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राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं कार्यान्वयन चुनौतियाँ

Lokesh Pal June 19, 2024 05:18 165 0

संदर्भ

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक, प्रगतिशील और समतापूर्ण बनाने की एक स्वागत योग्य और महत्त्वाकांक्षी पुनर्कल्पना है। हालाँकि, इसकी संरचना और विषय-वस्तु को लेकर आलोचनाएँ हो रही हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में

  • पृष्ठभूमि: मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) ने जून 2017 में नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति (अध्यक्ष: डॉ. के. कस्तूरीरंगन) का गठन किया था।
    • NEP, 2020 ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 का स्थान लिया है।
    • वर्ष 2020 में  केंद्र सरकार द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP) वर्ष 2023-2024 शैक्षणिक वर्ष के दौरान लागू हुई।

  • महत्त्व: NEP 2020 प्रत्येक व्यक्ति की रचनात्मक क्षमता के विकास पर विशेष जोर देती है।
  • सिद्धांत: NEP इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा को साक्षरता और संख्यात्मकता की आधारभूत क्षमताओं तथा उच्चतर संज्ञानात्मक क्षमताओं, जैसे आलोचनात्मक चिंतन और समस्या समाधान, तथा सामाजिक, नैतिक और भावनात्मक क्षमताओं एवं प्रवृत्तियों का विकास करना चाहिए।

भारत में शिक्षा सुधार के लिए उठाए गए विभिन्न कदम

  • राधाकृष्णन समिति
  • कोठारी आयोग
  • T.S.R. सुब्रमण्यम् समिति
  • कस्तूरीरंगन रिपोर्ट (प्रारूपित NEP)

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की मुख्य विशेषताएँ 

  • समग्र और बहुविषयक शिक्षा: NEP एक कठोर, खंडित शिक्षा प्रणाली से समग्र शिक्षा को बढ़ावा देने वाली शिक्षा प्रणाली में बदलाव पर जोर देती है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति कला, मानविकी और विज्ञान के एकीकरण की सिफारिश करती है, छात्रों को विविध विषयों का पता लगाने और अपने उद्देश्य की खोज करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education- ECCE): यह नीति बच्चे के विकास के महत्त्वपूर्ण शुरुआती वर्षों पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में एकीकृत करके सीखने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करना है। इससे बच्चों के संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक कौशल को कम उम्र से ही बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • स्कूली शिक्षा की पुनर्कल्पना: इसका उद्देश्य वर्तमान 10+2 स्कूली शिक्षा प्रणाली को अधिक लचीली 5+3+3+4 संरचना में बदलना है।
    • पहले पाँच वर्ष आधारभूत शिक्षा पर केंद्रित होंगे, उसके बाद तीन वर्ष प्रारंभिक शिक्षा और चार वर्ष बहुविषयक माध्यमिक शिक्षा पर केंद्रित होंगे।
    • यह दृष्टिकोण वैश्विक मानकों के अनुरूप है तथा अनुभवात्मक शिक्षा एवं आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है।
  • बहुभाषावाद और भाषा संबंधी प्रवीणता: भारत की भाषायी विविधता को पहचानते हुए, NEP-2020 हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षण को प्रोत्साहित करता है। यह कदम न केवल सांस्कृतिक समावेशिता को बढ़ावा देता है बल्कि छात्रों में भाषा प्रवीणता और संचार कौशल को बेहतर बनाने का भी लक्ष्य रखता है।

