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राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम

Lokesh Pal July 01, 2025 02:38 10 0

संदर्भ

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy- MNRE) ने राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के चरण-I के अंतर्गत बायोमास कार्यक्रम के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

  • इन परिवर्तनों का उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा समाधान, व्यापार सुगमता और बायोमास प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपनाना है, जिससे वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य में योगदान मिलेगा।

बायोमास जैविक मूल आधारित सामग्री है, उदाहरण के लिए लकड़ी, गोबर या लकड़ी का कोयला। बायोमास ऊर्जा में बिजली, ऊष्मा या परिवहन ईंधन का उत्पादन करने के लिए ईंधन के रूप में कार्बनिक पदार्थों का उपयोग करना शामिल है।

राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम

  • यह कार्यक्रम ऊर्जा प्राप्ति के लिए देश में उपलब्ध विशाल अधिशेष बायोमास, मवेशियों के गोबर और औद्योगिक तथा शहरी जैव अपशिष्ट का उपयोग करने में सहायता करेगा।
  • इस कार्यक्रम में बिजली उत्पादन, बायोगैस/बायोसीएनजी उत्पादन और ब्रिकेट/पेलेट निर्माण से संबंधित विभिन्न घटकों के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (Central Financial Assistance- CFA) का प्रावधान है।

राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम में निम्नलिखित उप-योजनाएँ शामिल होंगी

  • अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम (शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों/अवशेषों से ऊर्जा पर कार्यक्रम) बड़े बायोगैस, बायोCNG और बिजली संयंत्रों (बिजली परियोजनाओं के लिए MSW को छोड़कर) की स्थापना का समर्थन करता है।
  • बायोमास कार्यक्रम (ब्रिकेट और पेलेट के विनिर्माण का समर्थन करने और उद्योगों में बायोमास आधारित सह-उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना) बिजली उत्पादन और बायोमास आधारित बिजली उत्पादन परियोजनाओं में उपयोग के लिए पेलेट और ब्रिकेट की स्थापना का समर्थन करने के लिए।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक और मध्यम आकार के बायोगैस की स्थापना का समर्थन करने के लिए बायोगैस कार्यक्रम।

बायोमास कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ

  • केंद्रीय वित्तीय सहायता (Central Financial Assistance- CFA): उदाहरण के लिए ब्रिकेट/पेलेट निर्माण संयंत्रों के लिए: रु. 9.00 लाख/TPH  (अधिकतम CFA- रु. 45.00 लाख प्रति परियोजना)।
  • निगरानी प्रणाली: संचालित परियोजनाओं में वास्तविक समय निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (SCADA) या IoT-आधारित दूरस्थ निगरानी प्रणाली शामिल होनी चाहिए।
  • पात्रता संबंधी शर्तें: केवल नई मशीनरी और उपकरण ही सब्सिडी के लिए पात्र होंगे।
  • निरीक्षण प्राधिकरण: राज्य नोडल एजेंसियाँ ​​(SNA) और सरदार स्वर्ण सिंह राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा संस्थान (Sardar Swaran Singh National Institute of Bio-Energy [SSS-NIBE])

संशोधित बायोमास दिशा-निर्देश

  • व्यापार सुगमता
    • सरलीकृत प्रक्रियाएँ: कागजी कार्रवाई में कमी और तेज स्वीकृति, विशेष रूप से MSME के लिए लाभदायक।
    • दस्तावेजीकरण में ढील: ब्रिकेट/पेलेट प्लांट डेवलपर्स को अब कई मंजूरी दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं है।
  • लागत-प्रभावी निगरानी: महँगी SCADA प्रणालियों के स्थान पर IoT-आधारित विकल्पों की अनुमति दी गई।
    • छोटे ऑपरेटरों के लिए उपयुक्त डिजिटल निगरानी को सक्षम बनाता है।
  • लचीला बिक्री मॉडल: कोई अनिवार्य दीर्घकालिक अनुबंध नहीं: दो वर्षीय बिक्री समझौते को सामान्य बिक्री समझौते द्वारा प्रतिस्थापित किया गया।
  • प्रदर्शन संबद्ध सब्सिडी: केंद्रीय वित्तीय सहायता (Central Financial Assistance- CFA) अब दक्षता से जुड़ी हुई है;
    • यदि प्रदर्शन 80% से अधिक है तो पूरी सब्सिडी मिलेगी और यदि 80% से कम है तो अन्य को आनुपातिक आधार पर सब्सिडी मिलेगी।
    • 70% पर परिचालन करने वाले संयंत्र को पात्र CFA का 7/8वाँ हिस्सा मिलेगा।
  • सरलीकृत निरीक्षण: क्षमता सत्यापन के लिए केवल 10 घंटे के निरंतर संचालन की आवश्यकता है।
  • क्षेत्र-विशिष्ट समर्थन: दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, NCR (राजस्थान, UP) में पेलेट इकाइयाँ पराली जलाने से निपटने के लिए MNRE या CPCB योजनाओं में से चुन सकती हैं।

प्रभाव: संशोधन का उद्देश्य है:

  • स्वीकृत संयंत्रों को समय पर वित्तीय सहायता सुनिश्चित करना।
  • नए बायोमास संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करना।
  • स्थायी कृषि अपशिष्ट प्रबंधन का समर्थन करना।
  • पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकना।

अन्य पहल

  • GOBAR (जैविक जैव-कृषि संसाधनों को गैल्वनाइज करना [Galvanizing Organic Bio-Agro Resources] – धन)
    • स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया, गोबर-धन बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट प्रबंधन रणनीति का हिस्सा है।
    • इसका उद्देश्य मवेशियों के गोबर और जैविक कचरे से ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देते हुए गाँव की स्वच्छता को बढ़ाना है।
  • SATAT (सस्ते परिवहन हेतु सतत् विकल्प- Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation)
    • यह पहल स्वच्छ, किफायती ईंधन विकल्पों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है, जिससे किसानों, उद्यमियों और वाहन उपयोगकर्ताओं को समान रूप से लाभ होगा।
    • यह संपीडित बायोगैस (Compressed Biogas- CBG) बुनियादी ढाँचे के विकास का समर्थन करता है और परिवहन क्षेत्र में जैव ईंधन के उपयोग को प्रोत्साहित करता है।

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