खान मंत्रालय द्वारा 19 दिसंबर, 2023 को नई दिल्ली में एक समारोह के दौरान ‘राष्ट्रीय भू-विज्ञान डेटा रिपोजिटरी’ (NGDR) पोर्टल लॉन्च किया गया।
संबंधित तथ्य
NGDR पोर्टल नामक पहल भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एप्लीकेशन एंड जियोइन्फॉर्मेटिक्स (BISAG-N) के नेतृत्व में प्रारंभ की गई है।
उद्देश्य: इसका उद्देश्य महत्त्वपूर्ण भू-विज्ञान डेटा की सभी तक पहुँच, अमूल्य संसाधनों तक अभूतपूर्व पहुँच स्थापित करने के साथ उद्योगों एवं शिक्षा जगत में हितधारकों को सशक्त बनाने में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास का प्रतिनिधित्व करना है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की स्थापना वर्ष 1851 में मुख्य रूप से रेलवे के लिए कोयला भंडार खोजने के लिए की गई थी।
पिछले कुछ वर्षों में GSI न केवल देश में विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक भू-विज्ञान जानकारी के भंडार के रूप में विकसित हुआ है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय ख्याति के भू-वैज्ञानिक संगठन का दर्जा भी प्राप्त कर चुका है।
मुख्यालय एवं क्षेत्रीय कार्यालय: मुख्यालय-कोलकाता
इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलांग और कोलकाता में स्थित हैं और राज्य इकाई कार्यालय देश के लगभग सभी राज्यों में हैं।
GSI- खान मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है।
कार्य
इसका मुख्य कार्य राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक जानकारी और खनिज संसाधन मूल्यांकन का निर्माण और अद्यतन करना है।
GSI की मुख्य भूमिका में नीति निर्माण निर्णयों, वाणिज्यिक और सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं पर ध्यान देने के साथ उद्देश्यपूर्ण, निष्पक्ष और अद्यतन भूवैज्ञानिक विशेषज्ञता एवं सभी प्रकार की भूवैज्ञानिक जानकारी प्रदान करना शामिल है।
GSI भारत और इसके अपतटीय क्षेत्रों की सतह और उपसतह दोनों के व्यवस्थित दस्तावेज़ीकरण पर भी जोर देता है।
संगठन नवीनतम और सर्वाधिक लागत प्रभावी तकनीकों और पद्धतियों का उपयोग करके भूवैज्ञानिक, भू-भौतिकीय और भू-रासायनिक सर्वेक्षणों के माध्यम से यह कार्य करता है।
सर्वेक्षण और मानचित्रण में GSI की मुख्य क्षमता स्थानिक डेटाबेस (रिमोट सेंसिंग के माध्यम से प्राप्त डेटाबेस सहित) की अभिवृद्धि, प्रबंधन, समन्वय और उपयोग के माध्यम से लगातार बढ़ाई जाती है।
यह एक ‘रिपॉजिटरी’ के रूप में कार्य करता है और भू-सूचना विज्ञान क्षेत्र में अन्य हितधारकों के साथ सहयोग के माध्यम से भूवैज्ञानिक सूचना और स्थानिक डेटा के प्रसार के लिए नवीनतम कंप्यूटर-आधारित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है।
भास्कराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एप्लीकेशन एंड जियोइन्फॉर्मेटिक्स (BISAG-N)
भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान [BISAG-N] प्रौद्योगिकी विकास और प्रबंधन, अनुसंधान और विकास, राष्ट्रीय और सुविधा प्रदान करने के लिए भारत सरकार के एमईआईटीवाई के तहत सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक स्वायत्त वैज्ञानिक सोसायटी है।
भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग, क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उद्यमिता विकास का समर्थन करना है।
BISAG-N ने प्रमुख मंत्रालयों और लगभग सभी राज्यों के लिए GIS और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों को लागू किया है।
इस उद्देश्य के लिए भू-स्थानिक विज्ञान (GIS रिमोट सेंसिंग, इमेज प्रोसेसिंग, फोटोग्रामेट्री, जीपीएस, सेल फोन आदि), सूचना विज्ञान प्रणाली (एमआईएस, डेटाबेस, ईआरपी, परियोजना प्रबंधन, वेब, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि) और गणित विज्ञान प्रणाली (ज्यामिति, द्रव, यांत्रिकी, त्रिकोणमिति, बीजगणित आदि) को BISAG द्वारा ‘इन-हाउस’ एकीकृत किया गया है।
ये प्रौद्योगिकी समाधान स्वतंत्र स्रोत द्वारा प्रदान किए जाते हैं, इससे महत्त्वपूर्ण लागत दक्षता प्राप्त होती है।
वर्तमान में BISAG गुजरात सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक राज्य एजेंसी है, जो गांधीनगर, गुजरात में स्थित है।
Latest Comments