का शोध

  1. फार्मास्यूटिकल्स, कॉस्मेटिक्स और कृषि के लिए महत्त्वपूर्ण रसायनों के उत्पादन हेतु जैव-इंजीनियरिंग द्वारा संशोधित ई. कोलाई बैक्टीरिया का उपयोग करके एक हरित रसायन मंच विकसित किया गया।

3. स्वास्थ्य सेवा के लिए अंबरीश घोष का शोध:

  1. कैंसर उपचार के लिए चुंबकीय नैनोरोबोट विकसित किए गए।

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