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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

Lokesh Pal July 31, 2024 06:06 139 0

संदर्भ

हाल ही में दिल्ली स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme- NCAP) में प्रयुक्त मापदंडों का मूल्यांकन किया। उन्होंने पाया कि शहर के वायु गुणवत्ता प्रदर्शन का आकलन करने के वर्तमान तरीके अपर्याप्त हैं।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के बारे में

  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change-MoEFCC)। 
    • यह वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए ढाँचा तैयार करने का पहला राष्ट्रीय प्रयास है। 
  • उद्देश्य: वर्ष 2017 को आधार वर्ष मानकर पाँच वर्षों के भीतर स्थूल कणों (PM10) और सूक्ष्म कणों (PM2.5) के स्तर को कम-से-कम 20% तक कम करना। 
  • लक्षित शहर: यह कार्यक्रम 131 शहरों पर केंद्रित है, जिसमें 123 गैर-प्राप्ति शहर (Non Attainment Cities- NAC) और अतिरिक्त दस लाख से अधिक आबादी वाले शहर (Million Plus Cities- MPC) शामिल हैं। 
    • गैर-प्राप्ति शहर (Non Attainment Cities- NAC): ये वे शहर हैं, जिन्हें लगातार पाँच वर्षों तक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (National Ambient Air Quality Standards- NAAQS) को पूरा नहीं करने के लिए पहचाना गया है। 
    • दस लाख से अधिक आबादी वाले शहर (Million Plus Cities- MPC): वायु गुणवत्ता सुधार के लिए प्रदर्शन आधारित अनुदान प्राप्त करने हेतु 15वें वित्त आयोग (XV-FC) द्वारा पहचाने गए। 
    • ओवरलैप: 42 में से 34 MPC भी राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के अंतर्गत आते हैं। 
  • महत्त्व
    • उन्नत वायु गुणवत्ता निगरानी (Enhanced Air Quality Monitoring): यह देश भर में परिवेशी वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक व्यापक और विश्वसनीय नेटवर्क विकसित करता है। 
      • इसका उद्देश्य सटीक डेटा संग्रहण के लिए एक मजबूत डेटाबेस सुनिश्चित करना है। 
    • कुशल डेटा और सार्वजनिक पहुँच (Efficient Data and Public Outreach): प्रभावी डेटा प्रसार रणनीतियों को लागू करना।
      • वायु प्रदूषण पर सरकारी नीतियों की योजना बनाने और कार्यान्वयन में सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देना।
      • वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं शमन के लिए समय पर उपायों को बढ़ावा देना।
    • वायु प्रदूषण प्रबंधन: वायु प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने के लिए व्यावहारिक योजनाएँ बनाएँ और उन्हें लागू करना। 
  • NCAP की प्रभावशीलता: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) कुछ स्थानों पर बहुत प्रभावी रहा है, लेकिन अन्य स्थानों पर विफल रहा है, इसलिए, यह मिश्रित परिणाम दर्शाता है। 
    • PM10 स्तर: इस कार्यक्रम के अंतर्गत 82 शहरों को PM10 स्तर में 3-15% की कमी लाने का वार्षिक लक्ष्य दिया गया था। 
      • शहर का प्रदर्शन
        • सबसे खराब प्रदर्शन (Worst performers): दुर्गापुर और महाराष्ट्र के कई शहरों में PM10 के स्तर में वृद्धि देखी गई है। उदाहरण के लिए, मुंबई में वर्ष 2019 से 2023 तक PM10 के स्तर में 37% की वृद्धि देखी गई। 
        • सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन: वाराणसी ने PM10 के स्तर में 63% की कमी के साथ उल्लेखनीय सुधार दर्शाया है।
          • तालचर और आगरा में भी PM10 के स्तर में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। 
    • गिरावट: ‘क्लाइमेट ट्रेंड्स और रेस्पिरर लिविंग साइंसेज’ (Climate Trends and Respirer Living Sciences) द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि पिछले पाँच वर्षों में 46 शहरों में से 22 शहरों में PM10 का स्तर बिगड़ गया है। 
      • केवल 8 शहरों ने 20-30% का प्रारंभिक लक्ष्य हासिल किया। 
    • उच्च प्रदूषण स्तर: अधिकांश शहर इतने प्रदूषित हैं कि वे राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (National Ambient Air Quality Standards- NAAQS) और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों को पार कर गए हैं। 

एक नए प्रदर्शन मूल्यांकन ढाँचे की आवश्यकता

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), XV-FC और स्वच्छ वायु सर्वेक्षण(SVS) आकलन के अंतर्गत 131 शहरों के प्रदर्शन का सटीक मूल्यांकन करने के लिए नए, मजबूत मापदंडों की आवश्यकता है। 