  • मूल्यांकन सुधार: नीति का उद्देश्य मूल्यांकन के लिए रटने की आदत को योग्यता आधारित दृष्टिकोण से बदलना है। यह छात्रों की प्रगति को केवल अंकों के बजाय उनकी समझ और समस्या समाधान क्षमताओं के आधार पर मापने के लिए रचनात्मक और निरंतर मूल्यांकन को प्रोत्साहित करता है।
    • भारत का पहला राष्ट्रीय मूल्यांकन नियामक परख (PARAKH) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया है, जो मूल्यांकन में बहुप्रतीक्षित एकरूपता लाएगा।
  • डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देना: शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, NEP डिजिटल संसाधनों और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म के उपयोग पर जोर देता है। इससे डिजिटल डिवाइड के अंतर को कम करने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि सभी क्षेत्रों के छात्रों को शैक्षिक अवसरों तक समान पहुँच मिले।
  • उच्च शिक्षा सुधार: NEP में बहुविषयक और लचीली उच्च शिक्षा प्रणाली की परिकल्पना की गई है। इसका उद्देश्य अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना, रचनात्मकता को बढ़ावा देना और शिक्षा जगत और उद्योग के बीच मजबूत संबंध स्थापित करना है। यह नीति विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में परिसर स्थापित करने का मार्ग भी प्रशस्त करती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
  • शिक्षक सशक्तीकरण: युवा दिमागों को आकार देने में शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, NEP का उद्देश्य शिक्षक प्रशिक्षण और व्यावसायिक विकास को बढ़ाना है। यह अधिक शिक्षार्थी-केंद्रित शैक्षणिक दृष्टिकोण को भी प्रोत्साहित करता है और शिक्षकों के रचनात्मक और आलोचनात्मक सोच कौशल को पोषित करने पर अधिक जोर देता है।
  • लिंग और सामाजिक समावेशन: NEP समावेशिता के महत्त्व पर जोर देती है, जिसका लक्ष्य शिक्षा में लैंगिक और सामाजिक अंतर को कम करना है। यह लिंग, जाति या आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
  • अधिक लचीलापन: NEP के ढाँचे के भीतर मल्टी एंट्री और मल्टीपल एग्जिट (Multi Entry and Multiple Exit- MEME) विकल्पों का कार्यान्वयन NEP 2020 का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जो छात्रों को उनके शैक्षिक मार्गों में अधिक लचीलापन और विकल्प प्रदान करता है।

