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राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस

Lokesh Pal March 09, 2024 06:14 115 0

संदर्भ

केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार ने वर्ष 2027 तक प्रत्येक गाँव में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) का गठन सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है।

संबंधित तथ्य

  • केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस भी लॉन्च किया और ‘राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023: एक रिपोर्ट’ जारी की है।
    • इस डेटाबेस का लक्ष्य व्यापक विश्लेषण के माध्यम से कमियों की पहचान करना और उनका समाधान करना है।
  •  राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस
    • पृष्ठभूमि
      • सहकारिता मंत्रालय का गठन 6 जुलाई, 2021 को देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने और जमीनी स्तर तक इसकी पहुँच स्थापित करने के लिए किया गया था।
      • इस अधिदेश को पूरा करने के लिए मंत्रालय द्वारा राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों, राष्ट्रीय सहकारी/संघों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभिन्न स्तरों पर अन्य सभी हितधारकों के परामर्श से एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
      • सहकारी क्षेत्र की विविध प्रकृति और आकार को ध्यान में रखते हुए डेटाबेस को चरणबद्ध तरीके से विकसित करने का निर्णय लिया गया। 
      • राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के लाभ हैं:
        • लगभग 8 लाख सहकारी समितियों की जानकारी तक एकल बिंदु पहुँच।
        • एक व्यापक, प्रामाणिक और अद्यतन डेटा भंडार।
        • सहकारी समितियों के भौगोलिक प्रसार के संदर्भ में अंतराल की पहचान करना।
        • सहकारी समितियों के बीच ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज संबंधों पर जानकारी।
        • सभी हितधारकों के लिए योजना, नीति निर्माण और कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करना।
    • चरण
      • राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस संबंधी कार्य को तीन चरणों में किया गया है।
        • पहले चरण में तीन क्षेत्रों, प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी, डेयरी और मत्स्यपालन में लगभग 2.64 लाख समितियों की मैपिंग पूरी की गई।
        • दूसरे चरण में विभिन्न राष्ट्रीय संघों, राज्य संघों, राज्य सहकारी बैंकों, जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों, शहरी सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों, प्राथमिक कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, सहकारी चीनी मिलें, जिला संघ और बहु-राज्य सहकारी समितियों से डेटा एकत्र किए गए थे।
        • तीसरे चरण में अन्य क्षेत्रों में शेष सभी 8 लाख प्राथमिक सहकारी समितियों की डेटा मैपिंग गई है।

प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS)

  • PACS ग्राम स्तर की सहकारी ऋण समितियाँ होती हैं। 
  • ये समितियाँ राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंकों (SCB) की अध्यक्षता वाली त्रि-स्तरीय सहकारी ऋण संरचना में अंतिम बिंदु के रूप में कार्य करती हैं।
  • SCB से ऋण का हस्तांतरण जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB) को किया जाता है। 
  • जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, PACS के साथ कार्य करते हैं, साथ ही ये सीधे किसानों से जुड़े होते हैं।
  • PACS विभिन्न कृषि और कृषि गतिविधियों हेतु किसानों को अल्पकालिक एवं मध्यम अवधि के कृषि ऋण प्रदान करती हैं।
  • पहली PACS का गठन वर्ष 1904 में किया गया था।
  • वर्तमान स्थिति
    • वर्तमान में देश में 8 लाख से अधिक पंजीकृत सोसायटी हैं, जो 30 करोड़ से अधिक नागरिकों से जुड़ी हैं।

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