  • मूल्यांकन में वर्तमान सीमाएँ 
    • संकीर्ण फोकस: वर्तमान मूल्यांकन में मुख्य रूप से PM10 स्तर और समग्र वायु गुणवत्ता डेटा का उपयोग किया जाता है, तथा अक्सर विशिष्ट क्षेत्र की पहलों की अनदेखी की जाती है।
    • अनुचित लेबलिंग: यदि अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रयासों के बावजूद PM10 के स्तर में सुधार नहीं होता है, तो शहरों को अनुचित रूप से गैर-निष्पादक के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। 
    • वर्तमान भारांक से संबंधित मुद्दे
      • स्वच्छ वायु सर्वेक्षण (Swachh Vayu Survekshan- SVS): इसमें PM10 के स्तर में सुधार को केवल 2.5% महत्व दिया गया है, जो इसके महत्व को कम दर्शाता है। 
      • मूल्यांकन विसंगतियां (Assessment Discrepancies): दूसरा मूल्यांकन पूरी तरह से PM10 पर केंद्रित था, लेकिन SVS का कम भारांक NCAP के मूल लक्ष्यों को कमजोर करता है। 
  • एक व्यापक ढांचे की आवश्यकता: एक व्यापक ढांचा स्थापित किया जाना चाहिए जिसमें निम्नलिखित शामिल हों:- 
    • क्षेत्र-विशिष्ट कार्यवाहियाँ: विभिन्न क्षेत्रों में की गई विशिष्ट पहलों को मान्यता देना और उनका मूल्यांकन करना। 
    • बहु-प्रदूषक दृष्टिकोण: अधिक समग्र मूल्यांकन प्रदान करने के लिए PM10 और PM2.5 दोनों के डेटा का उपयोग करना। 
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करने में बदलाव 
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य के नजरिए से, ध्यान अधिक हानिकारक PM2.5 कणों की ओर केंद्रित होना चाहिए। 
    • प्रदर्शन-संबंधी वित्तपोषण के लिए PM2.5 को मानक के रूप में स्थापित करने से वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए शहरों के प्रयासों और प्रगति का अधिक सटीक एवं निष्पक्ष मूल्यांकन सुनिश्चित होगा। 
      • यह बदलाव सार्वजनिक स्वास्थ्य पर वास्तविक प्रभाव के साथ मूल्यांकन को संरेखित करेगा और वायु गुणवत्ता में सुधार की अधिक व्यापक समझ सुनिश्चित करेगा।

131 राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) शहरों के मूल्यांकन में चुनौतियाँ 

  • प्रारंभिक चरण असमानताएँ
    • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme-NCAP) के पहले वर्ष में, अधूरी तैयारियों के कारण मूल्यांकन प्रक्रिया को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सितंबर 2021 तक:- 
      • शहर कार्य योजनाएँ: 131 शहरों में से 125 को उनकी कार्य योजनाओं के लिए अनुमोदन प्राप्त हुआ। 
      • सूक्ष्म कार्य योजनाएँ (Micro Action Plans): केवल 58 शहरों ने अपनी सूक्ष्म कार्य योजनाएँ प्रस्तुत कीं। 
      • स्रोत आवंटन अध्ययन: केवल 12 शहरों ने ये अध्ययन पूरे किए, जबकि 72 अध्ययन जारी थे तथा 42 अभी भी निविदा चरण में थे। 
    • इन विसंगतियों ने शहरों के बीच महत्त्वपूर्ण अंतरों को उजागर किया, जिनमें से कई शहर महत्त्वपूर्ण प्रारंभिक कदमों, जैसे कि व्यापक कार्य योजनाएँ विकसित करना और विस्तृत स्रोत विभाजन अध्ययन, में पिछड़ गए हैं।
  • मूल्यांकन पद्धति में खामियाँ: दूसरे मूल्यांकन चरण के दौरान, XV-FC शहरों के मूल्यांकन के लिए इस्तेमाल की गई पद्धति में कुछ सीमाएँ थीं: 
    • चरम डेटा का बहिष्करण: मूल्यांकन में सबसे चरम PM10 सांद्रता डेटा (365 में से सात से आठ दिन) का 2% हटा दिया गया, जिससे डेटा सामान्य हो गया। 
      • इस दृष्टिकोण से स्थिति में सुधार हुआ तथा PM10 के स्तर में वास्तविक कमी तथा अच्छे वायु गुणवत्ता वाले दिनों में वृद्धि को पूरी तरह से प्रतिबिंबित करने में विफलता मिली। 
        • डेटा मैन्युपुलेशन: अत्यधिक प्रदूषण स्तरों (आउटलायर्स) को छोड़ देने से वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव की वास्तविक तस्वीर गलत हो जाती है। 
        • सीमित फोकस: औसत वार्षिक PM10 स्तर पर जोर देने से अल्पकालिक प्रदूषण वृद्धि को नजरअंदाज कर दिया गया, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। 
  • अस्वास्थ्यकर जोखिमों का बहिष्कार: इन चरम स्थितियों को छोड़कर, मूल्यांकन में मानव स्वास्थ्य पर अस्वास्थ्यकर जोखिमों के प्रभाव को ध्यान में नहीं रखा गया। 
    • अपर्याप्त महत्त्व: PM10 में कमी लाने को कम महत्त्व दिया गया। 
    • अति सरलीकृत तुलना: अन्य कारकों पर विचार किए बिना केवल जनसंख्या के आधार पर शहरों की रैंकिंग करने से अनुचित तुलनाएँ हुईं। 
  • असंबद्ध मूल्यांकन परिणाम (Disconnected Assessment Results)
    • असंगत रैंकिंग: विभिन्न तरीकों से एक ही शहर के लिए अलग-अलग रैंकिंग प्राप्त हुई, जिससे प्रभावी रणनीतियों की पहचान करना कठिन हो गया। 