नई शिक्षा नीति के लाभ

विद्यार्थियों के लिए 

अध्यापकों के लिए

  • समग्र विकास: NEP 2020 छात्रों के समग्र विकास पर केंद्रित है, जो उनके संज्ञानात्मक, सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक विकास को संबोधित करता है।
    • यह आलोचनात्मक सोच, रचनात्मकता और समस्या समाधान कौशल को बढ़ावा देता है तथा छात्रों को 21वीं सदी में सफल होने के लिए तैयार करता है।
  • व्यावसायिक विकास के अवसर: नई शिक्षा नीति शिक्षकों के लिए सतत् व्यावसायिक विकास के महत्त्व को मान्यता देती है।
    • यह उनके शिक्षण कौशल को बढ़ाने, उनके ज्ञान को अद्यतन करने और विकसित हो रही शैक्षणिक प्रथाओं से अवगत रहने के लिए प्रशिक्षण, कार्यशालाओं और सहयोग के अवसर प्रदान करता है।
  • लचीले शिक्षण मार्ग: यह नीति लचीले शिक्षण मार्ग प्रदान करती है, जिससे छात्रों को अपनी रुचि और कॅरियर आकांक्षाओं के आधार पर विषय चुनने की सुविधा मिलती है।
    • इससे व्यक्तिगत शिक्षा को बढ़ावा मिलता है, जिससे छात्रों को अपनी रुचियों का पता लगाने और अपने चुने हुए क्षेत्रों में विशेषज्ञता विकसित करने में मदद मिलती है।
  • उन्नत शिक्षण पद्धतियाँ: यह नीति विद्यार्थी केंद्रित शिक्षण पद्धतियों की ओर बदलाव को प्रोत्साहित करती है, तथा इंटरैक्टिव और अनुभवात्मक शिक्षण विधियों को बढ़ावा देती है।
    • इससे शिक्षकों को विद्यार्थियों को सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करने, अवधारणाओं की गहन समझ और अवधारणा को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
  • पाठ्यक्रम का बोझ कम करना: NEP  का उद्देश्य मुख्य अवधारणाओं और आवश्यक शिक्षण परिणामों पर जोर देकर छात्रों पर पाठ्यक्रम का बोझ कम करना है।
    • इससे विषयों की गहन समझ प्राप्त होती है तथा अधिक व्यापक शिक्षण अनुभव को प्रोत्साहन मिलता है।
  • प्रौद्योगिकी का एकीकरण: शिक्षक अपनी शिक्षण प्रभावशीलता को बढ़ाने, इंटरैक्टिव शिक्षण अनुभव बनाने और विविध शिक्षण शैलियों को पूरा करने के लिए डिजिटल टूल, ऑनलाइन संसाधनों और शैक्षिक ऐप्स का लाभ उठा सकते हैं।
  • समावेशी शिक्षा: नीति समावेशी शिक्षा को प्राथमिकता देती है तथा दिव्यांगों और हाशिए के समुदायों सहित विविध पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करती है।
    • यह एक समावेशी और सहायक शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देता है तथा छात्रों के बीच सहानुभूति और समझ को बढ़ावा देता है।
  • नेतृत्व और मार्गदर्शन की मान्यता: यह शिक्षक नेतृत्व और मार्गदर्शन के महत्त्व को भी मान्यता देता है।
  • शिक्षकों को मार्गदर्शन देने, अपने साथी शिक्षकों का समर्थन करने और नीति कार्यान्वयन में योगदान देने का अवसर मिलता है। इससे शिक्षकों के बीच पेशेवर विकास और सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
  • कौशल विकास: NEP 2020 कौशल विकास पर जोर    देती है, छात्रों को 21वीं सदी के कौशल जैसे कि आलोचनात्मक सोच, संचार, समस्या समाधान और डिजिटल साक्षरता से लैस करती है।
    • इससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़ती है और वे भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार होते हैं।
  • सहयोगात्मक शिक्षण समुदाय: NEP सहयोगात्मक शिक्षण समुदायों को भी बढ़ावा देती है, जो व्यावसायिक विकास के लिए सहायक वातावरण बनाता है और शिक्षण प्रभावशीलता को बढ़ाता है।
    • यह नीति शिक्षकों को केवल सूचना प्रदाता बनने के बजाय शिक्षण में सुविधा प्रदाता बनने का अधिकार देती है।
    • वे छात्रों को उनकी सीखने की यात्रा में मार्गदर्शन कर सकते हैं, आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा दे सकते हैं, तथा छात्रों की रुचियों और प्रतिभाओं का पोषण कर सकते हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से संबंधित मुद्दे

