हाल ही में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने राष्ट्रपति को आयोग की वार्षिक रिपोर्ट, 2022-23 सौंपी है।
संबंधित तथ्य
रिपोर्ट का केंद्रबिंदु: इस रिपोर्ट में भारत के संविधान में निहित अनुसूचित जातियों के संवैधानिक रक्षा उपायों की सुरक्षा के संबंध में आयोग को सौंपे गए मुद्दों पर विभिन्न संस्तुतियाँ शामिल हैं।
संविधान का अनुच्छेद-338: संविधान के अनुच्छेद-338 के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को दिए गए अधिदेश के अनुसार, आयोग का यह कर्तव्य है कि वह राष्ट्रपति को वार्षिक रूप से और ऐसे अन्य समय पर, जब आयोग उचित समझे, अनुसूचित जाति संवैधानिक रक्षा उपायों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
रिपोर्ट में अनुसूचित जातियों की सुरक्षा, कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए उन रक्षोपायों और अन्य उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संघ और राज्यों द्वारा उठाए जाने वाले आवश्यक उपायों की संस्तुतियाँ शामिल हो सकती हैंI
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
पृष्ठभूमि
विशेष अधिकारी
प्रारंभ में संविधान के अनुच्छेद-338 के तहत एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान किया गया था।
इस विशेष अधिकारी को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के आयुक्त (Commissioner) के रूप में नामित किया गया।
65वाँ संशोधन अधिनियम, 1990
संविधान के 65वें संशोधन अधिनियम, 1990 द्वारा अनुच्छेद-338 में संशोधन किया गया।
65वें संशोधन, 1990 द्वारा एक सदस्यीय प्रणाली को बहु-सदस्यीय राष्ट्रीय अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) आयोग के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
89वाँ संशोधन अधिनियम, 2003
अनुच्छेद-338 में संशोधन द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति हेतु गठित पूर्ववर्ती राष्ट्रीय आयोग को वर्ष 2004 में दो अलग-अलग आयोगों में बदल दिया गया, ये हैं:
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes- NCSC)
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes- NCST)
परिचय
NCSC एक संवैधानिक निकाय है।
इसकी स्थापना शोषण के विरुद्ध अनुसूचित जातियों को सुरक्षा प्रदान करने और उनके सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक हितों को बढ़ावा देने एवं उनकी रक्षा करने के लिए की गई थी।
संरचना
एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन अतिरिक्त सदस्य।
नियुक्ति: राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और मुहर के तहत जारी एक वारंट द्वारा ।
उनकी सेवा शर्तें और पद का कार्यकाल भी राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है।
कार्य
अनुसूचित जातियों के संरक्षण, कल्याण और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सुरक्षा उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु केंद्र या राज्य द्वारा किए जाने वाले उपायों के बारे में सिफारिशें करना;
अनुसूचित जातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना प्रक्रिया में भाग लेना और सलाह देना तथा केंद्र या राज्य के तहत उनके विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना।
संशोधन
वर्ष 2018 तक आयोग को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के संबंध में भी समान कार्य करने की आवश्यकता थी।
इसे 102वें संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा इस उत्तरदायित्व से मुक्त किया गया।
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