    • सहसंबंध का अभाव: किसी शहर के प्रदूषण कम करने के प्रयासों और वायु गुणवत्ता में वास्तविक सुधार के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं पाया गया।

भारत में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए प्रमुख विधायी अधिनियम

  • वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981: यह वायु प्रदूषण से निपटने के लिए भारत का पहला प्रमुख कानून है। 
    • प्रमुख प्रावधान: वायु गुणवत्ता की निगरानी और प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने के लिए केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थापना संबंधी प्रावधान किया गया है। 
  • पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986: इसे भोपाल गैस त्रासदी के बाद पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के लिए बनाया गया था। 
    • प्रमुख प्रावधान: केंद्र सरकार को सभी प्रकार के प्रदूषण को विनियमित करने तथा उत्सर्जन और अपशिष्ट निर्वहन के लिए मानक निर्धारित करने की अनुमति देता है। 
  • मोटर वाहन अधिनियम, 1988: इसका उद्देश्य वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करना है, जो शहरों में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है।
    • प्रमुख प्रावधान: वाहनों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग करना तथा नियमित उत्सर्जन परीक्षण कराना अनिवार्य है।
  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम (National Green Tribunal Act), 2010: पर्यावरण संबंधी मामलों को निपटाने के लिए एक विशेष अधिकरण की स्थापना की गई। 
    • प्रमुख प्रावधान: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) वायु गुणवत्ता, पर्यावरण संरक्षण और संरक्षण से संबंधित मामलों को देखता है।
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021
    • उद्देश्य: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region- NCR) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता के मुद्दों को संबोधित करने के लिए गठित। 
    • प्रमुख प्रावधान: आयोग उद्योगों, वाहनों और निर्माण गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उपायों को लागू कर सकता है।

प्राकृतिक संसाधन के रूप में वायु से संबंधित अधिनियम

  • कारखाना अधिनियम, 1948 (1987 में संशोधित) 
    • उद्देश्य: कर्मचारियों के लिए कार्य वातावरण में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करना।
    • 1987 संशोधन: पर्यावरणीय चिंताओं को संदर्भित किया गया तथा खतरनाक प्रक्रियाओं के लिए विनियमन को विस्तारित किया गया। 
  • वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 
    • उद्देश्य: वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना और कम करना।
    • मुख्य प्रावधान: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करने का अधिकार देता है।
  • वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) नियम, 1982
    • उद्देश्य: प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की बैठकों और कार्यों की प्रक्रियाओं का विवरण।
    • मुख्य प्रावधान: इन बोर्डों की शक्तियों और जिम्मेदारियों को परिभाषित करता है।
  • परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1982
    • उद्देश्य: रेडियोधर्मी अपशिष्ट का प्रबंधन करना।
    • मुख्य प्रावधान: प्रदूषण को रोकने के लिए रेडियोधर्मी पदार्थों के संचालन और निपटान को विनियमित करता है। 
  • वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 1987 
    • उद्देश्य: केंद्रीय एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की शक्तियों में वृद्धि करना। 
    • मुख्य प्रावधान: बोर्डों को गंभीर वायु प्रदूषण आपात स्थितियों से निपटने में सक्षम बनाता है। 
  • मोटर वाहन अधिनियम, 1988
    • उद्देश्य: खतरनाक अपशिष्ट के परिवहन को नियंत्रित करना।
    • मुख्य प्रावधान: यह सुनिश्चित करना कि खतरनाक अपशिष्ट को उचित तरीके से निपटान किया जाए, लेबल किया जाए और परिवहन किया जाए।

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