  • मानकीकृत अंतर-संचालनीय एवं गतिशीलता आधारित उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र: क्रेडिट आधारित आठ सेमेस्टर प्रारूप का उद्देश्य ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है, जहाँ छात्र सैद्धांतिक रूप से अपने क्रेडिट को कहीं भी स्थानांतरित कर सकें, जिससे सार्थक शैक्षणिक कार्य में उनकी सहभागिता प्रभावित हो।
    • शिक्षा ग्रहण करने और पारस्परिक आदान-प्रदान करने, सीखने, आत्मसात् करने, मूल्यांकन करने और आलोचनात्मक रूप से प्रतिक्रिया करने का कार्य है। हालाँकि, उच्च शिक्षा की यह पुनर्कल्पना शिक्षा को बाजार में जीवित रहने के साधन के रूप में देखती है, जिसकी एक बड़ी कीमत जुड़ी हुई है।
  • पाठ्यक्रम में कटौती: क्रेडिट आधारित प्रणाली (जहाँ संरचना विषय-वस्तु को निर्धारित करती है, न कि इसके विपरीत, जैसा कि होना चाहिए) के परिणामस्वरूप सभी विषयों में पाठ्यक्रम छोटा हो गया है।
    • उदाहरण के लिए: कई मामलों में तो निर्धारित अध्यायों को भी समाप्त कर दिया गया है।
    • वॉल्ट व्हिटमैन की कविता ‘पैसेज टू इंडिया’ में 13 खंडों में 255 पंक्तियाँ हैं। NEP पाठ्यक्रम के तहत, 4 खंडों में केवल 68 पंक्तियाँ निर्धारित की गई हैं। हालाँकि, यह एक दार्शनिक कविता है, जिसे संपूर्णता में समझने की आवश्यकता है।
  • मुख्य पाठ्यक्रम का कमजोर होना: NEP शिक्षण पद्धति की सबसे बड़ी समस्या मुख्य विषय का कमजोर होना है, जिससे विशेष ज्ञान प्राप्ति पर असर पड़ता है।
    • विषय की मूल विषय-वस्तु को कमजोर करके, NEP डोमेन-केंद्रित ज्ञान वितरण और अवशोषण के मानकों को कम कर रहा है।
    • उदाहरण: कोलकाता के सेंट जेवियर्स विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र ऑनर्स के लिए, आठ पाठ्यक्रमों में से केवल एक ही सीधे तौर पर ऑनर्स विषय से संबंधित है, जबकि बाकी पाठ्यक्रम मानव व्यवहार और मीडिया अध्ययन जैसे विशिष्ट ज्ञान के विभिन्न अन्य क्षेत्रों को कवर करते हैं।
  • छात्रों पर मूल्यांकन का बोझ: NEP के तहत, छात्रों को कई आंतरिक मूल्यांकनों के साथ प्रति सेमेस्टर सात से आठ परीक्षाएँ देनी होती हैं।
    • इसके साथ ही अलग-अलग उपस्थिति के लिए अंक और निरंतर मूल्यांकन कक्षाओं में भाग लेने के लिए अंकों को मिलाकर, एक बड़ा नौकरशाही भार (छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए) पैदा होता है।
  • कला विषयों में प्रैक्टिकल परीक्षा: NEP के तहत, गैर-मुख्य कला विषयों के लिए भी प्रैक्टिकल निर्धारित किए गए थे, जो अव्यावहारिक है। 
    • हालाँकि, गैर-मुख्य विषयों के लिए व्यावहारिक परीक्षा आयोजित करने की अव्यवहारिकताओं का सामना करने के बाद, दिल्ली विश्वविद्यालय ने हाल ही में इसे हटा दिया।
  • कार्यान्वयन और संसाधन आवंटन: इस नीति की सफलता सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढाँचे की कमी, अपर्याप्त धन और प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • डिजिटल विभाजन: हालाँकि यह नीति शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देती है, मौजूदा डिजिटल विभाजन, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में और सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों के बीच, प्रौद्योगिकी संचालित शिक्षण समाधानों के न्यायसंगत कार्यान्वयन में बाधा बन सकता है।
  • निगरानी और मूल्यांकन: NEP 2020 में SDG-4 प्राप्त करने की दिशा में अपनी प्रगति का आकलन करने के लिए एक स्पष्ट निगरानी और मूल्यांकन तंत्र का अभाव है।

सतत् विकास लक्ष्य 4 गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बारे में है। SDG 4 का पूरा शीर्षक है “समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना”

  • मल्टीपल एंट्री और मल्टीपल एग्जिट (Multiple Entry And Multiple Exit- MEME): नई शिक्षा नीति के तहत MEME प्रणाली को लागू करने में भारतीय संस्थानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि MEME एक लचीली प्रणाली की तरह दिखती है, जिसे पश्चिमी शैक्षणिक संस्थानों द्वारा प्रभावी ढंग से संचालित किया जा रहा है, लेकिन यह देश में अच्छी तरह से कार्य नहीं कर सकती है।
  • राज्य की भूमिका और पहुँच: राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (Rashtriya Uchchatar Shiksha Abhiyan- RUSA) योजना का उद्देश्य पात्र राज्य उच्च शैक्षणिक संस्थानों को रणनीतिक वित्त पोषण प्रदान करना है। राज्य की योजनाओं के आलोचनात्मक मूल्यांकन के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों को रणनीतिक वित्त पोषण प्रदान करना।
    • वित्तीय बाधाओं, भौगोलिक बाधाओं, हाशिए पर रहने वाले वर्गों के छात्रों द्वारा सामना किए जाने वाले रूढ़िवादी खतरे आदि के कारण सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित क्षेत्रों में उच्च शिक्षा तक सीमित पहुँच है।
  • भाषा संबंधी मुद्दे: अधिकांश उच्च शिक्षा संस्थान मुख्य रूप से अंग्रेजी को शिक्षण माध्यम के रूप में उपयोग करते हैं और स्थानीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी है। इससे गैर-अंग्रेजी भाषी लोगों का बहिष्कार होता है, सांस्कृतिक और क्षेत्रीय अलगाव होता है और आर्थिक असमानताएँ बढ़ती हैं।
  • वित्तपोषण की कमी: शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को जल्द-से-जल्द सकल घरेलू उत्पाद के 6% तक पहुँचने की आवश्यकता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, कुल शिक्षा परिव्यय सकल घरेलू उत्पाद का 2.9% है।
    • भारत के लिए भी शिक्षा पर बजटीय आवंटन को सकल घरेलू उत्पाद के 2.9% से बढ़ाकर 6% करने की गुंजाइश है।

NEP 2020 के तहत प्रमुख पहल

  • प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (Schools for Rising India-SHRI) स्कूलों में उच्च-गुणवत्ता, न्यायसंगत और आनंदमय शिक्षा प्रदान करेगा।
  • निपुण भारत (NIPUN Bharat) का लक्ष्य वर्ष 2026-27 तक कक्षा 3 के अंत तक सार्वभौमिक आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता सुनिश्चित करना है।
  • प्रधानमंत्री ई-विद्या दीक्षा जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देगा और छात्रों को ई-बुक और सामग्री प्रदान करेगा।
  • 3 से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए खेल आधारित शिक्षा के लिए फाउंडेशनल स्टेज और जादुई पिटारा (Jadui Pitara) के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा।
  • भारत में शिक्षकों और स्कूल प्रिंसिपलों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए निष्ठा।
  • डिजिटल प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा अनुप्रयोगों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा वास्तुकला (National Digital Education Architecture- NDEAR) फ्रेमवर्क।
  • क्रेडिट हस्तांतरण और शैक्षणिक लचीलेपन को सुविधाजनक बनाने के लिए राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क जैसे विभिन्न शैक्षणिक फ्रेमवर्क की शुरुआत।
  • विश्व स्तरीय संस्थान योजना, किफायती, उच्च कोटि की शैक्षणिक और शोध सुविधाएँ सृजित करने के लिए, ‘प्रतिष्ठित संस्थानों”’ का नामकरण।
  • वैश्विक शैक्षणिक नेटवर्क पहल (Global Initiative of Academic Networks- GIAN) का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों और उद्यमियों की प्रतिभा का दोहन करना है, ताकि भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ उनके जुड़ाव को प्रोत्साहित किया जा सके, ताकि देश के मौजूदा शैक्षणिक संसाधनों को बढ़ाया जा सके, गुणवत्ता सुधार की गति को बढ़ाया जा सके और भारत की वैज्ञानिक तथा तकनीकी क्षमता को वैश्विक उत्कृष्टता तक बढ़ाया जा सके।
  • शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने की योजना (Scheme for Promotion of Academic and Research Collaboration- SPARC) का उद्देश्य राष्ट्रीय और/या अंतरराष्ट्रीय प्रासंगिकता की समस्याओं को संयुक्त रूप से हल करने के लिए भारतीय संस्थानों तथा दुनिया के 28 चयनित देशों के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के बीच शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग की सुविधा प्रदान करके भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना है।

निष्कर्ष

NEP 2020 का उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन लाना है, लेकिन इसके पक्ष और विपक्ष का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना आवश्यक है। शिक्षा में सार्थक सुधारों के लिए हितधारकों का इनपुट महत्त्वपूर्ण है। NEP को बेहतर बनाने के लिए, इसकी क्रेडिट आधारित प्रणाली का पुनर्मूल्यांकन करने, मुख्य विषयों पर जोर देने और गैर-मुख्य पाठ्यक्रमों को समाप्त करने की आवश्यकता है।

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